वाराणसी में मोदी के खिलाफ कौन होगा उम्मीदवार, दुविधा में विपक्ष

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नई दिल्ली, (हि.स.)। इस साल लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ वाराणसी संसदीय क्षेत्र से हार्दिक पटेल लड़ेंगे या शत्रुघ्न सिन्हा? इन दोनों में कौन ज्यादा प्रभावी होगा? इसको लेकर वाराणसी से दिल्ली और मुंबई तक के राजनीतिक तथा आर्थिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है।
हार्दिक पटेल दो दिन पहले वाराणसी में थे। बाबा काशी विश्वनाथ का दर्शन करने के अलावा उन्होंने एक किसान संगठन व कुछ सामाजिक संस्थाओं के लोगों से मुलाकात की। क्षेत्र की जनता की नब्ज टटोली, जिसके चलते वहां इनको प्रत्याशी बनाये जाने की खुसुर-फुसुर शुरू हो गई है।
इस बारे में काशी विद्यापीठ, वाराणसी के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहे डा. सुरेन्द्र प्रताप का कहना है कि वाराणसी में यदि सभी विपक्षी दल मिलकर कोई दमदार प्रत्याशी खड़ा करें तभी भाजपा प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी को हराया जा सकता है। उसमें भी यदि वह प्रत्याशी कांग्रेस के टिकट पर लड़े और उसे सभी गैरभाजपा दल समर्थन करें तब। ऐसा कौन उम्मीदवार हो सकता है , क्या हार्दिक पटेल या शत्रुघ्न सिन्हा में से कोई हो सकता है? इस सवाल पर सुरेन्द्र प्रताप का कहना है कि पहले तो यह कहना मुश्किल है कि हार्दिक पटेल कांग्रेस के टिकट पर यहां से लड़ेंगे, यदि लड़े तो उनकी उम्र और अनुभव थोड़ा आड़े आयेगा। हां अगर उनको कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया और अन्य गैर भाजपा दलों ने समर्थन कर दिया तो वह मोदी को कड़ी टक्कर दे सकते हैं।
इसके पीछे मतदाताओं का समीकरण भी महत्वपूर्ण है। वाराणसी संसदीय क्षेत्र के कुल लगभग साढ़े पन्द्रह लाख मतदाताओं में से कुर्मी / पटेल जाति के मतदाताओं की संख्या लगभग 1.5 लाख है। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग तीन लाख है। ब्राह्मण मतदाता लगभग 2.5 लाख हैं। वैश्य मतदाता लगभग दो लाख हैं। भूमिहार मतदाता लगभग 1.5 लाख हैं। यादव लगभग 90 हजार हैं। राजपूत लगभग 90 हजार हैं। दलित लगभग 80 हजार हैं। कायस्थ लगभग 65 हजार हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी को 5 लाख 81 हजार 22 वोट मिले थे जो कि दूसरे नम्बर पर रहे आम आदमी पार्टी के अरविन्द केजरीवाल को मिले वोट से 3 लाख 71 हजार 784 अधिक थे।
सुरेन्द्र प्रताप का कहना है कि इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस व अन्य गैर भाजपा दल मिलकर कोई ऐसा प्रत्याशी खड़ा कर दें जो लगभग 2.50 लाख मुस्लिम वोट, 50 हजार कुर्मी , 50 हजार ब्राह्मण, एक लाख वैश्य, 50 हजार यादव , 50 हजार दलित , 30 हजार कायस्थ, 20 हजार राजपूत, 20 हजार भूमिहार मतदाताओं का वोट खींच ले, तब नरेन्द्र मोदी हार जायेंगे। ऐसा प्रत्याशी ना तो शत्रुघ्न सिन्हा ना ही हार्दिक पटेल हो सकते हैं । ऐसा प्रत्याशी प्रियंका गांधी या वरुण गांधी हो सकते हैं। इनके नाम पर गैर भाजपा दल एकजुट भी हो सकते हैं।
इस बारे में भाजपा सांसद लाल सिंह बड़ोदिया का कहना है कि कि वरुण गांधी अभी भाजपा के सांसद हैं, पार्टी में हैं। उन्होंने अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया है, जिसके चलते यह कहा जाये कि वह किसी और पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ेंगे। इसलिए उनके नाम की चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है। रही बात आगामी लोक सभा चुनाव में वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जीत की तो वह 2014 से भी अधिक मतों से जीतेंगे, चाहे उनके विरुद्ध कोई भी चुनाव लड़े। पूरा विपक्ष एकजुट होकर लड़े तो भी वही जीतेंगे।
वाराणसी के वरिष्ठ पत्रकार वशिष्ठ नारायण का कहना है कि वाराणसी संसदीय सीट पर नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध विपक्षी पार्टी यदि मिलकर कोई अच्छा उम्मीदवार खड़ा करें तभी मोदी को घेरा जा सकता है, कड़ी टक्कर दी जा सकती है वर्ना उन्हें हराना मुश्किल है।उनके खिलाफ अभी तक तो विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार की संभावना नहीं दिख रही है, क्योंकि राज्य में सपा – बसपा पार्टी के प्रमुखोें ने आपस में गठबंधन करके लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की है। कांग्रेस ने राज्य की सभी 80 लोकसभा सीटों पर अपना अलग प्रत्याशी खड़ा करने का ऐलान किया है। इस तरह जब ये खुद ही आपस में लड़ रहे हैं तो एकजुट होकर नरेन्द्र मोदी को क्या हरायेंगे? इन सबों के आपसी किच-किच के चलते नरेन्द्र मोदी यहां से इस बार भी चुनाव जीतेंगे और हो सकता है पहले से अधिक मतों से जीतें।


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