शिमला लोकसभा सीट : भाजपा और कांग्रेस विधायकों पर बढ़त दिलाने का दवाब
शिमला, 14 मई (हि.स.)। हिमाचल में 19 मई को होने वाले मतदान के लिए चुनाव प्रचार चरम पर पहुंच गया है। कांग्रेस और भाजपा के स्टार प्रचारक उम्मीदवारों के पक्ष में जगह-जगह जनसभाएं कर रहे हैं। दोनों दलों के विधायकों पर अपने हलकों में पार्टी के उम्मीदवारों को बढ़त दिलाने का दवाब रहेगा।
आरक्षित शिमला संसदीय क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला है। दोनों दलों ने मौजूदा विधायकों को मैदान में उतार चुनावी रण को रोचक बना दिया है। कांग्रेस की तरफ से धनीराम शांडिल और भाजपा से सुरेश कश्यप चुनाव मैदान में हैं।
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में शिमला लोकसभा सीट में तीन जिलों शिमला, सोलन और सिरमौर के 17 विधानसभा क्षेत्रों में से आठ में भाजपा, आठ में कांग्रेस और एक में माकपा विधायक जीतकर आए हैं। दोनों दल ने विधायकों को अपने-अपने हलकों में बढ़त दिलाने के निर्देश दिए हैं। विधायकों को आगे कर नुक्कड़ सभाएं हो रही हैं।
भाजपा की बात करें तो सुरेश कश्यप को अपने हलके में बढ़त दिलाना आठ विधायकों को सबसे बड़ी चुनौती होगी। 2014 के चुनाव में भाजपा को 13 हलकों में बढ़त मिली थी। उस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और मोदी लहर में कांग्रेस हाशिए पर चली गई थी। लेकिन अब सत्ता में आने के बाद विधायकों की यह पहली परीक्षा है। तब भाजपा के वीरेंद्र कश्यप दूसरी बार सांसद बने थे। उन्होंने कांग्रेस के मोहन लाल को 84 हजार वोटों से हराया था। वीरेंद्र कश्यप को 3.85 लाख और मोहन लाल को 3.01 लाख वोट मिले थे।
सोलन, शिमला शहरी, रोहड़ू, चौपाल, अर्की, कसौली व नाहन हलकों पर सबकी नजर रहेगी। सोलन सदर से कांग्रेस उम्मीदवार धनीराम शांडिल और पच्छाद से भाजपा के सुरेश कश्यप को कितनी बढ़त मिलती है, इसके लिए दोनों दल पूरा दमखम लगा रहे है।
शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज, सामाजिक न्याय मंत्री राजीव सहज़ल और मुख्य सचेतक नरेंद्र बरागटा पर भाजपा उम्मीदवार, तो पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह पर कांग्रेस उम्मीदवार को बढ़त दिलाने का दारोमदार है।
वीरभद्र सिंह सोलन के अर्की से विधायक हैं। अपने हलके के अलावा शिमला और सोलन जिलों में कांग्रेस उम्मीदवार को बढ़त दिलाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी उनके कंधों पर है।। ठियोग से माकपा विधायक राकेश सिंघा कांग्रेस उम्मीदवार को समर्थन दे रहे हैं।