‘सिटी ऑफ डेस्टिनी’ में शुरू हुआ अब तक का सबसे बड़ा बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘मिलान’
– हिन्द महासागर क्षेत्र में चीनी नौसेना के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर भारत की भूमिका महत्वपूर्ण
– विशाखापत्तनम के समुद्र में अभ्यास के लिए 13 राष्ट्रों ने अपनी-अपनी नौसेनाओं को भेजा
नई दिल्ली, 25 फरवरी (हि.स.)। ‘सिटी ऑफ डेस्टिनी’ के रूप में पहचान रखने वाले विशाखापत्तनम के समुद्र में शुक्रवार से अब तक का सबसे बड़ा बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘मिलान’ शुरू हुआ। इस समुद्री अभ्यास में भाग लेने के लिए 13 राष्ट्रों की नौसेनाएं विशाखापत्तनम पहुंची हैं। हिन्द महासागर क्षेत्र में चीनी नौसेना के बढ़ते प्रभाव और आक्रामक रुख का मुकाबला करने के मद्देनजर इस अभ्यास में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है।
नौसेना प्रवक्ता के अनुसार अभ्यास में भाग लेने के लिए 46 देशों को आमंत्रित किया गया था जिसमें से 40 नौसेनाओं ने अपने युद्धपोत भेजे हैं। भारत के साथ क्वाड बनाने वाले अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के भी युद्धपोत अभ्यास में भाग लेने के लिए आए हैं। इसके अलावा अपने जहाज भेजने वालों में वियतनाम, म्यांमार, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, बांग्लादेश और इंडोनेशिया की नौसेनाएं 13 देशों में शामिल हैं। इसके अलावा श्रीलंका, सिंगापुर, सेशेल्स और फ्रांस भी इस अभ्यास में शामिल हो रहे हैं। इस वर्ष भारत की सैन्य कूटनीति का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए रूस, यूनाइटेड किंगडम, इजरायल, सऊदी अरब, इराक, ईरान, ओमान, कतर, कुवैत और यूएई, ब्रुनेई, फिलीपींस, मालदीव, केन्या, इंडोनेशिया और मॉरीशस को भी आमंत्रित किया गया है।
विशाखापत्तनम में नौसैनिक अभ्यास ‘मिलान’ के हिस्से के रूप में 27 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगोष्ठी होगी जिसमें विशिष्ट वक्ता के रूप में हिस्सा लेने के लिए जापान मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स (जेएमएसडीएफ) के चीफ ऑफ स्टाफ (सीओएस) एडम हिरोशी यामामुरा चार दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंच गए हैं। उन्हें शुक्रवार को साउथ ब्लॉक लॉन में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके बाद भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार के साथ बातचीत हुई। दोनों नौसेना प्रमुखों ने दो पेशेवर नौसेनाओं के बीच चल रही उत्कृष्ट बातचीत पर प्रकाश डाला और क्षमता वृद्धि के लिए सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। इससे पहले एडमिरल यामामुरा ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीद वीरों को श्रद्धांजलि दी।
अभ्यास में भाग लेने के लिए वियतनामी पीपुल्स नेवी (वीपीएन) का एक गेपर्ड क्लास फ्रिगेट वीपीएनएस क्वांग ट्रुंग (016) भी विशाखापत्तनम पहुंचा है जिसका भारतीय नौसेना ने गर्मजोशी से स्वागत किया। वीपीएन और भारतीय नौसेना नियमित रूप से द्विपक्षीय अभ्यासों, बंदरगाह यात्राओं और प्रशिक्षण सहयोग के माध्यम से बातचीत करते हैं जिसके परिणामस्वरूप दोनों नौसेनाओं के बीच समझ, अंतरसंचालनीयता और विश्वास में वृद्धि हुई है। भारतीय नौसेना ने श्रीलंकाई नौसेना के उन्नत अपतटीय गश्ती पोत सयूराला (पी-623) के भारत पहुंचने पर स्वागत किया। एसएलएनएस सयूराला का निर्माण गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है और इसे 02 अगस्त, 2017 को श्रीलंकाई नौसेना में कमीशन किया गया था, जो भारत और श्रीलंका के बीच मौजूद करीबी नौसैनिक और समुद्री संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
भारतीय नौसेना ने फ्रांसीसी नौसेना के अपतटीय सहायता और सहायता पोत एफएस लॉयर (ए-602) का गर्मजोशी से स्वागत किया, जो बहुपक्षीय नौसेना अभ्यास में भाग लेने के लिए आज विशाखापत्तनम पहुंचा है। भारतीय नौसेना ने बीएनएस उमर फारूक (एफ 16) का भी स्वागत किया, जो बांग्लादेश नौसेना के फ्रिगेट को ले जाने वाला एक हेलीकॉप्टर है। अमेरिकी नौसेना के बहु-मिशन समुद्री गश्ती और टोही विमान पी-8ए भी बहुपक्षीय नौसेना अभ्यास में भाग लेने के लिए नौसेना वायु स्टेशन आईएनएस देगा पर पहुंचा। दोनों नौसेनाओं के बीच परिचालन संबंधी बातचीत में मालाबार और रिमपैक शृंखला के अभ्यास, प्रशिक्षण आदान-प्रदान और विभिन्न क्षेत्रों में विषय विशेषज्ञ शामिल हैं।
नौसेनाओं का बहुपक्षीय अभ्यास ‘मिलान’ दो चरणों में कुल 9 दिन में पूरा होगा। बंदरगाह चरण 25 से 28 फरवरी तक तथा समुद्री चरण 01 से 04 मार्च तक पूरा होगा। भारत 2022 में अपनी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है, इसलिए यह नौसैनिक अभ्यास में मित्र देशों के साथ भागीदारी भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है। इस अभ्यास का उद्देश्य मित्र देशों की नौसेनाओं के बीच पेशेवर बातचीत के माध्यम से अभियानगत कौशल को बेहतर बनाना, सर्वोत्तम प्रथाओं एवं प्रक्रियाओं को आत्मसात करना और समुद्री क्षेत्र में सैन्य नीतियों से जुड़ी सैद्धांतिक शिक्षा का अवसर पाना है।