हाई कोर्ट को सरकार ने दी जानकारी_भूमि न्यायाधिकरण के प्रशासनिक सदस्य रहते केपी रमैया निगरानी पुलिस की गिरफ्तारी के डर से फरार रहे

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रमैय्या के साथ ही डीजीपी को एक आई जी रैंक अधिकारी को 22 अप्रैल को कोर्ट में रहने का निर्देश
पटना,19 अप्रैल (हि.स.) बिहार के पूर्व आईएएस अधिकारी एवं बिहार भूमि न्यायाधिकरण के प्रशासनिक सदस्य रहे के पी रमैय्या को पटना हाईकोर्ट की एक खण्डपीठ ने 22 अप्रैल को हाई कोर्ट में सदेह हाज़िर रहने का निर्देश देते हुए सूबे के डीजीपी को भी कहा है कि इस मामले की सुनवाई के समय वे अपने साथ एक आईजी रैंक के अधिकारी के साथ कोर्ट में उपस्थित रहें.
मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही और न्यायाधीश पार्थ सारथी की खण्डपीठ ने पी के रमैय्या द्वारा दायर एलपीए (अपील ) की त्वरित सुनवाई के लिए किए गए अनुरोध को सुनते हुए यह निर्देश दिया.
विदित हो कि एक बटाईदारी मामले में रमैय्या द्वारा भूमि न्यायाधिकरण के प्रशासनिक सदस्य के पद पर रहते हुए उनके द्वारा पारित आदेश पर आश्चर्य किया. हाई कोर्ट की एकलपीठ ने रमैय्या की योग्यता पर ही सवालिया निशान लगाते हुए मुख्य सचिव से जवाब तलब किया था.
वर्ष 2015 में रमैय्या द्वारा पारित 24 पैराग्राफ के उक्त फैसले में 23 पैरा में सिर्फ पक्षकारों का कथन लिखा हुआ था और अंतिम पैरा में एक पंक्ति में फैसला दिया गया था. रमैया द्वारा पारित किया गया आदेश से कोई भी बात स्पष्ट नहीं हो रही थी .मामले को लेकर हाई कोर्ट ने प्रथम दृष्टया प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ पाते हुए मुख्य सचिव से जवाब तलब किया था .
8 फरवरी को राज्य सरकार द्वारा दायर किया गया जवाबी हलफनामा और भी आश्चर्यजनक था . न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने 8 फरवरी 2019 के आदेश में राज्य सरकार की ओर से दी गयी जानकारियों का उल्लेख करते हुए रमैय्या को एक आवश्यक पक्षकार बनाने का निर्देश देते हुए उन्हें नोटिस जारी किया था. राज्य सरकार की तरफ से दी गयी जानकारी के मुताबिक के पी रमैय्या के खिलाफ 23 -10-2017 को आईपीसी एवं भ्रष्टाचार निरोधी कानून की कई धाराओं में निगरानी मामला दर्ज हुआ.उस मामले में अभियुक्त बने रमैय्या द्वारा अपनी गिरफ्तारी के डर से फरार रहने एवं निगरानी मामला दर्ज होने की तारीख से लगातार बिहार भूमि न्यायाधिकरण में अनुपस्थित रहने की सनसनीखेज जानकारी कोर्ट को दी गई थी. एकलपीठ ने राज्य सरकार के शपथपत्र के बाद 8 फरवरी के उस आदेश में इस कानूनी बिंदु पर सुनवाई के लिये तिथि निर्धारित किया गया कि रमैय्या बिहार भूमि न्यायाधिकरण के सदस्य रहते हुए एक फरार अभियुक्त की हैसियत में थे या नही ?
एकलपीठ के उसी आदेश के खिलाफ रमैय्या ने खण्डपीठ में अपील दायर किया था. जिसकी त्वरित सुनवाई हेतु शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश के खण्डपीठ में अनुरोध किया गया था.अब इस मामले की अगली सुनवाई सोमवार 22 अप्रैल को होगी.


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