सदर सीट पर बीजेपी को हैट्रिक लगाने में आधी आबादी का बड़ा रोल

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– पहली बार पूर्व मंत्री का प्रोफेसर पुत्र बना एमएलए
हमीरपुर, 11 मार्च (हि.स.)। जिले में विधानसभा की दोनों सीटों पर कांग्रेस को इस बार भी सदर सीट से पूर्व मंत्री के प्रोफेसर बेटे की जीत के लिए आधी आबादी का अहम रोल सामने आया है। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में सर्वाधिक महिलाओं के वोट करने से गैर बीजेपी दलों के बने बनाए जातीय समीकरण फेल हो गए है। अबकी बार बीजेपी ने जहां सदर सीट पर हैट्रिक लगाई है वहीं उसके वोटों का ग्राफ भी डेढ़ फीसदी से अधिक बढ़ा है।
सुमेरपुर क्षेत्र के पौथिया गांव के रहने वाले डाॅ. मनोज कुमार प्रजापति औरैया में एक निजी महाविद्यालय में प्रोफेसर है। इनके पिता शिवचरण प्रजापति हमीरपुर सदर सीट से तीन बीएसपी से व एक बार एसपी से एमएलए रहे है। मायावती की सरकार में शिवचरण प्रजापति राज्यमंत्री भी बने थे। चुनावी गुणा भाग करने वाले पूर्व प्रधान बाबूराम प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि इस बार हमीरपुर सदर सीट पर 63.87 फीसदी वोट पड़े थे जिसमें सर्वाधिक 64.00 फीसदी महिलाओं ने वोट किया है।
पोलिंग बूथों पर आधी आबादी कही जाने वाली महिलाओं का वोट देने के लिये मेला भी लगा रहा। उनके उत्साह से अंदाजा भी हो गया था कि बीजेपी लड़ाई में बहुत आगे है। इसके अलावा इस बार पिछड़े और दलितों के मतों के एकजुट होने के कारण भी बीजेपी को बड़ा फायदा हुआ है। सरकार की तमाम योजनाओं से भी इस वर्ग के मतदाता प्रभावित हुए है। इस विधानसभा क्षेत्र में ठाकुर बिरादरी के बलबूते पूर्व सांसद अशोक सिंह चंदेल की पत्नी राजकुमारी चंदेल भी जातीय समीकरण बनाने में बुरी तरह फेल हो गई।
सदर क्षेत्र में एक दशक में बीजेपी का बढ़ा तेरह फीसदी वोट
सदर विधानसभा क्षेत्र में पिछले 10 सालों में बीजेपी का वोट तेरह फीसदी तक बढ़ा है। यहां पार्टी के बढ़ते जनाधार से विपक्ष पूरी तरह से सफा हो गया है। वर्ष 2012 में साध्वी निरंजन ज्योति ने सदर सीट से बीजेपी का कमल खिलाया था। उन्हें सिर्फ 27.59 फीसदी वोट मिले थे वहीं वर्ष 2014 के उपचुनाव में पार्टी के खाते में 15 फीसदी वोट भी नहीं आ सके थे। 2017 के चुनाव में सदर सीट पर बीजेपी की जीत हुई थी। पार्टी को 43.90 फीसदी वोट मिले थे जबकि वर्ष 2019 के उपचुनाव में बीजेपी जीती थी। पार्टी ने 38.55 फीसदी वोट लेकर कमल खिलाया था। इस बार 2022 के चुनाव में बीजेपी ने सदर सीट पर तीसरी बार कमल खिलाया है बल्कि पार्टी के खाते में भी 40.14 फीसदी वोट आया है।
साइकल की सवारी से दो बार प्रोफेसर को मिल था तगड़ा झटका
अखिलेश यादव की साइकल की सवारी से प्रोफेसर मनोज प्रजापति को चुनाव मैदान में दो बार तगड़ा झटका मिला था। इन्होंने वर्ष 2017 में सदर सीट से अखिलेश यादव की साइकल के सिम्बल से चुनाव मैदान में पहली बार बाहुबली अशोक सिंह चंदेल से सीधी टक्कर ली थी लेकिन मोदी की आंधी में वह चुनाव मैदान में टिक नहीं सके। वह 62,233 मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे। यहां अशोक सिंह चंदेल ने बीजेपी का कमल खिलाया था। एमएलए चंदेल के सामूहिक हत्याकांड में जेल जाने के बाद वर्ष 2019 में फिर इस सीट पर उपचुनाव कराए गए तो एसपी के टिकट से मनोज प्रजापति दोबारा चुनाव मैदान में आए लेकिन बीजेपी की सुनामी में 17867 मतों से उन्हें पराजित होना पड़ा था।
पिता की तरह पाला बदलने पर प्रोफेसर बने एमएलए
प्रोफेसर मनोज प्रजापति ने सियासी खेल में दांवपेंच अपने पिता से सीखे है। इनके पिता शिवचरण प्रजापति ने बीएसपी में इन्ट्री लेकर सियासी पारी शुरू की थी। वह तीन बार बीएसपी से एमएलए बने और एक बार राज्यमंत्री भी मायावती की सरकार में बने थे। वर्ष 2012 के चुनाव में बीएसपी ने पूर्व मंत्री शिवचरण प्रजापति का टिकट काटा तो ये पार्टी छोड़कर अखिलेश यादव की साइकल में सवार हो गए। 2014 के उपचुनाव में इन्होंने 68,556 मतों से जीत का परचम फहराया। उन्हें 1,12,995 मत मिले थे। अपने पिता की तरह अबकी बार प्रोफेसर ने टिकट न मिलने से नाराज होकर एसपी में बगावत कर बीजेपी में इन्ट्री ली थी जिससे उनके एमएल बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया।
जन अधिकार पार्टी समेत 6 निर्दलीय ने झटके 11100 वोट
इस बार सदर सीट में नौ प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे जिनमें बीजेपी के मनोज प्रजापति को सर्वाधिक 1,05,432 वोट मिला वहीं एसपी के रामप्रकाश प्रजापति को 79,947, बीएसपी के रामफूल निषाद को 47,299, कांग्रेस की प्रत्याशी राजकुमारी चंदेल को 16,437 वोट मिला है। जन अधिकार पार्टी के विजय कुमार को 4,204 वोट मिले जबकि सीपीआई के जमाल आलम को 3,009 मत मिले। निर्दलीयों में अनंतराम को 1,875, भवानादीन को 1,012 व राजेन्द्र कुमार को 1,000 वोट मिला है। इसके अलावा इस बार जन अधिकार पार्टी व सीपीआई समेत पांच उम्मीदवारों ने 11,100 वोट झटके है। यहीं नही इस बार सदर विधानसभा क्षेत्र में 2459 मतदाताओं ने किसी भी दल पर भरोसा न कर नोटा में वोट किया।


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