हिन्दू, हिन्दू धर्म को क्यों कोसते पाकिस्तान के मंत्री

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आर.के. सिन्हा
पाकिस्तान के दो मंत्री इन दिनों न केवल भारत को, बल्कि हिन्दुओं और हिन्दू धर्म को भी अपशब्द कहे जा रहे हैं। इनमें एक तो सूचना और प्रसारण मंत्री फैय्याज चौहान हैं। दूसरे हैं रेलवे मंत्री शेख अहमद राशिद। पुलवामा में आतंकी कार्रवाई के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान की सरहद में घुसकर आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। इसके बाद पाकिस्तान के कुछ कथित बड़े सियासतदानों की जुबान फिसलने लगी। अब फैय्याज चौहान को ही लीजिए। ये कह रहे हैं कि “हम हिन्दुओं की तरह बुतपरस्त नहीं हैं। हम मुसलमान हैं। भारत यह न सोचे कि वो हमसे सात गुना बड़ा है।” उनका एक वीडियो वायरल हो गया है। उसमें वे हिन्दुओं पर करारा प्रहार कर रहे हैं। हालांकि, वे यह सब करते हुए कहीं न कहीं अपने पुरखों को ही कोस रहे हैं। उन्हें ही गालियां दे रहे हैं। चौहान को अपने पूर्वजों के संबंध में कोई इल्म नहीं है। उनका सरनेम चौहान होना ही इस बात की गवाही है कि उनके पुरखे राजपूत हिन्दू थे। वे पृथ्वीराज चौहान के वंशज बताये जाते हैं। फैय्याज चौहान के पास गलती से संस्कृति विभाग का भी दायित्व है। जरा देख लीजिए कि संस्कृति मंत्रालय को देखने वाला शख्स किस सड़कछाप भाषा का इस्तेमाल कर रहा है। उनके अपने देश में अब भी चालीस-पचास लाख बचे-खुचे हिन्दू रहते हैं। हिन्दू पाकिस्तान का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय भी है। इस सबके बावजूद वे अपने देश के हिन्दुओं का भी घोर अनादर कर रहे हैं। वे भारत के ऊपर तोहमत लगाएं तो समझ आता है, पर हिन्दू धर्म ने वहां पर किसी का क्या बिगाड़ा है।
फैय्याज चौहान के अलावा भी पाकिस्तान के एक वजीर हिन्दू और हिन्दू धर्म के पीछे पड़ गए हैं। भारतीय लड़ाकू विमानों के हमले से पहले रेलवे मंत्री शेख राशिद कह रहे थे कि अगर “भारत ने पाकिस्तान पर हमला किया तो पाकिस्तान को भारत पर परमाणु बम गिराने में देर नहीं लगेगी। हम मंदिरों की घंटियों को बंद करवा देंगे।” फैय्याज और शेख राशिद से पहले भी पाकिस्तान के बहुत से मंत्री भारत पर एटमी हमला करने की बंदरभभकी देते रहे हैं, पर शायद इन दोनों से पहले किसी ने हिन्दू धर्म को लेकर हल्की टिप्पणी नहीं की। गौर कीजिए कि ये दोनों ही मंत्री पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से ही आते हैं। पाकिस्तान के इसी प्रान्त में भारत के खिलाफ सर्वाधिक दुश्मनी का माहौल रहता है। देश के बंटवारे के वक्त पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब में ही सबसे अधिक खून-खराबा हुआ था। शेख राशिद के खुद के शहर रावलपिंडी में मई, 1947 में जमकर हिन्दुओं और सिखों का कत्लेआम हुआ था। यहां के हिन्दू और सिख खासे सम्पन्न हुआ करते थे। वह आग आगे चलकर पंजाब के दूसरे बहुत से शहरों तक में फैल गई थी। फिलहाल उन जख्मों को फिर से हरा करने का वक्त नहीं है। लेकिन, पाकिस्तान के इन दो वजीरों के भड़काऊ बयानों की मंशा तो कुछ ऐसी ही लगती है।
दरअसल, पाकिस्तान का इतिहास हिन्दुओं के खिलाफ नाइंसाफी और खून से लथपथ है। हालांकि 11 अगस्त,1947 को मोहम्मद अली जिन्ना ने एक भाषण में यह कहा था कि पाकिस्तान में सभी धर्मों के मानने वालों को अपने धार्मिक स्थानों में जाने की अनुमति होगी। यानी पाकिस्तान के विश्व मानचित्र में आने से सिर्फ तीन दिन पहले। उन्होंने अपनी कैबिनेट में जोगिन्दर नाथ मंडल नाम के एक हिन्दू को शामिल भी किया था। वे पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से थे। मंडल को जिन्ना ने अपनी कैबिनेट में विधि मंत्री की जिम्मेदारी सौंपते हुए कहा कहा था कि इस्लामिक पाकिस्तान में सबके हक सुरक्षित हैं। लेकिन हुआ इसके ठीक विपरीत। मंडल पाकिस्तान के पहले और शायद आखिरी हिन्दू मंत्री बने। वे वहां पर अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के नेता थे। मंडल अपने को बाबा साहेब अंबेडकर के विचारों से बहुत प्रभावित बताते थे। वे दलित समुदाय से आते थे। वे 1946 में पंडित नेहरु के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार में भी विधि मंत्री थे।
जिन्ना की 11 सितंबर, 1948 को मौत के साथ ही मंडल की वहां पर दुर्गति चालू हो गई थी। उनकी हर सलाह को नामंजूर कर दिया जाता। नतीजा यह हुआ कि वे पाकिस्तान को छोड़कर भारत आ गए। ये 1951 के आसपास की बात है। उन्होंने आरोप लगाया था कि पाकिस्तान में हिन्दुओं के साथ नाइंसाफी होती है। इसलिए उनका पाकिस्तान में रहना मुमकिन नहीं होगा। मंडल उसके बाद कलकत्ता आ गए। उनका 1968 में निधन हो गया। मंडल ने जो लगभग 70 साल पहले कहा था, वह अक्षरशः सही निकला। पाकिस्तान में हिन्दुओं के साथ कभी न्याय नहीं हुआ। इसी का नतीजा था कि जिन्ना का करीबी एक दलित हिन्दू मंत्री तक पाकिस्तान में नहीं रह सका।
फैय्याज चौहान और शेख अहमद राशिद का भारत के साथ-साथ हिन्दुओं को लगे हाथ बुरा-भला कहना फिर से सिद्ध कर रहा है कि अब पाकिस्तान में साफ-सुथरी जुबान बोलने वाले नेता खत्म से हो गए हैं। क्यों इमरान खान अपने इन दोनों छिछोरे मंत्रियों पर चाबुक नहीं चलाते? क्या उन्हें कैबिनेट से बाहर नहीं किया जाना चाहिए? आप इन मंत्रियों को तो छोड़िए, पाकिस्तान के निवर्तमान चीफ जस्टिस साकिब निसार कुछ समय पहले खबरों में थे। उन्होंने एक कार्यक्रम में ‘हिन्दू’ शब्द बोलने तक से इनकार कर दिया था। ‘पाकिस्तान की स्थापना’ विषय पर आयोजित एक सेमिनार में वे कह रहे थे कि ‘पाकिस्तान दुनिया के नक्शे पर टू नेशनल थ्योरी के चलते आया। दो राष्ट्र थे। एक मुस्लिम और दूसरा… मैं उस का नाम भी नहीं लेना चाहता।’ क्या किसी सभ्य समाज में कोई इंसान इस तरह की हरकत कर सकता है? तो वहां पर फैय्याज चौहान या शेख राशिद जैसे लोगों की भरमार है। इन तत्वों के मन में भारत या हिन्दू धर्म को लेकर रग-रग में जहर घुला हुआ है।
जब चीफ जस्टिस ने उपरोक्त टिप्पणी की तब कहा जा रहा था कि चलो पाकिस्तान के किसी राजनीतिक नेता ने तो इस तरह का हिन्दू विरोधी बयान नहीं दिया। पर अब वह कसर भी पूरी हो गई है। इन तमाम उदाहरणों से समझा जा सकता है कि पाकिस्तान में हिन्दुओं को किस हिकारत भरी नजरों से देखा जाता है। वे पाकिस्तान में दोयम दर्जे के नागरिक भी नहीं माने जाते। वे यह क्यों नहीं सोचते कि यदि भारत में भी यही सलूक होने लगे तो क्या होगा?
हालांकि ताजा मिली जानकारी के अनुसार पाकिस्तान में पंजाब प्रान्त के संस्कृति मंत्री फैय्याज चौहान के हिन्दू विरोधी बयान देने की तीखी प्रक्रिया होने के चलते पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार ने चौहान को पद से हटा दिया है। यह कारवाई अखबारों में आई टिप्पणी एवं विरोध के चलते प्रधानमंत्री इमरान खान के हस्तक्षेप के बाद हुई है। यह भी पाकिस्तान द्वारा भारत के सामने घुटना टेकना ही माना जाएगा।


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