सिगरेट-बीड़ी के टोंटे विषाक्त अपशिष्ट हैं या नहीं पर एनजीटी ने अध्ययन करने को कहा
नई दिल्ली, 13 अप्रैल (हि.स.)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने वन और पर्यावरण मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वह इस बात पर अध्ययन करे कि सिगरेट-बीड़ी के टोंटे (बट) विषाक्त अपशिष्ट है या नहीं। जस्टिस रघुवेंद्र एस राठौर की अध्यक्षता वाली बेंच ने वन और पर्यावरण मंत्रालय को यह भी निर्देश दिया है कि यह अध्ययन लखनऊ स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च (आईआईटीआर) से कराएं और दो महीने में इसकी रिपोर्ट सौंपे।
शनिवार को एनजीटी ने कहा कि अगर आईआईटीआर अपने अध्ययन में पाता है कि सिगरेट-बीड़ी के बट विषाक्त अपशिष्ट की श्रेणी में आता है तो उसके मुताबिक नियमों में संशोधन करें। सुनवाई के दौरान केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनजीटी को बताया कि उसके पास इसके लिए पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है कि वो सिगरेट औऱ बीड़ी के बट की जांच कर सके। इस पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आईआईटीआर लखनऊ का नाम सुझाया।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले की सुनवाई के दौरान एनजीटी ने केंद्रीय पर्यवारण और वन मंत्रालय की इस बात के लिए फटकार लगाई थी कि उसने सिगरेट के बट को बायोडिग्रेडेबल बताया था। एनजीटी ने कहा था कि बीड़ी और सिगरेट के बट खतरनाक हैं। आप उन्हें बायोडिग्रेडेबल कैसे कह सकते हैं।
25 मई 2018 को याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने कहा था कि ये गंभीर मुद्दा है और इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है। एनजीओ डॉक्टर्स फॉर यू नामक संस्था ने मांग की है कि सिगरेट और बीड़ी पीने जितना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं उतना ही नुकसान उनके बट से होता है। याचिका में कहा गया है कि तंबाकू के उपयोग से लेकर उसकी खेती और उसके निस्तारण तक की पूरी प्रक्रिया के दौरान पर्यावरण को गंभीर नुकसान होता है। कई बार तो सिगरेट और बीड़ी के पीने के बाद उसका बट फेंकने से जंगलों में आग भी लग जाती है।