लोकसभा चुनाव: तीसरे द्वार पर दिग्गजों की परीक्षा 23 अप्रैल को
लखनऊ, 18 अप्रैल(हि.स.)। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में दस सीटों पर 23 अप्रैल को मतदान होगा। तीसरे चरण में भाजपा से लेकर महागठबंधन तक के कई दिग्गजों को वोटरों की अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा। मुलायम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव, जयाप्रदा, संतोष गंगवार, आजम खां, सलीम शेरवानी, धर्मेन्द्र यादव, वरूण गांधी इसी चरण में अपना दमखम आजमाएंगें।
मुरादाबाद-पीतल नगरी के नाम से प्रसिद्ध मुरादाबाद लोकसभा सीट पर एक तिहाई से अधिक मुस्लिम वोटर हैं। इस सीट से दो बार ही गैर मुस्लिम उम्मीदवार जीता है। वर्ष 1977 के बाद 2014 में भारतीय जनता पार्टी के कुवंर सर्वेश सिह को पार्टी ने फिर मैदान में उतारा है। कुवंर सर्वेश को पार्टी-कार्यकर्तओं और परम्परागत वोटरों पर भरोसा है।
समाजवादी पार्टी- बसपा गठबंधन के तहत सपा के एस.टी.हसन को फिर उम्मीदवार बनाया है। श्री हसन 2014 के चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे थे। उन्हें करीब 88 हजार वोटों से पराजय का सामना करना पड़ा था।
कांग्रेस ने पहले यहां उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर को टिकट दिया था लेकिन बाद में उन्हें फतेहपुर सीकरी से प्रत्याशी बनाया है। अब मुरादाबाद से इमरान प्रतापगढ़ी कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। इस बार भाजपा को जहां मुस्लिम वोटरों के बंटवारे पर उम्मीद रखने के साथ हिन्दू वोटरों को अपने पक्ष में लामबंद करने की कोशिश कर रही है वही सपा और बसपा एकमंच पर आकर भाजपा उम्मीदवार को कड़ी चुनौती दे रहे हैं।
रामपुर-अपने चाकुओं के लिए प्रसिद्ध रामपुर लोकसभा क्षेत्र में एक बार फिर दिलचस्प मुकाबला है। दिलचस्प यह है कि 2004 में आजम खां के सपा में रहते ही फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा को रामपुर से संसद जाने का मौका मिला था। जया प्रदा रामपुर से दो बार चुनाव जीतकर सांसद बनीं। इस बार आजम खां सपा-बसपा गठबंधन से सपा के प्रत्याशी हैं उनको भाजपा की जयाप्रदा से चुनौती मिल रही है। कांग्रेस ने संजय कपूर को मैदान में उतारा है।
बदायूं-मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेन्द्र यादव के सामने इस बार कड़ी चुनौती है इस बार उनकी राह आसान नहीं है। बदायूं लोकसभा सीट से भाजपा के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघ मित्रा मौर्य को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने यहां से चार बार सांसद रहे सलीम शेरवानी को टिकट देकर मुकाबले को जोरदार बना दिया है। शेरवानी की वजह से सपा को अपने परम्परागत वोट छिटकने का भय है। इस लोकसभा क्षेत्र में करीब 15 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं। भाजपा यहां गैर पिछड़े व परम्परागत वोटों की लामबंदी करके बढ़त बनाने का हर संभव प्रयास कर रही है।
बरेली- अपने सुर्मे और पतंगो के मांझे के लिए प्रसिद्ध बरेली सीट भाजपा की सीट मानी जाती है। इसे संतोष गंगवार का गढ़ माना जाता है। भाजपा ने 1989 से 2014 तक इस सीट पर परचम फहराया है। 2009 को छोड़कर श्री गंगवार इस सीट पर लगातार विजयी रहे हैं। आठवीं बार उनकी बढ़त को गठबंधन उम्मीदवार पूर्व विधायक भगवत शरण गंगवार की चुनौती है। दोनों कुर्मी बिरादरी से हैं। दोनों के बीच करीब साढ़े तीन लाख कुर्मी वोटरों को अपने पक्ष मे लाने की खींचतान जारी है। मुस्लिम व दलित वोटरों के निर्णायक होने से इस बार श्री गंगवार को ज्यादा पसीना बहाना पड़ रहा है। 2014 में संतोष गंगवार को सपा, बसपा और कांग्रेस तीनों के ही कुल वोटों से करीब 51 हजार वोट ज्यादा मिले थे।
आंवला- आंवला सीटा 2009 से भाजपा का कब्जा है। मेनका गांधी से 2009 में मामूली अंतर से हारने वाले धर्मेन्द्र कश्यप ने पाला बदलकर भाजपा में आये और 2014 में उन्होनें यह सीट एक लाख 38हजार वोटों से जीती। सपा के सर्वराज सिंह 2 लाख 71 हजार वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे जबकि बसपा के उम्मीदवार को एक लाख 90 हजार वोट मिले थे।
धर्मेन्द्र कश्यप के सामने इस बार सपा-बसपा गठबंधन ने बसपा की ओर से रूचि वीरा को उतारा है। रूचि वीरा बिजनौर जिले की हैं। काग्रेस ने यहां से तीन बार सांसद रहे सर्वराज सिंह को प्रत्याशी बनाकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। आंवला क्षेत्र में करीब दो लाख से अधिक ठाकुर, तीन लाख मुस्लिम और ढाई लाख से अधिक दलित वोटर हैं।
संभल- सींग के समान, कल्कि मंदिर और साम्प्रदायिक दंगों के कारण सुर्खियों में रहने वाले संभल लोकसभा क्षेत्र पहले अमरोहा संसदीय क्षेत्र में था। परिसीमन के बाद 1977 में यह सीट अस्तित्व में आई। मुलायम सिंह यादव और बाद में राम गोपाल यादव यहां से जीतकर संसद में पहॅूंचे। शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में पिछड़े संभल इलाके में आज भी रेल सम्पर्क नहीं है।
लोकसभा के 2014 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने यहां पहली बार जीत का परचम फहराया था। उन्होनें सपा के शफीर्कुरहमान बर्क को मात्र पांच हजार वोटों से हराया था। भाजपा ने मौजूदा सांसद सत्यपाल सैनी का टिकट काटकर परमेश्वर लाल सैनी को अपना चेहरा बनाया है। श्री सैनी पूर्व एम0एल0सी0 और भाजपा के पुराने सगठनकर्ता हैं।
पिछले चुनाव में बसपा को यहां करीब ढाई लाख से अधिक वोट मिले थे। इस बार सपा व बसपा वोटरों के अलावा हिन्दू वोटरों के बंटवारे पर गठबंधन उम्मीदवार की निगाहें टिकी हैं।
पीलीभीत- उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक सिख आबादी वाले पीलीभीत क्षेत्र पर गांधी परिवार का प्रभाव रहा है। एक वर्ष 2009 को छोड़कर पीलीभीत से मेनका गांधी सांसद रही हैं। इस बार मेनका गांधी ने यह सीट अपने बेटे वरूण गांधी के लिए छोड़ी है जबकि उन्होंने वरूण गांधी की सुलतानपुर सीट से चुनाव लड़ना तय किया है।
सिखों के अलावा इस सीट के क्षेत्र में लोध, दलित, कुर्मी तथा मुस्लिम वोटर भी बड़ी तादाद में हैं। सपा ने हमराज वर्मा को पीलीभीत से गठबंधन का उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने यह सीट अपना दल (कृष्णा पटेल) के सुरेन्द्र कुमार गुप्ता के लिए छोड़ी है। भाजपा इस सीट पर अपना कब्जा बनाये रखने की कोशिश करेगी।
एटा- राजस्थान के राज्यपाल और सूबे के मुख्य मंत्री रहे कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह के सामने अपनी सफलता दोहराने की चुनौती है। भाजपा उम्मीदवार के रूप में राजवीर सिंह को 51 फीसदी वोट मिले थे। दूसरे नम्बर पर देवेन्द्र सिंह यादव थे। सपा के देवेन्द्र सिंह दो बार इस सीट से सांसद रहे हैं और एक बार फिर उन्हीं को सपा ने गठबंधन का उम्मीदवार बनाया है। पिछड़े इलाके एटा में लोधी, शाक्य और यादव बाहुल्य इस सीट को कल्याण सिंह ने बुलन्दशहर छोड़कर अपने लिए चुना था।
कांग्रेस ने यहां से बाबू सिंह कुशवाहा की जनाधिकार पार्टी के प्रत्याशी सूरज सिंह शाक्य के लिए छोड़ी है। शाक्य वोटों के बंटवारे से भाजपा प्रत्याशी को बड़े अन्तर से जीतने की उम्मीद कम है।
फिरोजाबाद -सुहागनगरी फिरोजाबाद लोकसभा क्षेत्र यादव बाहुल्य है। यहां से सपा महासचिव रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव सांसद हैं। इस बार उनकी चुनौती उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव से है। पिछली बार अक्षय यादव को कड़ी चुनौती देने वलो एस.पी.सिंह बघेल को भाजपा ने आगरा से टिकट थमाया है। बघेल की जगह चन्द्रसैन जादौन भाजपा के उम्मीदवार हैं।
इस सीट पर मुख्य मुकाबला शिवपाल सिंह यादव बनाम अक्षय यादव है। मुलायम परिवार की ज्यादातर जिम्मेदारियां इसी क्षेत्र में होने से यह चुनावी क्षेत्र इस बात की तसदीक भी करेगा कि लोग किसके साथ हैं।
मैनपुरी-सपा परिवार के असर वाले मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से हालांकि कांग्रेस ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है लेकिन भाजपा के उम्मीदवार प्रेम सिंह शाक्य हैं। प्रेम सिंह शाक्य मैनपुरी उपचुनाव मेें तेज प्रताप यादव के सामने मैदान में थे। शाक्य को तीन लाख वोट मिले थे। इस बार तेज प्रताप की जगह मुलायम सिंह यादव ने खुद चुनाव मैदान में उतरना तय कर नामजदगी करायी। मुलायम सिंह के असर और 35 फीसदी यादव वोटरों वाली मैनपुरी सीट पर भाजपा को शाक्य व अन्य जातियों के वोटरों का भरोसा है।