लखनऊ, 22 फरवरी (हि.स.)। सोना मिलने के कारण सुर्खियों में आये सोनभद्र को लेकर अब स्पष्ट हुआ कि वहां इसके जिस अकूत भंडार का दावा किया जा रहा था, हकीकत में वैसा नहीं है।
भूतत्व एवं खनिकर्म सचिव एवं निदेशक डॉ. रोशन जैकब ने शनिवार को बताया कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण उत्तर क्षेत्र, लखनऊ ने सोनभद्र के सोना पहाड़ी क्षेत्र में महाकौशल समूह की फिलाईट चट्टानों के क्वार्टज वेन के अन्दर लगभग 52806.25 टन अयस्क संसाधन का आकलन किया गया है। इसमें स्वर्ण धातु की मात्रा 3.03 ग्राम प्रति टन है।
इससे साफ हो गया है कि मौके पर तीन हजार टन सोना मिलने की जो चर्चा हो रही है, वह पूरी तरह से गलत है। जीएसआई के मुताबिक 52806.25 टन स्वर्ण अयस्क होने की बात कही गई है न कि शुद्ध सोना। इस तरह सोनभद्र में मिले स्वर्ण अयस्क से प्रति टन सिर्फ 3.03 ग्राम ही सोना निकलेगा। ऐसे में पूरे खदान से 160 किलोग्राम सोना ही निकलेगा। हालांकि सोनभद्र में सोने की तलाश को लेकर जीएसआई का सर्वे अभी चल रहा है। ऐसे में वहां पर और सोना मिलने की संभावना से अभी इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन वर्तमान में जो अयस्क मिला है, उससे प्रति टन सिर्फ 3.03 ग्राम ही सोना निकलेगा।
निदेशक डॉ. रोशन जैकब के मुताबिक जल्द ही सारी औपचारिकता पूरी करते हुए नीलामी करने की तैयारी है। खनन के लिए भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय ने वहां के जिलाधिकारी से खनन भूमि से संबंधित रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने बताया कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा अन्वेषण की यूएनएफसी मानक की जी-3 स्तर की रिपोर्ट भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय को अग्रिम कार्यवाही के लिए भेजी गयी है।
उन्होंने बताया कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण उत्तरी क्षेत्र, लखनऊ की अन्वेषण रिपोर्ट के सम्बन्ध में नीलामी सम्बन्धी कार्यवाही के लिए राजधानी के भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय से गठित टीम की रिपोर्ट निदेशालय में मिल चुकी है। इसके सम्बन्ध में अब जिलाधिकारी सोनभद्र से भूमि सम्बन्धी जानकारी प्राप्त की जा रही है। इसके बाद क्षेत्र को भू राजस्व मानचित्र पर अंकित कर खनन के लिए उपयुक्त क्षेत्र की आवश्यक औपचारिकता पूरी करते हुए नीलामी करायी जायेगी।
वहीं जिस जगह कीमती धातु मिलने की पुष्टि हुई है, उसके आसपास की पहाड़ियों में लगातार पन्द्र दिनों से हेलीकॉप्टर से सर्वे किया जा रहा है। हवाई सर्वे के माध्यम से यूरेनियम का भी पता लगाया जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक सोन व हरदी पहाड़ी के स्वर्ण अयस्क वाले क्षेत्र में सीमांकन का कार्य इसलिए किया जा रहा है, ताकि पता चल सके कि संबंधित खनिज संपदा वाला क्षेत्र वन भूमि अथवा राजस्व व भूमिधरी है।
वहीं प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद माैर्य ने आज अपने सोनभद्र दौरे के दौरान कहा कि सोनभद्र में जो स्वर्ण का भंडार मिला है उससे देश प्रदेश के साथ ही सोनभद्र जिले की भी गरीबी दूर होगी। अयोध्या में भगवान राम, काशी में बाबा विश्वनाथ के भव्य मंदिर निर्माण की दिशा में जो कदम बढ़े तो धरती माता ने भी अपना खजाना खोल दिया है।