विभाग-वार रोस्टर के खिलाफ डूटा ने संसद तक निकाला मार्च
नई दिल्ली (हि.स.)। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के बैनर तले मंगलवार को शिक्षकों ने नियुक्ति में विभाग-वार रोस्टर लागू करने के विरोध में मंडी हाउस से संसद तक मार्च निकाला। इस दौरान केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे शिक्षकों को जंतर-मंतर से आगे नहीं बढ़ने देने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा। शिक्षकों ने सरकार से इस मुद्दे पर अध्यादेश लाने की मांग की है।
इस दौरान डूटा अध्यक्ष डॉ राजीव रे, पूर्व डूटा अध्यक्ष डॉ आदित्य नारायण मिश्र, एसी सदस्य प्रो. हंसराज सुमन, डॉ मनोज कुमार, डॉ सुधांशु कुमार, डॉ आलोक पांडेय, डॉ आभा देव हबीब, डॉ नंदिता नारायण, डॉ राजकुमार, डॉ सुरेश कुमार, डॉ संदीप कुमार, डॉ लक्ष्मण यादव, डॉ ज्ञानप्रकाश आदि ने शिक्षकों को संबोधित किया। शिक्षक नेताओं का कहना था कि विभागवार रोस्टर कालेज या विश्वविद्यालय के आधार पर न बनाकर विभागों व विषयों के आधार पर बनाया जाएगा। ऐसा करने से अनुसूचित जाति (एसी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए नियुक्तियों और पदोन्नतियों के दरवाजे बंद हो जाएंगे।
डूटा के संयुक्त सचिव आलोक पांडेय ने आरोप लगाया कि पुलिस ने महिला शिक्षिकाओं के साथ खराब व्यवहार किया। इन शिक्षिकाओं के साथ हाथापाई भी की गई। हालांकि पुलिस ने इन सभी आरोपों का खंडन किया।
डूटा के पूर्व अध्यक्ष डॉ आदित्य नारायण मिस्र ने कहा कि 2019-2020 का अंतरिम बजट आने वाले दिनों में उच्च शिक्षा के लिए एक खतरनाक संकेत है। वर्तमान सरकार उच्च शिक्षा के वित्त संबंधित मामले को ग्रांट बेस्ड से लोन बेस्ड सिस्टम की तरफ ले जाना चाहती है, जहां पूर्व में यूनिवर्सिटी को ग्रांट दिया जाता था वहीं अब इस अंतरिम बजट में 489 करोड़ यूनिवर्सिटी को लोन के रूप में दिए जाने की बात कही गई है। स्पष्ट है यूनिवर्सिटी लोन के रकम की अदायगी स्टूडेंट की फीस बढ़ा कर ही कर पाएगी।
उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा का बजट अपने न्यूनतम स्तर 1.35 प्रतिशत पर पहुंच चुका है। इससे वर्तमान सरकार की उच्च शिक्षा के प्रति संवेदनहीनता का साफ पता चलता है। फण्ड कटौती का असर आने वाले दिनों में केंद्रीय विश्वविदालयों से लेकर आईआईटी, आईआईएम तथा देश के जाने माने और प्रतिष्टित सोध संस्थानों में साफ साफ दिखेगा। ये सरकार जहां देश के बैंकों से हज़ारो करोड़ो लेकर भागने वाले भगोड़ों को सरंक्षण प्रदान कर रही है, वही उच्च शिक्षा के छेत्र में लोन की संस्कृति को बढ़ावा दे रही है।
डीयू की अकादमिक कांउन्सिल सदस्य प्रो हंसराज सुमन ने 22 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के एसएलपी खारिज किये जाने के बाद कोर्ट द्वारा विभागवार रोस्टर को लागू करने की मंशा है। उनका कहना है कि यदि विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में विभागवार यानी 13 पॉइंट रोस्टर को लागू किया जाता है तो जो शिक्षक पिछले दस साल से 200 पॉइंट पोस्ट बेस रोस्टर पर एडहॉक टीचर्स लगे हुए हैं जब भी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) सर्कुलर जारी करने के बाद या कोर्ट के निर्णय के बाद वे रोस्टर रजिस्टर से बाहर हो जाएंगे।