हापुड़ की युवती पर बनी डॉक्यूमेंट्री ‘पीरियड एंड ऑफ सेंटेंस’ ऑस्कर पुरस्कारों की दौड़ में

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लॉस एंजेल्स, 24 फरवरी (हि.स.) । उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के काठी खेड़ा गांव की रहने वाली युवती स्नेहा पर बनी लघु फिल्म पीरियड एंड ऑफ सेंटेंस ऑस्कर पुरस्कारों की दौड़ में शामिल है। इसकी घोषणा हॉलीवुड के डॉल्बी थिएटर में रविवार देर को आयोजित 91वें ऑस्कर पुरस्कार समारोह में की जाएगी। इस समारोह में हिस्सा लेने के लिए स्नेहा और गांव की एनजीओ संचालिका सुमन पहले ही लॉस एंजेल्स पहुंच चुकी हैं। दोनों गुरुवार को नई दिल्ली से वहां के लिए रवाना हुई थीं।
ऑस्कर की नामित लघु वृत्त चित्र फ़िल्मों में यहां रविवार को भारत और भारतीय बाल महिलाओं से जुड़ी ‘पीरियड एंड ऑफ सेंटेन्स’ को सर्वश्रेष्ठ लघु वृत्त फ़िल्म का अवार्ड मिल सकता है। इस श्रेणी में यों तो ‘ए नाइट एट गार्डेन’ लघु वृत्त चित्र में सन 1939 के मेडिसन सक्वेयर गार्डन में नाज़ी रैली की कुछ झलकियों को लेकर हुआ विवाद सुर्खियों में रहा है। लेकिन इस फ़िल्म की क़वायद जिस तरह लॉस एंजेल्स स्थित ओकवुड स्कूल की बालिकाओं और टीचर में हुई और फिर उन्होंने ‘पैड प्रोजेक्ट’ के ज़रिए धन संग्रह कर नामी इरानियन अमेरिकी फ़िल्मकार रायका जहेताबची के नेतृत्व में हापुड़ में फ़िल्म तैयार कर दुनिया को मिडल स्कूल जाने वाली बालिकाओं के लिए सेनेटरी पैड की अहमियत बताई, वह एक चौंकाने वाली घटना है।
इस लघु फ़िल्म में यह दिखाया गया है कि किस तरह सेनेटरी पैड के अभाव में बालिकाएं अपनी लज्जा को अभिव्यक्त नहीं कर पातीं और स्कूल छोड़ने पर विवश हो जाती हैं। जैसे ही हापुड़ में सेनेटरी पैड की मशीन लगती है और वह संदेश घर-घर जाता है। बालिकाओं के चेहरों पर मुस्कान लौट आती है। यहां सेनेटरी पैड की ज़रूरत के संदेश पर जो बल दिया गया है, वह ऑस्कर सदस्यों के लिए ही नहीं, दुनियाभर के फ़िल्मकारों के लिए चौंकाने वाला है। यह फ़िल्म अवार्ड जीत पाती है तो इस फ़िल्म की भूमिका के लिए लॉस एंजेल्स स्थित ओकवुड हाईस्कूल, इसकी छात्राओं, टीचर लिसा बर्टन और ईरानी अमेरिकी फ़िल्कार रायका जहताबची की सराहना करनी होगी। यही ग्रुप ‘पैड प्रोजेक्ट’ के अंतर्गत फ़िल्म निर्माण के लिए भारत गया था, जिनमें भारतीय अमेरिकी सिने नायिका पूरना जगनाथन और सिने तारिका प्रियंका चोपड़ा की जितनी सराहना की जाए, वह काम होगी। यही नहीं, अरुणाचलम मृगनाथन की सराहना की जानी चाहिए। उन्होंने एक ऐसी मशीन इजाद की, जिसने सेनेटरी पैड की कमी पूरी किए जाने का उपक्रम कर भारत ही नहीं बल्कि अफ़ग़ानिस्तान में भी स्कूली बालिकाओं के जीवन में एक नया संदेश जागृत कर दिया।


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