सीएजी रिपोर्ट: वित्त मंत्रालय ने 1156 करोड़ बिना संसद की अनुमति के खर्च किए
नई दिल्ली, 12 फरवरी (हि.स.)। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक(सीएजी) ने वित्त मंत्रालय के बिना संसद की अनुमति लिए 1156 करोड़ 80 लाख रुपये खर्च करने पर कड़ी आपत्ति जताई है। सीएजी ने यह आपत्ति मंगलवार को संसद में वर्ष 2017-18 का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए दर्ज की। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि वर्ष 2017-18 के दौरान 1156 करोड़ 80 लाख रुपये का व्यय संसद का पूर्वोनुमोदन प्राप्त किए बिना किया गया। इसके लिए पूरी तरह से वित्त मंत्रालयदार है क्योंकि वित्त मंत्रालय इस तरह के व्यय के लिए एक उपयुक्त व्यवस्था निर्मित करने में असफल रहा है।
अपनी रिपोर्ट में सीएजी ने साफ लिखा कि संविधान के प्रावधानों के मुताबिक कई बार ऐसे खर्च करने होते हैं, जिन्हें नई सेवा/सेवा के नए साधन श्रेणी में डाल दिया जाता है लेकिन इस श्रेणी में व्यय राशि की एक सीमा निर्धारित की गई है। उससे ज्यादा व्यय होने पर संसद का पूर्व अनुमोदन अपेक्षित है। संसद की पब्लिक एकाउंट कमेटी(पीएसी) ने भी इस मामले को लेकर अपनी गंभीर टिप्पणी की है। पीएसी ने पाया कि यह गंभीर कमियां संबंधित मंत्रालय/विभाग के दोषपूर्ण बजट अनुमान तथा वित्तीय नियमावली के त्रुटिपूर्ण अनुपालन को दर्शाता है। ऐसे में वित्त मंत्रालय की ओर से सभी मंत्रालय/विभागों पर वित्तीय अनुशासन लागू करने हेतु एक प्रभावी व्यवस्था स्थापित करने की अनिवार्य आवश्यकता है।
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि संसद की पब्लिक अकाउंट कमेटी(पीएसी) की सिफारिशों के बावजूद वित्त मंत्रालय ने एक उपयुक्त व्यवस्था स्थापित नहीं की। जिसके परिणामस्वरूप 2017-18 के दौरान 13 अनुदानों के कई मामलों में संसद का पूर्व अनुमोदन प्राप्त किए बिना स्वीकृत निधि से कुल 1156 करोड़ 80 लाख रुपये का अधिक व्यय किया गया।
उल्लेखनीय है कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक(सीएजी) ने मंगलवार को वर्ष 2017-18 के प्रतिवेदन को संसद के दोनों सदन, लोकसभा एवं राज्यसभा में प्रस्तुत किया। प्रतिवेदन में मार्च,2018 को समाप्त हुए वर्ष के लिए संघ सरकार के वित्त लेखे तभा विनियोग लेखे की नमूना लेखापरीक्षा से मामलों को शामिल किया गया है। सीएजी यह प्रतिवेदन संविधान के अनुच्छेद-151 के तहत राष्ट्रपति को प्रस्तुत करने के लिए तैयार करता है। मंत्रालयों की ऑडिट रिपोर्ट्स भी सीएजी अलग से तैयार करता है।