विश्व की समस्याओं का हल दे सकता है हिन्दू दर्शन : प्रधानमंत्री

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नई दिल्ली, 08 सितम्बर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि हिन्दू दर्शन विश्व के समक्ष आ रही कई समस्याओं का हल दे सकता है। प्रधानमंत्री ने यह बातें शिकागो में 07 से 09 सितम्बर तक आयोजित दूसरे विश्व हिन्दू कांग्रेस में भेजे अपने संदेश में कही है। साथ ही, उन्होंने हिंदुत्व के विचारों से अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल का आह्वान किया। सम्मेलन में प्रधानमंत्री का यह संदेश प्रतिष्ठित भारतीय- अमिरकी भारत बराई ने पढ़ा।
विश्व हिन्दू कांग्रेस को दो पेज के भेजे अपने संदेश में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘यह सम्मेलन जिस प्रकार से विचारकों, विद्वानों, बुद्धिजीवियों, प्रबुद्ध विचारकों को एक साथ लाया है वह सराहनीय है।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि हिंदुत्व मानवजाति के इतिहास में सबसे पुराना मत है। उन्होंने कहा कि हिन्दू दर्शन के विभिन्न पहलुओं में हम उन अनेक समस्याओं का हल निकाल सकते हैं जिन्हें विश्व ने आज जकड़ा हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्हें इस बात की प्रसन्नता है कि यह सम्मेलन शिकागो में हो रहा है जो प्रत्येक भारतीय को उस गौरवान्वित क्षण की याद दिलाता है जब स्वामी विवेकानंद ने 1893 में ‘विश्व धर्म संसद’ को संबोधित किया था। वह भी 125 वर्ष पहले सितंबर के महीने में।
उन्होंने कहा कि विभिन्न प्राचीन महाकाव्यों एवं शास्त्रों को डिजिटल स्वरूप में लाने से युवा पीढ़ी उनके साथ बेहतर तरीके से जुड़ सकेगी। उन्होंने कहा, ‘यह आने वाली पीढ़ी के लिए महान सेवा होगी।’ उन्होंने आगे कहा है कि मोदी ने कहा, ‘प्रौद्योगिकी के युग में मैं विशेष रूप से इस सम्मेलन के सम्मानित प्रतिनिधियों का आह्वान करता हूं कि वे उन तरीकों पर विचार करें जिनके इस्तेमाल से हिंदुत्व के विचार से अधिक से अधिक लोगों को जोड़ा जा सकता है।’
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में 60 से अधिक देशों के करीब 2500 प्रतिनिधि और कई हिंदू नेता शामिल हुए। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में उम्मीद जताई कि सम्मेलन में इस बात पर विचार किया जाएगा कि भारत अपने ज्ञान के प्राचीन खजाने के माध्यम से बौद्धिक एवं सांस्कृतिक रूप से विश्व के साथ किस तरीके से बेहतर ढंग से जुड़ सकता है। इसका मकसद यह होना चाहिए हमारी भावी पीढ़ी बेहतर ढंग से जीने और आगे बढ़ने के लिए कैसे समझ विकसित कर सके और साझेदारी कर सके।


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