लोकसभा चुनाव में बिहार में मतदान का प्रतिशत रहा है कम

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पटना, 30 मार्च ( हि.स.)।चुनाव में अधिक से अधिक मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग के प्रयास के बावजूद लोकसभा के चुनाव में मतदान का प्रतिशत बिहार में कम ही रहा ।
चुनाव आयोग के आकंड़ों के अनुसार पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार में मतदान का प्रतिशत सबसे कम रहा जबकि नगालैंड में सबसे अधिक। बिहार के कुल मतदाताओं का 56.26 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया जबकि नगालैंड में यह प्रतिशत 87.82 रहा । बिहार के बाद उत्तर प्रदेश में भी मतदान का प्रतिशत सबसे कम रहा । बिहार के बाद यहाँ भी कुल 58.35 प्रतिशत मतदाताओं ने ही मतदान में हिस्सा लिया ।
केंद्र शासित राज्यों और उत्तरपूर्व के आठ राज्यों में भी मतदाता काफी जागरूक दिखे । केंद्र शासित राज्यों में लक्षद्वीप में सबसे अधिक मतदान का प्रतिशत देखने को मिला जहां कुल मतदाताओं का 86.61 लोगों ने मतदान किया, दादर नगर हवेली में मतदान का प्रतिशत 84.06 रहा , पुडुचेरी में 82.1प्रतिशत , दमन दिउ में 78 प्रतिशत , चंडीगढ़ में 73.71 प्रतिशत और अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 70.66 प्रतिशत रहा।
इसी तरह पूर्वोत्तर के राज्यों में 87.82 प्रतिशत मतदान के साथ नगालैंड न केवल इस क्षेत्र में बल्कि पूरे देश में सर्वोच्च रहा । आंकड़ों के अनुसार पूर्वोत्तर राज्यों के समूह में 84.72 प्रतिशत के साथ त्रिपुरा दूसरे स्थान पर , 83.37 प्रतिशत के साथ सिक्किम तीसरे स्थान पर , 79 .88 प्रतिशत के साथ असम चौथे स्थान पर , 78.6 प्रतिशत के साथ अरुणाचल प्रदेश पांचवें स्थान पर , 76 .62 प्रतिशत के साथ मणिपुर छठे स्थान पर , 68.79 प्रतिशत के साथ मेघालय सातवें स्थान पर और 61.69 प्रतिशत के साथ मिजोरम आठवें स्थान पर रहा ।
बिहार के सन्दर्भ में वर्ष 1951 से 2014 तक हुए लोकसभा चुनाव को देखा जाए तो यहाँ सबसे ज्यादा मतदान का प्रतिशत 1998 के आम चुनाव में रहा और सबसे कम मतदान 1951 के आम चुनाव में ।1998 के आम चुनाव में बिहार में 64.6 प्रतिशत मतदान हुआ जबकि वर्ष 1951 के आम चुनाव में 40.35 प्रतिशत हुआ था। वर्ष 1998 के बाद 1999 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में बिहार में 61.48 प्रतशित मतदान हुआ । मतदान का इतना प्रतिशत 1977 के आम लोकसभा चुनाव में रहा , हालांकि वर्ष 1989 में मतदान का 60. 24 और उसके बाद 1991 में हुए मध्यावधि चुनाव में बिहार में 60.35 प्रतिशत मतदान हुआ । वर्ष 1977 में इमरजेंसी के कारण इंदिरा गाँधी विरोधी लहर में कुल 54 लोकसाभ सीटों में से कांग्रेस पार्टी से केवल एक उम्मीदवार सत्येन्द्र नारायण सिन्हा जीते थे जबकि शेष सभी सीटें जनता पार्टी की झोली में गई थीं । इमरजेंसी के खिलाफ जय प्रकाश नारायण ने बिहार से सम्पूर्ण क्रान्ति का आगाज़ किया था और यह आन्दोलन छात्र आन्दोलन के रूप में पूरे देश में फ़ैल गया था । 1977 का आम लोकसभा चुनाव इमरजेंसी हटने के बाद सम्पन्न कराया गया था और इसमें बिहार में भी मतदाताओं ने बढ़ – चढ़ कर हिस्सा लिया था ।इस चुनाव में इंदिरा गाँधी भी राय बरेली से हार गई थीं ।


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