हमारा राष्ट्रध्वज स्फूर्ति, मार्गदर्शक एवं प्रेरणास्रोत का प्रतीक-डा.मोहन भागवत
कानपुर, 26 जनवरी (हि.स.)। कई शतकों की गुलामी के बाद हमने स्वतंत्रता पायी और यह स्वतंत्रता मात्र राजनीतिक ही नहीं है अपितु आर्थिक और सामाजिक भी है। जिसका संदेश हमारा राष्ट्रीय ध्वज दे रहा है। यही नहीं हमारा राष्ट्रीय ध्वज मार्गदर्शक एवं प्रेरणास्रोत का प्रतीक भी है।
यह बातें 70वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के सरसंघचालक डा.मोहन मधुकर राव भागवत ने कही। वे शनिवार को नारायना ग्रुप आफ इन्स्टीट्यूशन्स, पनकी कानपुर में ‘गणतन्त्र दिवस’ के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
राष्ट्रध्वज के मध्य का चक्र ‘धर्म चक्र’
उन्होंने उपस्थित विद्यालय के आचार्य एवं छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारा राष्ट्रध्वज स्फूर्ति एवं प्रेरणा का प्रतीक है। इसके मध्य का चक्र धर्म चक्र है धर्म मात्र पूजा पद्धति नहीं है पूजा धर्म का एक भाग हो सकता है। धर्म सबको जोड़ता है और सर्वसमाज की भौतिक एवं मानसिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है और सर्वमंगलकारी समाज की धारणा करता है।
भगवा त्याग, श्वेत सर्वशान्ति और हरा रंग समृद्धि का प्रतीक
बताया कि राष्ट्रध्वज के शीर्ष पर स्थापित भगवा रंग त्याग, सतत् कर्म का संदेश देता है। यह हमारी प्रकृति है भगवा रंग का हम वंदन करते हैं। ध्वज के मध्य भाग का श्वेत रंग सर्वशान्ति, शान्त मानवता और तन-मन की पवित्रता जो हमारे देश में सनातन काल से चली आ रही है का प्रतीक है। हरा रंग लक्ष्मी जी का रंग है जो कि समृद्धि का प्रतीक है। मन बुद्धि की समृद्धि के साथ क्रोध, तृष्णा, मदमत्सर के त्याग का भी संदेश देता है। इन सबको हम अलक्ष्मी मानते हैं। हम किसी के अशुभ की कामना नहीं करते हैं। सबके सुख की कामना करते है।
भारत को विश्वगुरु बनाने का संकल्प लें
कहा कि ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद दुःख भागभवेत् हमारा ध्येय है। शान्ति और सद्गुणों को समाप्त करने के लिए राष्ट्र विरोधी शक्तियाँ अनेक प्रकार के कुप्रयास कर रही हैं। सम्पूर्ण विश्व इनसे पीड़ित है। विश्व जानता भी है कि इन शक्तियों को पराजित करने की क्षमता भारत में है। भविष्य में हम जन-जन के जीवन को श्रेष्ठ बनाकर भारत को विश्वगुरू रूप में स्थापित कर सम्पूर्ण भारत को श्रेष्ठ बनाने का संकल्प आज के दिन लेते हैं।
हम सब भारत माता के पुत्र
कहा कि हमें गणराज्य दिवस का विस्मरण कभी नहीं होगा। शतकों की गुलामी के बाद हमने स्वतन्त्रता पायी, केवल मात्र राजनैतिक स्वतन्त्रता ही नहीं अपितु सामाजिक, आर्थिक स्वतन्त्रता के लक्ष्य के रूप में गणराज्य दिवस मनाते हैं। आज के दिन अबला नारी व वृद्ध बिना किसी आवाहन के स्वस्फूर्त भाव से आनन्दित होते हैं। आज के दिन हम स्मरण करते हैं कि हमको एक होना है इसलिए नहीं कि हम अनेक हैं हम सदा से ही एक रहे हैं। भारत माता के हमसब पुत्र हैं समान पूर्वजों की संतति हैं। बाह्य विविधता हमारी सनातन एकता की अभिव्यक्ति मात्र है। जाति, जन्म, पूजा भेद से ऊपर हम सब भाई-बहन हैं। हमारा राष्ट्रध्वज हमारा मार्गदर्शक एवं प्रेरणास्रोत है।
इस आयोजन में नारायना ग्रुप के अध्यक्ष कैलाश नारायन ने शॉल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सरसंघचालक जी का स्वागत किया तथा संस्था के सचिव अमित नारायन ने उनका परिचय कराया। कार्यक्रम का संचालन पूनम तिवारी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में सरसंघचालक जी के अतिरिक्त संघ के पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र व कानपुर प्रान्त के सभी पदाधिकारी उपस्थित रहें।
यह बातें 70वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के सरसंघचालक डा.मोहन मधुकर राव भागवत ने कही। वे शनिवार को नारायना ग्रुप आफ इन्स्टीट्यूशन्स, पनकी कानपुर में ‘गणतन्त्र दिवस’ के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
राष्ट्रध्वज के मध्य का चक्र ‘धर्म चक्र’
उन्होंने उपस्थित विद्यालय के आचार्य एवं छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारा राष्ट्रध्वज स्फूर्ति एवं प्रेरणा का प्रतीक है। इसके मध्य का चक्र धर्म चक्र है धर्म मात्र पूजा पद्धति नहीं है पूजा धर्म का एक भाग हो सकता है। धर्म सबको जोड़ता है और सर्वसमाज की भौतिक एवं मानसिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है और सर्वमंगलकारी समाज की धारणा करता है।
भगवा त्याग, श्वेत सर्वशान्ति और हरा रंग समृद्धि का प्रतीक
बताया कि राष्ट्रध्वज के शीर्ष पर स्थापित भगवा रंग त्याग, सतत् कर्म का संदेश देता है। यह हमारी प्रकृति है भगवा रंग का हम वंदन करते हैं। ध्वज के मध्य भाग का श्वेत रंग सर्वशान्ति, शान्त मानवता और तन-मन की पवित्रता जो हमारे देश में सनातन काल से चली आ रही है का प्रतीक है। हरा रंग लक्ष्मी जी का रंग है जो कि समृद्धि का प्रतीक है। मन बुद्धि की समृद्धि के साथ क्रोध, तृष्णा, मदमत्सर के त्याग का भी संदेश देता है। इन सबको हम अलक्ष्मी मानते हैं। हम किसी के अशुभ की कामना नहीं करते हैं। सबके सुख की कामना करते है।
भारत को विश्वगुरु बनाने का संकल्प लें
कहा कि ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद दुःख भागभवेत् हमारा ध्येय है। शान्ति और सद्गुणों को समाप्त करने के लिए राष्ट्र विरोधी शक्तियाँ अनेक प्रकार के कुप्रयास कर रही हैं। सम्पूर्ण विश्व इनसे पीड़ित है। विश्व जानता भी है कि इन शक्तियों को पराजित करने की क्षमता भारत में है। भविष्य में हम जन-जन के जीवन को श्रेष्ठ बनाकर भारत को विश्वगुरू रूप में स्थापित कर सम्पूर्ण भारत को श्रेष्ठ बनाने का संकल्प आज के दिन लेते हैं।
हम सब भारत माता के पुत्र
कहा कि हमें गणराज्य दिवस का विस्मरण कभी नहीं होगा। शतकों की गुलामी के बाद हमने स्वतन्त्रता पायी, केवल मात्र राजनैतिक स्वतन्त्रता ही नहीं अपितु सामाजिक, आर्थिक स्वतन्त्रता के लक्ष्य के रूप में गणराज्य दिवस मनाते हैं। आज के दिन अबला नारी व वृद्ध बिना किसी आवाहन के स्वस्फूर्त भाव से आनन्दित होते हैं। आज के दिन हम स्मरण करते हैं कि हमको एक होना है इसलिए नहीं कि हम अनेक हैं हम सदा से ही एक रहे हैं। भारत माता के हमसब पुत्र हैं समान पूर्वजों की संतति हैं। बाह्य विविधता हमारी सनातन एकता की अभिव्यक्ति मात्र है। जाति, जन्म, पूजा भेद से ऊपर हम सब भाई-बहन हैं। हमारा राष्ट्रध्वज हमारा मार्गदर्शक एवं प्रेरणास्रोत है।
इस आयोजन में नारायना ग्रुप के अध्यक्ष कैलाश नारायन ने शॉल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सरसंघचालक जी का स्वागत किया तथा संस्था के सचिव अमित नारायन ने उनका परिचय कराया। कार्यक्रम का संचालन पूनम तिवारी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में सरसंघचालक जी के अतिरिक्त संघ के पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र व कानपुर प्रान्त के सभी पदाधिकारी उपस्थित रहें।