‘होटल अर्पित’ अग्निकांड: 17 लोगों की मौत का और कौन-कौन जिम्मेवार
नई दिल्ली, 18 फरवरी (हि.स.)। मध्य जिले के करोल बाग स्थित ‘होटल अर्पित’ में लगी आग के दौरान 17 लोगों की मौत के मामले अभी तक मालिक समेत तीन लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, जबकि कई अन्य गिरफ्तारियां होनी अभी बाकी हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार प्राथमिक जांच में दमकल और निगम की सबसे बड़ी लापरवाही सामने आई है। पुलिस ने पूरे घटनाक्रम और होटल को लेकर इनसे जानकारी मांगी है। अगर इसमें किसी की मिलीभगत सामने आती है तो उसे भी गिरफ्तार किया जाएगा।
क्राइम ब्रांच के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार ‘अर्पित होटल’ अग्निकांड में यह बात सामने आई है कि उन्होंने इस जगह को गेस्ट हाउस के तौर पर दिखा रखा था। वर्ष 1992 से यहां पर होटल चल रहा है, लेकिन कभी भी निगम ने इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। इस होटल को जिस तरह से बनाया गया उसे देखकर साफ पता चलता है कि इन्होंने नियमों को ताक पर रखकर होटल बनाया था। इसके खिलाफ निगम को कार्रवाई करते हुए उसे सील करना चाहिए था| लेकिन निगम ने कभी भी इस होटल के खिलाफ सख्त एक्शन नहीं लिया। फिलहाल क्राइम ब्रांच ने निगम से होटल को लेकर जवाब मांगा है।
दिल्ली पुलिस ने कैसे दिया लाइसेंस ?
‘अर्पित होटल’ की जांच कर रही क्राइम ब्रांच यह जानने की कोशिश कर रही है कि होटल को दिल्ली पुलिस की तरफ से कैसे लाइसेंस मिला। लाइसेंस के लिए क्या नियम व शर्ते होती हैं और किन नियमों का उल्लंघन किया गया। इसमें किसी की मिलीभगत रही या नहीं। इन सब बातों की जांच की जा रही है। क्राइम ब्रांच ने दिल्ली पुलिस के लाइसेंस विभाग को नोटिस भेजकर इस बारे में पूरी जानकारी मांगी है। इसके अलावा जल बोर्ड व बीएसईएस को भी नोटिस भेजकर उनके कनेक्शन संबंधित जानकारी मांगी गई है।
दमकल विभाग की लापरवाही आई सामने
पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार उक्त मामले में दमकल विभाग की लापरवाही भी सामने आ रही है। ‘अर्पित होटल’ को दमकल विभाग की तरफ से एनओसी मिली हुई थी, जबकि आग से निपटने के लिए यहां पर कोई पुख्ता इंतजाम नहीं थे। सीढ़ियों पर वुडन वर्क इतना ज्यादा हो रखा था जिसकी वजह से वहां से लोग नीचे नहीं उतर पाए।
प्रवेश करने वाली सीढ़ियों पर पूरा सामान भरा हुआ था| आग बुझाने के लिए होज पाइप तो लगाई गई थी, लेकिन बताया जाता है कि इसके लिए पानी ही नहीं था। होटल में आग बुझाने के सिलेंडर प्रत्येक फ्लोर पर मौजूद थे, लेकिन इसे चलाना किसी को नहीं आता था। ऐसे में दमकल विभाग ने किस तरह से यह एनओसी दी। उसे लेकर पूछताछ की जा रही है।