हवा निकल गई तेज प्रताप के बगावती गुब्बारे की
पटना, 07 अप्रैल (हि स)। लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने रविवार को लगतार तीसरी मर्तबा अंतिम क्षण में अपने अपने बुलाये हुये प्रेस कांफ्रेंस को टाल दिया। इसके साथ कयासबाजियों का दौर शुरु हो गया है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के बगावती गुब्बारे का हवा निकल गई है या फिर निकाल दी गई है? कहा जाता है सियासत में जो कुछ होता है वह दिखता नहीं और जो दिखता है वह होता नहीं। पिछले कुछ समय से तेज प्रताप यादव अपने दो समर्थकों के लिए जहानाबाद और शिवहर लोकसभा सीटों की मांगों को लेकर लगातार तरह -तरह के हथकंडे अपना कर अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे। शिवहर से सयैद फैसल अली को महागठबंधन की तरह से राजद का उम्मीदावर घोषित किये जाने के बाद तेज प्रताप यादव ने राष्ट्रकवि दिनकर की पंक्तियों को ट्वीट करते हुये लिखा था-
दुर्योधन वह भी दे ना सका,
आशीष समाज का ले न सका,
उलटे, हरि को बाँधने चला,
जो था असाध्य, साधने चला।
जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है।
दिनकर जी की इस कविता के ट्वीट किये जाने के बाद से यह माना जा रहा था कि तेज प्रताप यादव अब खुलकर अपने भाई तेजस्वी यादव के खिलाफ बगाबत का झंडा बुलंद कर रहे हैं। माना जा रहा था कि पार्टी में अपनी उपेक्षा से वह पूरी तरह से मर्माहत थे। इसके पहले अपनी पत्नी ऐश्वर्या के साथ तलाक के मामले पर भी वह अपने परिवार से पूरी तरह से अलग -थलग पड़ चुके थे। ऐश्वर्या के मसले पर परिवार के किसी भी सदस्य ने उनका साथ नहीं दिया था। इतना ही नहीं उनके ससुर चंद्रिका राय को सारण से राजद के टिकट देकर तेज प्रताप यादव की पीड़ा को और बढ़ा दिया था। इसे लेकर तेज प्रताप ने मीडिया के माध्यम से अपनी मां राबड़ी देवी से अपील भी की थी कि सारण लोकसभा सीट से वह खुद चुनाव लड़ें क्योंकि यह उनकी पुश्तैनी सीट है। किसी बाहरी व्यक्ति को यह सीट नहीं दिया जाना चाहिए। लेकिन इस अपील का कोई असर होता हुआ नहीं दया। जहानाबाद की सीट से सुरेंद्र यादव को राजद उम्मीदवार घोषित किये जाने के साथ ही उस पर से तेजप्रताप यादव के एक समर्थक की दावेदारी को पहले ही खारिज किया जा चुका था, शनिवार को शिवहर से सैयद फैसल अली को राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे से उम्मीदावर उम्मीदवार घोषित करवा कर तेज प्रताप यादव को स्पष्ट संदेश दे दिया गया था छोटे भाई तेजस्वी यादव को उनकी कृष्ण की भूमिका स्वीकार्य नहीं है। जानकारों का कहना है कि तेजप्रताप यादव ने इसके बाद से ही पूरी तरह से बगावत का इरादा कर लिया था। उनके इस इरादे को भांपते हुये उन तक यह संदेश पहुंचा दिया गया था कि शिवहर से सैयद फैसल अली को टिकट देने का फैसला खुद लालू यादव का है। इसमें पार्टी के शीर्ष नेताओं या फिर तेजस्वी यादव की कोई भूमिका नहीं है। इसके बाद तेजप्रताप ने शनिवार की रात को ही एक और ट्वीट किया था कि उनके और उनके पिता जी के बीच कोई न आये। यानि वह इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं थे उनके पिता लालू यादव के नाम पर कोई उन्हें गुमराह करे। इन तमाम मसलों पर वे रविवार को दिन में संवाददाताओं से खुलकर बातचीत करने के मूड में आ गये। निर्धारित समय पर राजद कार्यालय में संवाददाताओं का जमघट भी लग गया लेकिन समय बीतता गया और तेज प्रताप यादव का कहीं कुछ पता नहीं चला। इस बीच तेज प्रताप के राजद कार्यालय में आने की खबर से राजद के तमाम बड़े पदाधिकारी पहले से ही लापता थे। कहा जा रहा है कि इस दौरान तेज प्रताप यादव पर भी कई माध्यमों के जरिये लगातार यह दबाव बनाया गया कि वह संवाददाताओं से दूर रहें। अगर इस वक्त वह कोई भी गलती करते हैं तो इसका सीधा असर राजद की ताकत पर पड़ेगा। कहा जा रहा है कि फिलहाल तेज प्रताप यादव ने भले ही खुद को कंट्रोल कर लिया है लेकिन वह कब तक ऐसा कर पाते हैं कहना मुश्किल है क्योंकि व्यक्तिगत रूप से उन्हें एक के बाद एक लगातार झटके लग रहे हैं। पार्टी के शीर्ष नेताओं ने तो उन्हें पहले से ही खारिज कर के उनके छोटे भाई तेजस्वी यादव की रहनुमाई में चलना स्वीकार कर लिया है। तलाक प्रकरण के बाद परिवार के सदस्यों के दिल से भी उतर चुके हैं।