सबरीमाला के बाद पवित्र अगस्त्यमाला पर महिला प्रवेश को लेकर केरल में छिड़ा विवाद
तिरुवनन्तपुरम (हि.स.)। केरल में सबरीमाला के बाद ऋषि अगस्त्य की साधना स्थली ‘अगस्त्यमाला’ में महिलाओं के प्रवेश को लेकर राज्य में विवाद छिड़ गया है। सबरीमाला की तरह ही अगस्त्यमाला या अगस्त्यकूडम में भी महिलाओं के प्रवेश पर परम्परा के अनुसार पाबंदी है।
एक महिला सैन्य अधिकारी की अगुवाई में पर्वतारोही यात्रियों का एक दल आज आधारशिविर बोनकुड़ से इस शिखर की ओर रवाना हुआ। दल में कुल 100 लोग हैं। दल की एकमात्र महिला सदस्य के. धन्या सनल रक्षा विभाग में प्रवक्ता हैं। यह पूरा इलाका संरक्षित वन क्षेत्र है और यूनेस्को की विरासत सूची में है। इस पर्वतीय और वन क्षेत्र में दुर्लभ जड़ी बूटियां भी पाई जाती हैं, जिनसे असाध्य रोगों की औषधियां भी बनती हैं।
स्थानीय आदिवासी इसे सदियों से चली आ रही परंपरा का उल्लंघन मान रहे हैं। इस पर्वतीय इलाके में कणी आदिवासी रहते हैं और पूजा स्थल उन्हीं के सरंक्षण में है। परंपरा के अनुसार महिलाएं और 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे यहां नहीं आते। सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दिए जाने के बाद नवंबर महीने में केरल उच्च न्यायालय ने अगस्त्यकूडम में महिलाओं को जाने की अनुमति दे दी थी।
स्थानीय आदिवासियों ने पवित्र स्थल तक महिला की यात्रा का विरोध करते हुए आधारशिविर पर शांतिपूर्ण तरीके से धरना दिया। उन्होंने यात्रियों को रोकने की कोशिश नहीं की लेकिन उनसे आग्रह किया कि वे सदियों से चली आ रही परम्परा का सम्मान करें।
केरल आदिवासी महासभा के अध्यक्ष मोहनन त्रिवेणी ने कहा कि कणी आदिवासियों में बहुत क्षोभ और गुस्सा है। बाहरी लोग हमारी परम्पराओं का उल्लंघन कर रहे हैं। आदिवासी उच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन वे परंपरा के उल्लंघन पर अपना विरोध अवश्य दर्ज कराना चाहते हैं।
सबरीमाला बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता अगस्त्यकूडम में महिला प्रवेश को परंपरा पर एक नया हमला करार दे रहे हैं।
अगस्त्यकूडम या अगस्त्यमाला राजधानी से करीब 50 किलोमीटर दूर है और 1868 मीटर ऊंचे पर्वत पर ऋषि अगस्त्य की साधना स्थली है। चोटी पर स्थित पूजा स्थल पर ऋषि अगस्त्य की मूर्ति है। पूजास्थल आदिवासियों की देखरेख में है। 28 किलोमीटर के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र से गुजरते और चढ़ाई करते हुए श्रद्धालु पूजा स्थल तक पहुंचते हैं। परंपरा के अनुसार महिलाएं और 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे यहां नहीं आते।