स्वच्छता सर्वेक्षण में 98 फीसदी से अधिक ट्रेनें फिसड्डी
नई दिल्ली (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को रेलवे के अधिकारी और कर्मचारी ही पलीता लगा रहे हैं। औसतन 98 फीसदी से अधिक प्रमुख ट्रेनें तथा उनके शौचालयों की हालत बहुत खराब है। यह तथ्य रेलवे के एक आंतरिक ऑडिट-कम-सर्वेक्षण में सामने आया है, जिसमें यात्रियों ने देश की प्रमुख रेलगाड़ियों को स्वच्छता के मामले में बहुत ही कम अंक दिए हैं। प्रीमियम ट्रेनें भी स्वच्छता रैंकिंग में सबसे नीचे हैं। हालांकि अभी तक इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है।
भारतीय रेलवे दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। इसके पास 66 हजार किलोमीटर का रूट स्ट्रेच और 8 हजार से अधिक स्टेशन हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2 अक्टूबर, 2014 को ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की शुरुआत के परिणामस्वरूप भारतीय रेलवे ने भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती (02 अक्टूबर 2019) तक स्वच्छ भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से ‘स्वच्छ रेल, स्वच्छ भारत अभियान’ की शुरुआत की थी।
भारतीय रेल खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) द्वारा रेलवे के लिए किये गए थर्ड-पार्टी ऑडिट-कम-सर्वे ने राजधानी, दुरंतो, शताब्दी, संपर्क क्रांति, इंटरसिटी, जन शताब्दी और मेल व एक्सप्रेस सहित 209 ट्रेनों को शामिल किया। सर्वे में ट्रेन यात्रियों की प्रतिक्रिया ली गई। सर्वेक्षण में यात्रियों ने इन सभी ट्रेनों के शौचालयों की ‘सफाई’ के मापदंडों पर असंतोष जताया है।
रेलवे आमतौर पर स्टेशन स्वच्छता सर्वेक्षण के परिणामों को सार्वजनिक करता रहा है लेकिन पहली बार शौचालयों की स्वच्छता रैंकिंग को लेकर छह माह पहले हुए सर्वेक्षण को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।
सूत्रों के अनुसार अक्टूबर 2018 में ट्रेन के शौचालयों की स्थिति को लेकर यह सर्वे किया गया था। सर्वे में शौचालयों की स्थिति में जैव-शौचालय, कोच, सीटें, खिड़कियां, दरवाजे, डस्टबिन, हैंड वॉश एरिया, लिनेन, बेडरोल, पर्दे, कीट प्रबंधन, अपशिष्ट प्रबंधन तंत्र, पानी भरने और कर्मचारियों की उपस्थिति शामिल है। थर्ड-पार्टी ऑडिट में शौचालयों की सफाई, रेलगाड़ियों के पानी को बहाने, सफाई में सुधार और लिनन व पर्दे के प्रबंधन पर अधिक ध्यान देने की सिफारिश की है। यह भी कहा गया है कि रेल कर्मचारियों को हाइजीनिक स्थिति बनाए रखने और दिए गए औजारों का उपयोग करने पर अधिक प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
रेलवे सूत्रों के अनुसार आमतौर पर एक हजार में 800 से नीचे के किसी भी स्कोर से पता चलता है कि आगे सुधार की आवश्यकता है, जबकि 900 से ऊपर की रैंकिंग को संतोषजनक माना जाता है। सर्वे में 209 में से 130 से अधिक ट्रेनों ने 800 बिन्दु से कम स्कोर किया है। सर्वेक्षण परिणामों के अनुसार इस सूची में सबसे नीचे पायदान पर 402 स्कोर के साथ सोमनाथ-जबलपुर एक्सप्रेस है। इलाहाबाद-नई दिल्ली दुरंतो 520 अंक और दिल्ली सराय रोहिल्ला-जम्मू तवी दुरंतो ट्रेन 543 स्कोर के साथ इस सूची में हैं।
स्वच्छता में घटिया प्रदर्शन करने वाली अन्य ट्रेनों में गुवाहाटी-जोरहाट जन शताब्दी (450), रांची-पटना जन शताब्दी (474), नई दिल्ली-ऊना जन शताब्दी (490), पुरी-तिरुपति एक्सप्रेस (462), गुवाहाटी-आनंद विहार एक्सप्रेस (546), सिकंदराबाद- पटना एक्सप्रेस (479) और राजगीर-नई दिल्ली एक्सप्रेस (488) शामिल हैं।
स्वच्छता सर्वेक्षण में केवल तीन ट्रेनें हैं, जिन्होंने 900 से अधिक अंक हासिल किए हैं। स्वच्छता रैंकिंग में पुणे-सिकंदराबाद शताब्दी 916 अंकों के साथ शीर्ष पर है। इसके बाद हावड़ा-रांची 914 पर और चेन्नई सेंट्रल-मैसूरु 906 पर और भुवनेश्वर-नई दिल्ली राजधानी 861 अंकों के साथ इस सूची में शामिल है।
भारतीय रेलवे दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। इसके पास 66 हजार किलोमीटर का रूट स्ट्रेच और 8 हजार से अधिक स्टेशन हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2 अक्टूबर, 2014 को ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की शुरुआत के परिणामस्वरूप भारतीय रेलवे ने भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती (02 अक्टूबर 2019) तक स्वच्छ भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से ‘स्वच्छ रेल, स्वच्छ भारत अभियान’ की शुरुआत की थी।
भारतीय रेल खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) द्वारा रेलवे के लिए किये गए थर्ड-पार्टी ऑडिट-कम-सर्वे ने राजधानी, दुरंतो, शताब्दी, संपर्क क्रांति, इंटरसिटी, जन शताब्दी और मेल व एक्सप्रेस सहित 209 ट्रेनों को शामिल किया। सर्वे में ट्रेन यात्रियों की प्रतिक्रिया ली गई। सर्वेक्षण में यात्रियों ने इन सभी ट्रेनों के शौचालयों की ‘सफाई’ के मापदंडों पर असंतोष जताया है।
रेलवे आमतौर पर स्टेशन स्वच्छता सर्वेक्षण के परिणामों को सार्वजनिक करता रहा है लेकिन पहली बार शौचालयों की स्वच्छता रैंकिंग को लेकर छह माह पहले हुए सर्वेक्षण को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।
सूत्रों के अनुसार अक्टूबर 2018 में ट्रेन के शौचालयों की स्थिति को लेकर यह सर्वे किया गया था। सर्वे में शौचालयों की स्थिति में जैव-शौचालय, कोच, सीटें, खिड़कियां, दरवाजे, डस्टबिन, हैंड वॉश एरिया, लिनेन, बेडरोल, पर्दे, कीट प्रबंधन, अपशिष्ट प्रबंधन तंत्र, पानी भरने और कर्मचारियों की उपस्थिति शामिल है। थर्ड-पार्टी ऑडिट में शौचालयों की सफाई, रेलगाड़ियों के पानी को बहाने, सफाई में सुधार और लिनन व पर्दे के प्रबंधन पर अधिक ध्यान देने की सिफारिश की है। यह भी कहा गया है कि रेल कर्मचारियों को हाइजीनिक स्थिति बनाए रखने और दिए गए औजारों का उपयोग करने पर अधिक प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
रेलवे सूत्रों के अनुसार आमतौर पर एक हजार में 800 से नीचे के किसी भी स्कोर से पता चलता है कि आगे सुधार की आवश्यकता है, जबकि 900 से ऊपर की रैंकिंग को संतोषजनक माना जाता है। सर्वे में 209 में से 130 से अधिक ट्रेनों ने 800 बिन्दु से कम स्कोर किया है। सर्वेक्षण परिणामों के अनुसार इस सूची में सबसे नीचे पायदान पर 402 स्कोर के साथ सोमनाथ-जबलपुर एक्सप्रेस है। इलाहाबाद-नई दिल्ली दुरंतो 520 अंक और दिल्ली सराय रोहिल्ला-जम्मू तवी दुरंतो ट्रेन 543 स्कोर के साथ इस सूची में हैं।
स्वच्छता में घटिया प्रदर्शन करने वाली अन्य ट्रेनों में गुवाहाटी-जोरहाट जन शताब्दी (450), रांची-पटना जन शताब्दी (474), नई दिल्ली-ऊना जन शताब्दी (490), पुरी-तिरुपति एक्सप्रेस (462), गुवाहाटी-आनंद विहार एक्सप्रेस (546), सिकंदराबाद- पटना एक्सप्रेस (479) और राजगीर-नई दिल्ली एक्सप्रेस (488) शामिल हैं।
स्वच्छता सर्वेक्षण में केवल तीन ट्रेनें हैं, जिन्होंने 900 से अधिक अंक हासिल किए हैं। स्वच्छता रैंकिंग में पुणे-सिकंदराबाद शताब्दी 916 अंकों के साथ शीर्ष पर है। इसके बाद हावड़ा-रांची 914 पर और चेन्नई सेंट्रल-मैसूरु 906 पर और भुवनेश्वर-नई दिल्ली राजधानी 861 अंकों के साथ इस सूची में शामिल है।