02 नवम्बर 1990: आज ही के दिन प्रतिबंध के बावजूद लाखों कारसेवक पहुंचे थे अयोध्या
लखनऊ, 02 नवम्बर (हि.स.)। अयोध्या में 30 अक्टूबर 1990 को श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन के लिए पहली कारसेवा हुई थी। प्रदेश सरकार की बंदिशों के बावजूद लाखों कारसेवक 30 अक्टूबर से 02 नवम्बर के बीच अयोध्या पहुंच गये थे। इससे पहले उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने दंभ भरी वाणी में कहा था कि अयोध्या में परिन्दा भी ‘पर’ नहीं मार सकता। लाखों भक्तों के अयोध्या पहुंचने से मुलायम सिंह के बयान की हवा निकल गई जिससे वह तिलमिला उठे।
प्रशासन ने अयोध्या में कर्फ्यू लगा रखा था, इसके चलते श्रद्धालुओं के प्रवेश नहीं दिया जा रहा था। पुलिस ने बाबरी मस्जिद के 1.5 किलोमीटर के दायरे में बैरिकेडिंग कर रखी थी। कारसेवकों की भीड़ बेकाबू हो गई थी। पहली बार 30 अक्टबूर, 1990 को कारसेवकों पर चली गोलियों में पांच लोगों की मौत हुई थीं। इस घटना के बाद अयोध्या से लेकर देश का माहौल पूरी तरह से गरमा गया। इस गोलीकांड के दो दिनों बाद ही 02 नवम्बर को हजारों कारसेवक हनुमान गढ़ी के करीब पहुंच गए थे।
उमा भारती, अशोक सिंघल जैसे बड़े हिन्दूवादी नेता कारसेवकों का नेतृत्व कर रहे थे। ये नेता अलग-अलग दिशाओं से कारसेवकों के जत्थे के साथ हनुमान गढ़ी की ओर बढ़ रहे थे। प्रशासन उन्हें रोकने की कोशिश कर रहा था, लेकिन 30 अक्टूबर को मारे गए कारसेवकों के चलते रामभक्त गुस्से से भरे थे। आसपास के घरों की छतों तक पर बंदूकधारी पुलिसकर्मी तैनात थे और किसी को भी बाबरी मस्जिद तक जाने की इजाजत नहीं थी।
02 नवम्बर को सुबह का वक्त था। अयोध्या के हनुमान गढ़ी के सामने लाल कोठी की संकरी गली में कारसेवक बढ़े चले आ रहे थे। पुलिस ने सामने से आ रहे कारसेवकों पर फायरिंग कर दी, जिसमें सरकारी आंकड़ों के मुताबिक करीब डेढ़ दर्जन कारसेवकों की मौत हो गई। इस दौरान ही कोलकाता से आए कोठारी बंधुओं की भी मौत हुई थी। अयोध्यावासियों में आज भी 02 नवम्बर 1990 की काली यादें ताजा हैं। दोनों सगे भाई थे। दोनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक थे। एक संघ का मण्डल कार्यवाह था और दूसरा भाई शाखा का मुख्य शिक्षक था। इस प्रकार कह सकते हैं कि विहिप द्वारा शुरू किये गये राम मंदिर आन्दोलन में पहली आहुति देने वाले संघ के स्वयंसेवक ही थे। कारसेवकों ने अयोध्या में मारे गए कारसेवकों के शवों के साथ प्रदर्शन भी किया। आखिरकार 4 नवम्बर को कारसेवकों का अंतिम संस्कार किया गया और उनके अंतिम संस्कार के बाद उनकी राख को देश के अलग-अलग हिस्सों में ले जाया गया। 1990 के गोलीकांड के बाद हुए विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह बुरी तरह चुनाव हार गए और कल्याण सिंह सूबे के नए मुख्यमंत्री बने। तब मुलायम को ‘मुल्ला मुलायम’ तक कहा जाने लगा क्योंकि उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने के आदेश दिए थे।
विश्व हिन्दू परिषद के अवध प्रान्त के संगठन मंत्री भोलेन्द्र ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से कहा कि राम मंदिर के लिए रामभक्तों का बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा। मंदिर निर्माण की घड़ी सन्निकट है।