सातवां चरण : यूपी में भाजपा का पलड़ा भारी, विपक्ष के पास अस्तित्व बचाने की लाचारी

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लखनऊ, 13 मई (हि.स.)। छठे चरण का चुनाव प्रचार खत्म होते ही शनिवार से पूर्वांचल में जमावड़ा शुरू हो गया। सातवें चरण में पूर्वांचल की 13 सीटें हैं। इनमें एक तरफ प्रधानमंत्री की सभाएं ताबड़तोड़ हो रही हैं तो दूसरी ओर मायावती व अखिलेश यादव की भी सभाएं हो रही हैं।

 आखिरी चरण में पूर्वांचल के महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव(अनुसूचित जाति), घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मीरजापुर और राबर्ट्सगंज (अनुसूचित जाति) शामिल हैं। इस चरण के चुनाव में धार्मिक और राष्ट्रवाद दोनों ही दृष्टि से पलड़ा भारी होता दिख रहा है। वहीं महागठबंधन और कांग्रेस अस्तित्व बचाने के लिए जुझता नजर आ रहा है।

 इस क्षेत्र में कुल 167 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिनके भाग्य का फैसला 2.32 करोड़ मतदाता करेंगे। इस चरण में पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं जहां 18 से 19 के मतदाताओं की संख्या 2,19,473 है, वहीं 80 वर्ष से अधिक उम्र के मतदाताओं की संख्या 3,77,515 है। इसमें 13,979 मतदान केंद्र और 25,875 मतदेय स्थल हैं। इस चरण में 1416 मतदाता थर्ड जेंडर के हैं।

महराजगंज लोकसभा क्षेत्र

यहां कुल 14 उम्मीदवार मैदान में हैं। वर्तमान सांसद पंकज चौधरी पर ही भाजपा ने भराेसा जताया है। 2014 में पंकज ने बसपा के काशीनाथ शुक्ला को 2,40,458 मतों से पराजित किया था। पंकज चौधरी को 4,71,542 वोट मिले थे, जबकि काशीनाथ शुक्ला को 2,31,084 वोट मिले थे। सपा के अखिलेश सिंह को 2,13,974 मत मिले थे। यदि सपा और बसपा का वोट मिला भी दिया जाय तो उससे अधिक वोट पंकज चौधरी पाये थे। इस सीट से पंकज चौधरी पांच बार सांसद चुने जा चुके हैं। यहां महागठबंधन के उम्मीदवार सपा के अखिलेश सिंह मैदान में हैं, जबकि कांग्रेस ने सुप्रिया श्रीनेत्र काे टिकट दिया है।

गोरखपुर सीट

इस चरण की वीआईपी सीटों में गाेरखपुर का भी प्रमुख स्थान है। यहां कुल 10 उम्मीदवार हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ का क्षेत्र होने और सीने स्टार रविकिशन का चुनाव मैदान में आने के कारण यह सीट चर्चा में है। 2014 में यहां से योगी आदित्यनाथ को 5,39,127 मत मिले थे, जबकि सपा उम्मीदरवार 2,13,974 मत पाकर दूसरे नम्बर पर थे लेकिन यहां योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद खाली हुई सीट पर सपा उम्मीदवार ने बाजी मार ली थी। यहां सीने स्टार के आने के कारण चुनाव दिलचस्प हो गया है। एक तरफ जहां युवाओं में सीने स्टार का क्रेज सिर चढ़कर बोल रहा है। वहीं दूसरी तरफ योगी आदित्यनाथ का प्रभाव यहां स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।

कुशीनगर सीट

कुशीनगर लोकसभा सीट पर कुल 14 उम्मीदवार हैं। यहां से भाजपा ने अपने सांसद राजेश पांडेय का टिकट काटकर विजय दुबे को टिकट दिया है। पिछली बार राजेश पांडेय को 3,70,051 मत पाए थे, जबकि 28,4,511 मत पाकर कांग्रेस उम्मीदवार रतनजीत प्रताप सिंह दूसरे नम्बर पर रहे। बसपा के संगम मिश्रा तीसरे स्थान पर थे। इस बार महागठबंधन से सपा उम्मीदवार नथुनी सिंह कुशवाहा, जबकि कांग्रेस से आरपीएन सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। यहां मुख्य लड़ाई कांग्रेस और भाजपा के बीच है।

देवरिया सीट

देवरिया लोकसभा सीट पर कुल 11 उम्मीदवार मैदान में हैं। यहां ज्यादा उम्र होने के कारण भाजपा के सांसद कलराज मिश्र ने इस बार चुनाव लड़ने से मना कर दिया था। इस कारण यहां से भाजपा ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापतिराम त्रिपाठी को मैदान में उतारा है। पिछली बार कलराज मिश्र 4,96,500 मत मिले थे, जबकि दूसरे नम्बर पर रहे बीएसपी उम्मीदवार को 2,31,114 मत मिले थे। ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या ज्यादा होने और राष्ट्रवाद के नाम पर रमापति राम का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है।

बासगांव

इस चरण में सबसे कम उम्मीदवार बासगांव सीट पर ही हैं। यहां मात्र चार उम्मीदवार मैदान में हैं। यहां से भाजपा के युवा नेता कमलेश पासवान सांसद हैं। 2014 में हुए चुनाव में इन्‍हें 4,17,959 वोट मिले थे। वहीं 2,28,443 वोटों के साथ बसपा के सदल प्रसाद दूसरे स्थान पर रहे, जबकि सपा के गोरख प्रसाद को 1,33,675 मत मिले थे। दोनों के मतों का ध्रूवीकरण भी देखा जाय तो तब भी 49,841 मत से भाजपा उम्मीदवार आगे थे। इस बार भी वहीं दोनों पुराने चेहरे हैं। इस आरक्षित सीट पर कुल पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें चौरीचौरा, बांसगांव, चिल्लूपार, रूद्रपुर और बरहज शामिल हैं। यह सीट 1991 से पहले कांग्रेस के पाले में ज्यादा रही लेकिन अब यहां कांग्रेस का जनाधार न के बराबर है।

घोसी लोकसभा

घोसी लोकसभा सीट पर भाजपा ने वर्तमान सांसद हरीनारायण राजभर पर भरोसा जताया है, जबकि महागठबंधन ने अतुल राय को अपना उम्मीदवार बनाया है। पिछली बार हरि नारायण राजभर को 3,79,797 मत मिले थे, जबकि बसपा उम्मीदवार दारा सिंह चौहान को 2,33,782 मत पाये थे। इस बार अतुल राय पर चुनाव के दौरान ही एक युवती द्वारा दुराचार का आरोप लगाने के बाद वहां के लोगों के बीच दुराचारी बनाम राष्ट्रवादी का मुद्दा जोर-शोर से उछल रहा है।

सलेमपुर

 सलेमपुर लोकसभा सीट पर भाजपा ने पुन: वर्तमान सासंद रविन्द्र कुशवाहा पर ही भरोसा जताया है। वहीं महागठबंधन उम्मीदवार के रूप में बसपा उम्मीदवार आरएस कुशवाहा चुनाव मैदान में हैं, जबकि कांग्रेस ने राजेश मिश्रा को टिकट दिया है। इस सीट पर कांग्रेस का संगठन काफी कमजोर है। राजेश मिश्र सिर्फ वोट काटने का ही काम कर सकते हैं। पिछली बार यहां से रवींद्र कुशवाहा ने 3,92,213 वोट लेकर जीत हासिल की थी। वहीं दूसरे पायदान पर बसपा के रविशंकर सिंह रहे थे, जिन्हें 1,59,871 वोट मिले थे। जबकि सपा उम्मीदवार को 159,688 मत मिले थे। दोनों का मत मिलाकर भी रविंद्र कुशवाहा 72,654 मत ज्यादा थे।

बलिया

बलिया लोकसभा क्षेत्र में बलिया की तीन विधानसभाएं और गाजीपुर की लोकसभाएं आती हैं। यहां के वर्तमान सासंद भरत सिंह का टिकट काटकर भाजपा ने भदोही के सासंद और किसान नेता के रूप में विख्यात विरेंद्र सिंह मस्त को चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि महागठबंधन यहां अंतिम दौर तक उम्मीदवार के चयन में जुझता रहा। अंत में जाकर यहां से सनातन मिश्रा को टिकट दिया। वर्तमान में सनातन जमीनी राजनीति से दूर थे। एक बार वे विधायक रह चुके हैं। यहां से हर दृष्टि से विरेंद्र सिंह मस्त का पलड़ा भारी होता दिख रहा है। पिछली बार यहां से भरत सिंह को 3,59,758 मत मिले थे, जबकि सपा के नीरज शेखर 220,324 मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे।

गाजीपुर

गाजीपुर लोकसभा सीट पर विकास पुरूष के रूप में लोगों के बीच प्रसिद्ध वर्तमान सासंद और केंद्रीय राज्य मंत्री मनोज सिन्हा को ही टिकट दिया है, जबकि महागठबंधन से हत्या सहित कई मामलों के आरोपित मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को मैदान में उतारा है। पिछली बार मनोज सिन्हा गाजीपुर क्षेत्र चुनाव लड़ना नहीं चाहते थे। वे अब बनारस और भाजपा संगठन में ही ज्यादा समय दे रहे थे लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट दे दिया। अचानक आने के बावजूद मनोज सिन्हा को 306929 मत मिले, जबकि दूसरे नम्बर पर सपा की शिवकन्या रहीं, जिन्हें 2,74,477 मत मिले थे। वहीं बसपा उम्मीदवार 2,41,645 मत मिले थे। इस बार पूर्वांचल में बनारस के बाद सबसे ज्यादा अपने जिले में काम कराने के कारण राष्ट्रवार और विकास बनाम अपराधवाद का नारा वहां चल रहा है। दोनों के बीच लड़ाई कांटे की है।

चंदौली

 चंदौली संसदीय सीट पर भाजपा ने जहां वर्तमान सांसद व प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पांडे पर ही भरोसा जताया है, वहीं महागठबंधन से सपा ने ओमप्रकाश सिंह पर दांव लगाया है। यहां से पिछली बार को 4,14,135 वोट मिले थे। वहीं बसपा के अनिल कुमार मौर्य 2,57,379 वोटों के साथ दूसरे और सपा के रामकिशन 204145 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे। यहां कुल 13 उम्मीदवार मैदान में हैं। यहां के लिए जहां ओम प्रकाश सिंह नए उम्मीदवार हैं, वहीं महेन्द्र नाथ पांडेय पांच साल में घर-घर  से वाकिफ हो चुके हैं।

वाराणसी

वाराणसी में कुल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कुल 26 उम्मीदवार मैदान में हैं। यहां पर इस बार लड़ाई जीत-हार की नहीं, वोटों के अंतर की लड़ाई है। यहां यह देखना होगा कि जीत के अंतर में प्रधानमंत्री पिछले सभी रिकार्डों को ध्वस्त कर पाते हैं अथवा नहीं। प्रियंका वाड्रा का पहले यहां से चुनाव लड़ने की चर्चा थी लेकिन उनके मैदान में न आने से यहां घमासान ही खत्म हो गया। अजय राय की पिछली बार जमानत जब्त हो गयी थी। 2014 में प्रधानमंत्री 3,71,784 मतों से विजयी हुए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जहां 5,81,022 मत मिले थे, वहीं दूसरे स्थान पर रहे अरविंद केजरीवाल को 3,71,784 मत मिले थे।

मिर्जापुर व राबर्ट्सगंज

मिर्जापुर से जहां केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल चुनाव मैदान में हैं, वहीं कांग्रेस के ललितेश पति त्रिपाठी और  सपा से राम चरित निषाद चुनाव लड़ रहे हैं। पिछली बार अनुप्रिया पटेल को 4,36,536 मत मिले थे, वहीं बसपा के समुंद्र बिंद 2,17,457 मत पाकर दूसरे नंबर पर रहे। इस बार मुकाबला त्रिकोणीय है। वहीं सुरक्षित सीट राबर्ट्सगंज भाजपा ने अपना दल के खाते में दिया है। यहां अपना दल ने पिछली बार यहीं से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके पकौड़ी लाल कोल को उम्मीदवार बनाया है। सपा ने भाई लाल कोल को तो कांग्रेस ने भगवती प्रसाद चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है।


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