लग गया तो तीर, नहीं तो तुक्का

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सात दिसंबर पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की वोटिंग प्रक्रिया पूरी हो गयी। तीन राज्यों छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और मिजोरम में तो वोटिंग पहले ही हो चुकी थी, सात दिसंबर को राजस्थान और तेलंगाना में वोटिंग हुई। शाम पांच बजे इधर राजस्थान और तेलंगाना में वोटिंग खत्म हुई, उधर तमाम टीवी चैनलों पर एग्जिट पोल का प्रसारण शुरू हो गया। हर टीवी चैनल ने विभिन्न सर्वे एजेंसियों के साथ मिलकर पांचों राज्यों में मतदाताओं का सैंपल सर्वे कर अपना एग्जिट पोल तैयार किया था। सबका दावा था कि उसके एग्जिट पोल में दिये गये आकलन वास्तविक परिणामों के सबसे करीब होंगे।

लेकिन अगर सभी चैनलों के आकलन पर गौर किया जाए तो पता चलता है कि हर टीवी चैनल के आंकड़ों में काफी अंतर था। हर चैनल और सर्वे एजेंसी ने एग्जिट पोल के नाम पर अपनी अटकलों को ही दर्शकों के सामने परोसा। किसी भी राज्य के एग्जिट पोल में सभी सर्वे एजेंसियों या चैनल के परिणाम एक जैसे नजर नहीं आए। एक एग्जिट पोल में किसी राज्य में एक पार्टी को सरकार बनाते हुए दिखाया गया, तो दूसरे एग्जिट पोल में उसी राज्य में किसी दूसरी पार्टी को सरकार बनाने का सबसे बड़ा दावेदार बनाकर पेश किया गया। एक साथ इन तमाम एग्जिट पोल के आंकड़ों को देखा जाए तो आसानी से कहा जा सकता है कि सारी सर्वे एजेंसियों और न्यूज चैनलों ने कुछ इसी तरह का आंकड़ा पेश किया कि यदि उनके अनुमान वास्तविक परिणामों के निकट नजर आए तो कहा जाए तीर और अगर वास्तविक परिणामों से दूर दिखे तो कहा जाए तुक्का। माने लग गया तो तीर, नहीं तो तुक्का।

मध्य प्रदेश का एग्जिट पोल दिखाते हुए टाइम्स नाउ-सीएनएक्स ने बताया कि शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में बीजेपी को 126, कांग्रेस को 89, बीएसपी को 6 और अन्य को 9 सीटें मिलने जा रही है। वहीं आज तक-एक्सिस के एग्जिट पोल में बीजेपी को 111, कांग्रेस को 113 और अन्य को 6 सीट मिलने की बात कही गयी। रिपब्लिक-जन की बात ने अपने एग्जिट पोल में बीजेपी को सबसे अधिक 118 सीट, कांग्रेस को 105 और अन्य को 7 सीट मिलने की बात कही। एबीपी-सीएसडीएस एग्जिट पोल में बीजेपी को 94, कांग्रेस को 126 और अन्य को 10 सीटें मिलने की बात कही गयी। न्यूज 24-पेस मीडिया ने मध्य प्रदेश में बीजेपी को 103, कांग्रेस को 115 तथा अन्य को 12 सीटें दी। इसी तरह इंडिया टीवी-सीएनएक्स ने बीजेपी को 122 से 130, कांग्रेस को 86 से 92, बीएसपी को चार से आठ और अन्य को आठ से दस सीट मिलने की भविष्यवाणी की।

यदि राजस्थान की बात करें, तो आज तक-एक्सिस के एग्जिट पोल में कांग्रेस को 130 और बीजेपी को 63 सीटें मिलने की बात कही गयी, जबकि 6 सीटें अन्य के खाते में जाती बताई गयी। वहीं रिपब्लिक-जन की बात ने एग्जिट पोल में बीजेपी को 83 से 103, कांग्रेस को 81 से 101 और अन्ये में 15 सीट जाने का अनुमान लगाया गया। टाइम्स नाउ-सीएनएक्स ने कांग्रेस को 105, बीजेपी को 85 और बीएसपी को 2 सीट मिलने का अनुमान जताया।

इसी तरह छत्तीसगढ़ में इंडिया टीवी-सीएनएक्स ने बीजेपी को 46, कांग्रेस को 35 और जोगी-बीएसपी गठबंधन को 7 सीटें मिलने की बात कही। दूसरी ओर न्यूज 24-पेस मीडिया ने कांग्रेस को 48 और बीजेपी को 38 सीट मिलने की भविष्यवाणी की, जबकि सी वोटर ने बीजेपी को छत्तीसगढ़ में 39, कांग्रेस को 46 तथा अन्य को 5 सीटें मिलने का अनुमान जताया। वहीं रिपब्लिक-जन की बात के एग्जिट पोल में छत्तीसगढ़ में बीजेपी को सबसे ज्यादा 44, कांग्रेस को 40 तथा अन्य को 6 सीटें मिलने की संभावना जतायी गयी।

तेलंगाना की बात करें तो टाइम्स नाउ-सीएनएक्स के एग्जिट पोल में टीआरएस को 66, कांग्रेस को 37 और बीजेपी को 7 सीट मिलने की भविष्यवाणी की गयी। वहीं इंडिया टुडे-एक्सिस ने टीआरएस को 85, कांग्रेस को 27, बीजेपी को 5 और अन्य को 2 सीट मिलने की भविष्यवाणी की। सी वोटर ने यहां टीआरएस को 54, कांग्रेस को 53 और बीजेपी को 5 सीट मिलने की संभावना जताई, तो रिपब्लिक-जन की बात ने टीआरएस को 57, कांग्रेस को 45, एआईएमआईएम को 6 और बीजेपी को 6 सीट मिलने की बात कही। इसी तरह न्यूज एक्स-नेटा ने टीआरएस को 57, कांग्रेस को 46, बीजेपी को 6 और अन्य को 10 सीट मिलने की भविष्यवाणी की।
साफ है कि किसी भी चैनल के आंकड़ों में कहीं कोई समानता नहीं है। सचाई तो यही है कि इन एग्जिट पोल के आंकड़ों की वजह से लोग भ्रम में ही पड़ जाते हैं। चैनल व सर्वे एजेंसियां एग्जिट पोल के नाम पर दर्शकों के समक्ष सिर्फ अपने अनुमान कुछ उसी अंदाज में परोसती हैं, जिस अंदाज में खुद को चुनाव विशेषज्ञ सटीक चुनाव परिणाम बताने का दावा भरते हैं। अगर संयोग से किसी के आंकड़े नतीजे के आस-पास रहे तो उसका श्रेय ले लिया जाता है, अन्यथा सभी चुप्पी मार कर बैठ जाते हैं।

सच्चाई तो ये भी है कि इन एग्जिट पोल के आंकड़ों की वजह से आम लोग भ्रमित ही होते हैं। वे इस ऊहापोह में ही पड़े रहते हैं कि वे किसी एक चैनल के एग्जिट पोल पर भरोसा करें या दूसरे चैनल के एग्जिट पोल पर। पहले के चुनावों में भी अधिकांश एग्जिट पोल वास्तविक परिणामों के करीब तक नहीं फटक सके थे। खासकर टक्कर वाले मुकाबलों में तो प्रायः ही अलग-अलग चैनल के एग्जिट पोल एक दूसरे के विरोधाभासी होते हैं। इसलिए बेहतर यही है कि एग्जिट पोल को देखकर उत्साहित होने की जगह चुनाव परिणामों का ही इंतजार किया जाए।


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