लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना : यमुना में 65 प्रतिशत जल का होगा इजाफा : गडकरी
नई दिल्ली, 28 अगस्त (हि.स.)। उत्तराखंड में यमुना पर बनने वाली लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना के निर्माण के लिए मंगलवार को छह राज्यों और केंद्र के बीच समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि इस परियोजना से सिंचाई और पीने के लिए अतिरिक्त जल मिलेगा वहीं बिजली का भी उत्पादन होगा। नितिन गडकरी ने बताया कि परियोजना पर होने वाला कुल खर्च मैसेज 90 प्रतिशत केंद्र सरकार वहन करेगी। इससे गैर मानसून यानी दिसम्बर से जून के बीच यमुना के पानी में 65 प्रतिशत की वृद्धि होगी। यमुना पर बनने वाले बांध से इस अतिरिक्त जल की पूर्ति की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह परियोजना 25 साल से अटकी हुई है अगर इस पर समय रहते काम हो गया होता तो राज्यों के बीच जल की किल्लत को लेकर संघर्ष न होता। उन्होंने कहा कि हिमालय क्षेत्र में जल की कमी नहीं है बल्कि जल के नियोजन की कमी है। गडकरी ने कहा कि इसके साथ ही स्वच्छ गंगा मिशन के तहत सरकार यमुना पर 34 परियोजना चला रही है इसमे से 12 दिल्ली में है जिनमे से 11 पर सहमति बन गई है। एक तरफ यमुना साफ हो रही है, दूसरी ओर इसमें जल में भी वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि लखवाड़ परियोजना से अगले 25 सालों में दिल्ली में पानी की समस्या नहीं आएगी। इसके अलावा हरियाणा और राजस्थान को भी पानी मिलेगा। उत्तर प्रदेश में यमुना के स्वच्छ जल के जाने से गंगा भी स्वच्छ होगी और यमुना पर आश्रित शहरों को लाभ मिलेगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 1994 के बाद आज जाकर इस परियोजना को लेकर सहमति बनी है। उन्होंने कहा कि देश में जल की कमी नहीं है फिर भी एक तिहाई आबादी पानी की किल्लत से जूझ रही है। इस परियोजना से 42 हज़ार हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होगी और उत्तराखंड के उपयोग के बाद बची अतिरिक्त बिजली का लाभ अन्य राज्यों को मिलेगा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें आशा है कि परियोजना समयबद्ध तरीके से पूरी होगी और राज्यों को उनका हिस्सा मिलेगा। जल संसाधन मंत्रालय की ऊपरी यमुना बेसिन क्षेत्र में 3966.51 करोड़ रुपये की लागत वाली लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना के निर्माण के लिए आज दिल्ली के राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राजस्थान की वसुन्धरा राजे, उत्तराखंड के त्रिवेंद्र सिंह रावत, हरियाणा के मनोहर लाल, हिमाचल प्रदेश के जयराम ठाकुर और दिल्ली के अरविंद केजरीवाल ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। लखवाड़ परियोजना के तहत उत्तराखंड में देहरादून जिले के लोहारी गांव के पास यमुना नदी पर 204 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनाया जाना है। बांध की जल संग्रहण क्षमता 330.66 एमसीएम होगी। इससे 33,780 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकेगी। इसके अलावा इससे यमुना बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों में घरेलू तथा औद्योगिक इस्तेमाल और पीने के लिए 78.83 एमसीएम पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा। परियोजना से 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। परियोजना निर्माण का काम उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड करेगा।परियोजना पर आने वाले कुल 3966.51 करोड़ रुपये की लागत में से बिजली उत्पादन पर होने वाले 1388.28 करोड़ का खर्च उत्तराखंड सरकार वहन करेगी। परियोजना पूरी हो जाने के बाद तैयार बिजली का पूरा फायदा भी उत्तराखंड को ही मिलेगा। परियोजना से जुड़े सिंचाई और पीने के पानी की व्यवस्था वाले हिस्से के कुल 2578.23 करोड़ के खर्च का 90 प्रतिशत (2320.41 करोड़ रुपये) केन्द्र सरकार वहन करेगी जबकि बाकी 10 प्रतिशत का खर्च छह राज्यों के बीच बांट दिया जाएगा। इसमें हरियाणा को 123.29 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में से प्रत्येक राज्य को 86.75 करोड़ रुपये, राजस्थान को 24.08 करोड़ रुपये, दिल्ली को 15.58 करोड़ रुपये तथा हिमाचल प्रदेश को 8.13 करोड़ रुपये देने होंगे। लखवाड़ परियोजना के तहत संग्रहित जल का बंटवारा यमुना के बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों के बीच 12.05.1994 को किये गये समझौता ज्ञापन की व्यवस्थाओं के अनुरूप होगा। लखवाड़ बांध जलाशय का नियमन यूवाईआरबी के जरिए किया जाएगा। लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना के अलावा ऊपरी यमुना क्षेत्र में किसाऊ और रेणुकाजी परियोजनाओं का निर्माण भी होना है। किसाऊ परियोजना के तहत यमुना की सहायक नदी टौंस पर देहरादून जिले में 236 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनाया जाएगा। रेणुकाजी परियोजना के तहत यमुना की सहायक नदी गिरि पर हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में 148 मीटर ऊंचे बांध का निर्माण किया जाएगा।