नई दिल्ली, 08 सितम्बर (हि.स.)। पैंगोंग झील के दक्षिण किनारे पर सोमवार रात हुई फायरिंग के बाद भारतीय और चीनी सेना के ब्रिगेडियर कमांडर मंगलवार को फिर वार्ता करने के लिए आमने-सामने बैठे हैं। इस बैठक का मुख्य मुद्दा जमीन पर तनावपूर्ण स्थिति को कम करना है, क्योंकि चीनी सैनिक रेज़ांग ला हाइट्स के पास भारतीय सैनिकों के साथ आमने-सामने की स्थिति में हैं। रात से बढ़े तनाव ने गलवान घाटी की खूनी झड़प के बाद के हालात की याद ताजा कर दी है, क्योंकि भारत-चीन की सीमा पर तनाव एक बार फिर अपने चरम पर पहुंच गया है।
चीनी सैनिकों की 29-30 अगस्त की घुसपैठ नाकाम किये जाने के बाद से ही पैंगोंग झील के दक्षिण किनारे पर हालात तनावपूर्ण हैं। इस घटना के दूसरे दिन यानी 31 अगस्त से 5 सितम्बर तक हर रोज चुशूल या मॉल्डो में भारत-चीन सेना के बीच ब्रिगेड कमांडर मीटिंग हो रही थी। 6 और 7 सितम्बर को कोई मीटिंग नहीं हुई। 7 सितम्बर की शाम 5.30 से 6.30 के बीच चुशूल में रेजांगला के उत्तर में 40-50 चीनी सैनिकों ने फिर भारतीय इलाके में घुसने की कोशिश की लेकिन भारतीय सेना के खदेड़ने पर उल्टे पैर वापस चले गए। इसके बाद फिर रात को पेट्रोलिंग करते हुए चीनी सैनिक भारतीय पोस्ट ‘ब्लैक टॉप’ के बहुत करीब आ गए थे। इसके बाद चीनियों ने पैंगोंग झील के दक्षिण स्थित 15-16 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित इस भारतीय पोस्ट पर कब्जा करने की कोशिश की और विरोध करने पर हवा में कई राउंड फायर किये।
हालांकि भारतीय सेना ने अपने बयान में भारत की ओर से फायरिंग किये जाने से इनकार किया है लेकिन सूत्रों का कहना है कि चीनी सेना की फायरिंग के बाद भारतीय जवानों ने भी उन्हें चेताने के लिए हवा में गोलियां चलाईं। गोलीबारी की यह घटना गुरुंग चोटी और रजांगला चोटियों के बीच हुई है। दरअसल सेटेलाइट इमेजरी पर दिखाई देने वाली स्पैंगगुर त्सो और साउथ पैंगॉन्ग त्सो के पास चीन ने आगे बढ़कर ठीक एलएसी पर अपनी दो नई पोस्ट बनाई है और भारतीय क्षेत्रों में घुसपैठ करके किसी नए अग्रिम हिस्से को कब्जाने के प्रयास में है। यही वजह है कि पिछले एक हफ्ते में पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर बढ़े तनाव ने गलवान घाटी की खूनी झड़प के बाद के हालातों की याद ताजा कर दी है। भारत और चीन की सीमा पर मई से जारी तनाव एक बार फिर अपने चरम पर पहुंच गया है।
पैंगोंग इलाके की काला टॉप और हेल्मेट टॉप समेत कई महत्वपूर्ण चोटियों पर भारतीय सेना का कब्जा है, जो रणनीतिक तौर पर काफी अहम है। यही कारण है कि चीन की सेना बौखला गई है और इसी बौखलाहट में चीनी सेना सोमवार की रात को बॉर्डर पर आगे बढ़ने लगी। इसी दौरान गोलीबारी की गई, जिसका फिर भारतीय सेना ने जवाब दिया। इससे पहले एलएसी पर 1967 में गोली चली थी जब नाथू ला में भारत-चीन के बीच खूनी झड़प में शामिल थे। इसके बाद 1974 में तब चीन की ओर से गोली चलाई गई थी, जब असम राइफल्स के कुछ जवान अनजाने में अरुणाचल प्रदेश में अपरिभाषित सीमा पार कर गए थे। इस गोलीबारी में भारत के कई जवानों की जान गई थी। सोमवार की रात को लद्दाख सीमा पर वो हुआ जो पिछले चार दशक में नहीं हुआ था। हालांकि इस फायरिंग में किसी को निशाना नहीं बनाया गया लेकिन हालात बेकाबू देख दोनों देश बातचीत से मसला सुलझाने के लिए आमने-सामने बैठकर बात कर रहे हैं।