सिख विरोधी दंगा: सीबीआई को जगदीश टाइटलर के खिलाफ जांच में तेजी लाने के निर्देश
नई दिल्ली (हि.स.)। दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में सीबीआई को कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ जांच में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। सुनवाई के दौरान सीबीआई ने जब एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अमित अरोड़ा को बताया कि आर्म्स डीलर अभिषेक वर्मा के लाई डिटेक्टर टेस्ट दिसंबर 2018 में कराया गया था लेकिन फॉरेंसिक वैज्ञानिक उपलब्ध नहीं होने की वजह से रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई है। इस पर कोर्ट ने दो हफ्ते में रिपोर्ट पूरी करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 8 मार्च को होगी।
सीबीआई ने सीलबंद लिफाफे में रेगुलर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल किया और कहा कि उन्हें कनाडा की सरकार से कुछ सवालों के जवाब मिले हैं।
इसके पहले कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वो कनाडा की सरकार को पत्र लिखकर केस के बारे में जानकारी पता करें क्योंकि इस मामले का एक गवाह कनाडा में रहता है। सुनवाई के दौरान दंगा पीड़ितों के वकील एचएस फुल्का ने कहा कि गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। इस बात के सबूत मिले हैं कि इस मामले के एक प्रमुख गवाह को जगदीश टाइटलर ने कनाडा भेज दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि गवाह सुरेंदर सिंह के बेटे नरेंदर सिंह को टाइटलर ने कनाडा भेज दिया और उसके बेटे के जरिए बयान बदलने का दबाव डाला जा रहा है।
जून 2015 में अभिषेक वर्मा ने अपने बयान में कहा था कि जगदीश टाइटलर 2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिला था जिसके बाद उसे सीबीआई ने क्लीन चिट दे दी थी। वर्तमान के इस बयान के बाद सीबीआई ने कोर्ट से मांग की है कि अभिषेक वर्मा और जगदीश टाइटलर का लाई डिटेक्टर टेस्ट कराया जाए। टाइटलर ने लाई डिटेक्टर टेस्ट देने से मना कर दिया था।
उल्लेखनीय है कि यह मामला 01 नवंबर,1984 का है जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उत्तरी दिल्ली के पुलबंगश गुरुद्वारा में तीन सिखों की हत्या कर दी गई थी। जिन लोगों की हत्या की गई थी उनमें बादल सिंह, ठाकुर सिंह और गुरुचरण सिंह शामिल थे। इस मामले में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल किया था, जिसके खिलाफ पीड़ितों ने याचिका दायर की थी। जिसके बाद कोर्ट ने 2015 में सीबीआई को फिर से जांच करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा था कि वो हर दो महीने पर जांच की मॉनिटरिंग करेगी।