स्वदेशी इंटरमीडिएट जेट ट्रेनर की दूसरी स्पिन फ्लाइट टेस्टिंग शुरू

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भारतीय वायुसेना के पुराने ट्रेनर जेट किरण एयरक्राफ्ट की जगह लेगा आईजेटी
– वायुसेना की सलाह पर एचएएल ने आईजेटी की डिजाइन में कई संशोधन किये
नई दिल्ली, 06 जनवरी (हि.स.)। भारतीय वायुसेना के पुराने ट्रेनर जेट किरण एयरक्राफ्ट का बेड़ा बदलने के लिए स्वदेशी इंटरमीडिएट जेट ट्रेनर (आईजेटी) की दूसरी बार स्पिन फ्लाइट टेस्टिंग गुरुवार से शुरू की गई है। इस ट्रेनर जेट को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने बनाया है। एचएएल के टेस्ट पायलट जीपी कैप्टन एचवी ठाकुर (सेवानिवृत्त) और विंग कमांडर पी अवस्ति (सेवानिवृत्त) ने गुरुवार को बेंगलुरु में आईजेटी एयरक्राफ्ट को उड़ाया। वायुसेना की सलाह पर एचएएल ने इसकी डिजाइन में कई संशोधन किये हैं, जिसके बाद यह स्पिन उड़ान परीक्षण शुरू किया गया है।
एचएएल ने आज आधिकारिक रूप से बताया कि किसी भी विमान की स्पिन फ्लाइट टेस्टिंग इसलिए सबसे महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इसमें विमान को हवा में 6 बार पलटकर उसकी क्षमता देखी जाती है। विमान के व्यवहार का आकलन करने के लिए तब तक परीक्षण को धीरे-धीरे आगे बढ़ाया जाता है, जब तक दोनों तरफ छह स्पिन नहीं होते। हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के एचजेटी-36 ‘सितारा’ इंटरमीडिएट जेट ट्रेनर (आईजेटी) ने 17 अप्रैल, 2019 को पहली बार आसमान में उड़ान भरी। भारतीय वायु सेना ने उस समय इसके डिजाइन में संशोधनों की जरूरत बताई थी। इन संशोधनों के साथ एचएएल ने पहली स्पिन फ्लाइट टेस्टिंग पिछले साल 23 नवम्बर को की थी।
एचएएल ने एक बयान में बताया कि आईजेटी का पहले ही गति, ऊंचाई और लोड के मामले में परीक्षण किया जा चुका है और इसे ड्रॉप टैंकों के साथ-साथ बमों के साथ भी एकीकृत किया गया है। पहली उड़ान के दौरान स्पिन विशेषताओं का परीक्षण करने के लिए शुरू में विमान को एक मोड़ स्पिन के माध्यम से बाएं और दाएं हाथ की ओर ले जाया गया था। हर स्तर पर प्रमाणन एजेंसियों की भागीदारी और मंजूरी के साथ दो विमानों में परिवर्तन शामिल किए गए हैं। इन विमानों में अब आवश्यक सुरक्षा उपकरणों (एंटी-स्पिन पैराशूट सिस्टम) को भी शामिल किया गया है। स्पिन परीक्षण के लिए एचएएल ने ऊर्ध्वाधर पूंछ को पीछे करके और पतवार की सतह को फैलाकर विमान को फिर से डिजाइन किया है।
दरअसल, भारतीय वायुसेना अपने शुरुआती ट्रेनर जेट किरण एयरक्राफ्ट का बेड़ा बदलना चाहती है। इसलिए एचएएल ने स्वदेशी इंटरमीडिएट जेट ट्रेनर को विकसित किया है। वायुसेना कैडेटों के मध्यवर्ती उड़ान प्रशिक्षण के लिए एचजेटी-16 किरण एमके-1 और उन्नत उड़ान और हथियार प्रशिक्षण के लिए एचजेटी-16 किरण एमके-2 का उपयोग करती है। एचजेटी-16 किरण एमके-2 का इस्तेमाल वायुसेना की सूर्य किरण एरोबैटिक टीम भी करती है। बीएई हॉक एमके 132 भारतीय वायुसेना में एक उन्नत जेट ट्रेनर के रूप में कार्य करता है और यह विमान धीरे-धीरे किरण एमके-II की जगह ले रहा है। वायुसेना ने सूर्य किरण डिस्प्ले टीम को भी हॉक्स में बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।


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