समीकरणों में उलझी सीट को सुलझाने के लिए ‘मोदी’ का सहारा
देवरिया, 14 मई (हि.स.)। सलेमपुर लोकसभा की सीट समीकरणों में उलझ गई है जिसे सुलझाने के लिए भाजपा को ‘मोदी’ शब्द का सहारा लेना पड़ रहा है। अब देखना है कि लोकतंत्र के पहरेदार (मतदाता) कितनी सूझबूझ से अपने वोट का इस्तेमाल करके किस प्रमुख उम्मीदवार को संसद की चौखट तक भेजते हैं।
भाजपा के उम्मीदवार रविन्द्र कुशवाहा निवर्तमान सांसद हैं। पार्टी ने दोबारा टिकट देकर उनसे यहां फिर ‘कमल’ खिलाने की उम्मीद की हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने बसपा के रविशंकर सिंह उर्फ पप्पू को हराया था। इनके पिता स्व. हरिकेवल प्रसाद चार बार इसी क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं। कांग्रेस उम्मीदवार डा. राजेश कुमार मिश्र ने बीएचयू बनारस से राजनीति की शुरुआत की थी। वे छात्रसंघ के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। वह दो बार एमएलसी और 2004 में वाराणसी से कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़कर सांसद रह चुके हैं। कांग्रेस ने इस बार उन्हें टिकट देकर सलेमपुर लोकसभा सीट पर वनवास से वापसी की उम्मीद की है।
बसपा के प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा इस बार सपा-बसपा गठबंधन से चुनाव लड़ रह हैं। वे लखीमपुर खीरी के रहने वाले हैं।उन्हें 2018 में प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई थी। वह 2002 में निघासन लखीमपुर खीरी से विधायक और 2016 तक एमएलसी रह चुके हैं।
अब तक के सांसद
1952-सरयू-कांग्रेस
1957-विश्वनाथ राय-कांग्रेस
1967-तारकेश्वर पाण्डेय-कांग्रेस
1972-तारकेश्वर पाण्डेय-जनता पार्टी
1977-रामनरेश कुशवाहा-कांग्रेस
1980-रामनगीना मिश्र-जनता दल
1989-हरिकेवल प्रसाद-जनता दल
1991-हरिकेवल प्रसाद-सपा
1996 हरिवंश सहाय-समता पार्टी
1998-हरिकेवल प्रसाद कुशवाहा-बसपा
1999-बब्बन राजभर-सपा
2004-हरिकेवल प्रसाद कुशवाहा-बसपा
2009-रमाशंकर राजभर-भाजपा
2014-रविन्द्र कुशवाहा-भाजपा