नई दिल्ली, 07 जून (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को 2020 में डिफेंस सेक्टर में किए गए प्रमुख सुधारों पर प्रकाश डालते हुए ’20 रिफॉर्म्स इन 2020′ शीर्षक से एक ई-बुकलेट जारी की। उन्होंने ई-बुकलेट को देश में रक्षा क्षेत्र के उज्ज्वल भविष्य पर एक महत्वपूर्ण दस्तावेज बताया। यह पुस्तिका रक्षा क्षेत्र को मजबूत और अधिक कुशल बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सक्षम नेतृत्व में सरकार के संकल्प का प्रतिबिंब है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि डिफेंस सेक्टर में किए गए सुधार आने वाले समय में भारत को रक्षा क्षेत्र में वैश्विक शक्ति केंद्र बना देंगे।
रक्षा मंत्री ने कहा कि डिजिटल परिवर्तन के माध्यम से सशस्त्र बलों में आधुनिकीकरण लाने के लिए 2020 में किए गए रक्षा सुधारों का इस ई-बुकलेट में उल्लेख किया गया है। यह सुधार प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल पर भी केंद्रित थे। पुस्तिका में रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उद्योग के साथ सहयोग बढ़ाने, अधिक पारदर्शिता के साथ रक्षा अधिग्रहण में तेजी लाने, डिजिटल परिवर्तन, सीमा अवसंरचना का सुदृढ़ीकरण, सशस्त्र बलों में महिलाओं की बढ़ी हुई भागीदारी, नवाचार को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान एवं विकास में परिवर्तन, दूरदराज के स्थानों में एनसीसी का विस्तार और कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में नागरिक प्रशासन को सहायता देने के बारे में जानकारी दी गई है।
सीडीएस और एमडीए का गठन
भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति और सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) का निर्माण सरकार द्वारा लिए गए प्रमुख निर्णयों में से एक हैं। सीडीएस का पद सशस्त्र बलों के बीच दक्षता और समन्वय बढ़ाने और दोहराव को कम करने के लिए बनाया गया है जबकि बेहतर नागरिक-सैन्य एकीकरण सुनिश्चित करने के लिए डीएमए की स्थापना की गई। जनरल बिपिन रावत को पहले सीडीएस के रूप में नियुक्त किया गया जो सचिव, डीएमए की जिम्मेदारियों को भी पूरा करते हैं।
रक्षा उद्योग में ’आत्म निर्भर भारत’
रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए अगस्त, 2020 में 101 रक्षा वस्तुओं की एक सूची अधिसूचित की गई थी, जबकि सितम्बर, 2020 में नए सिरे से रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया-2020 शुरू की गई। 2020-21 में स्वदेशी रूप से निर्मित रक्षा उपकरणों के लिए 52,000 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया। अधिक दक्षता और उत्पादकता के लिए मई, 2020 में आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) के निगमीकरण को मंजूरी दी गई। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने मई, 2020 में कोविड-19 संकट के दौरान जरूरत को देखते हुए रिकॉर्ड समय में एक वेंटिलेटर विकसित किया। नवम्बर, 2020 में डीआरडीओ ने स्वदेश निर्मित सतह से हवा में मार करने वाले पिनाका रॉकेट सिस्टम को मध्यम दूरी और मध्यम ऊंचाई पर 45-60 किमी. रेंज के परीक्षण को मंजूरी दी।
रक्षा निर्यात में वृद्धि
निजी क्षेत्र के साथ बढ़ी हुई भागीदारी से रक्षा निर्यात में पर्याप्त वृद्धि हुई है। कुल रक्षा निर्यात का मूल्य 2014-15 में 1,941 करोड़ रुपये से बढ़कर 2019-20 में 9,116 करोड़ रुपये हो गया। इसके अलावा, भारत पहली बार रक्षा उपकरण निर्यातक देशों की सूची में शामिल हुआ, क्योंकि निर्यात 84 से अधिक देशों में विस्तारित हुआ।
रक्षा अधिग्रहण में आधुनिकीकरण और पारदर्शिता बढ़ी
पिछले 10 वर्षों में आधुनिकीकरण पर सबसे अधिक जोर रहा और पिछले वर्ष की तुलना में 2020-21 के रक्षा बजट में 10 प्रतिशत की वृद्धि की गई। बढ़ी हुई पारदर्शिता के लिए नीतिगत सुधारों में सितंबर 2020 में नई रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया का शुभारंभ और अक्टूबर 2020 में डीआरडीओ खरीद नियमावली का संशोधन शामिल है।
रक्षा अधिग्रहण
जुलाई, 2020 में पहले पांच राफेल लड़ाकू विमान भारत पहुंचे और तब से कई और राफेल फाइटर जेट भारत आकर भारतीय वायु सेना के बेड़े में शामिल हो चुके हैं, जिससे भारत की आसमान में मारक क्षमता बढ़ी है। कोविड-19 की चुनौतियों के बावजूद फ्रांस ने समय पर विमानों की आपूर्ति की।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास में सुधार
डीआरडीओ की पांच युवा वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं को 2020 में बेंगलुरु, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और हैदराबाद में लॉन्च किया गया। डीआरडीओ ने डिजाइन और विकास में निजी क्षेत्र के साथ हाथ मिलाया है और उद्योग के डिजाइन, विकास और निर्माण के लिए 108 सिस्टम और सबसिस्टम की पहचान की है।
इस मौके पर रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद वाई नाइक, सैन्य बलों के प्रमुख (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया, थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे, रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार, सचिव (पूर्व सैनिक कल्याण) रविकांत, डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी और वित्तीय सलाहकार (रक्षा सेवाएं) संजीव मित्तल उपस्थित थे।