राष्ट्रपति ने वाजपेयी की दत्तक पुत्री को लिखा पत्र, कहा दबाव की स्थिति में भी धैर्य की मिसाल थे अटलजी

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नई दिल्ली, 17 अगस्त (हि.स.)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर शोक जताते हुए उनकी दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य को पत्र लिखा है। उन्होंने वाजपेयी को अपनी प्रेरणा बताते हुए कहा कि वह दबाव की स्थितियों में भी धैर्य की मिसाल थे।

राष्ट्रपति ने पत्र में लिखा है, “श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के निधन पर मेरी शोक संवेदनाएं आपके साथ हैं। गहरे दु:ख के इस समय में आपके और परिवार के अन्य सदस्यों के प्रति अपनी हार्दिक मनोव्यथा व्यक्त करता हूं। अटल जी का देहावसान आपके और अन्य परिजनों के लिए व्यक्तिगत आघात तो है ही, मेरे लिए भी यह एक निजी क्षति है। उनके महान और गरिमामय व्यक्तित्व ने ही मुझे सार्वजनिक जीवन के प्रति आकर्षित किया और मैं अपना कानून का प्रोफेशन छोड़कर उनका सहयोगी बन गया। उनके साथ काम करते हुए जो अनुभव मुझे प्राप्त हुए, वे अविस्मरणीय हैं। कई साल बाद भारत का राष्ट्रपति चुने जाने के बाद जब मैं उनसे भेंट करने गया तो बहुत बीमार होने के बावजूद उन्होंने अपनी आंखों के इशारे से ही मेरा अभिवादन स्वीकार किया। मैंने उनके मौन आशीर्वाद को महसूस किया। ”

पत्र में आगे लिखा, “अटल जी के जाने से, इस देश के करोड़ों लोग, उनकी कमी महसूस कर रहे हैं। वे हम सबके प्रिय प्रधानमंत्री, दुर्लभ गुणों वाले राष्ट्रीय नेता और भारतीय राजनीति की एक महान विभूति थे। अपने लम्बे और अति-विशिष्ट सार्वजनिक जीवन में, उन्होंने अनगिनत तरीकों से, असंख्य लोगों के जीवन को प्रभावित किया। एक स्वाधीनता सेनानी और चिन्तक के रूप में, लेखक और कवि के रूप में, एक सांसद और प्रशासक के रूप में और अंतत: प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने देश को बहुत कुछ दिया। वे भारत के राजनीतिक पटल पर, एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व के स्वामी के रूप में अपनी अलग पहचान रखते थे।

राष्ट्रपति ने आगे लिखा है, “भारत के प्रधानमंत्री के रूप में श्री अटल जी, चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में निर्णायक नेतृत्व की और दबाव की स्थितियों में भी धैर्य की मिसाल थे। 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण से लेकर 1999 का करगिल युद्ध, उनकी सरकार द्वारा किए गए आर्थिक बदलाव और हमारे देश की जीडीपी को विकास के रास्ते पर आगे ले जाने जैसे महान कार्य, उनके सफल कार्यकाल की उपलब्धियां और विरासत हैं। 2015 में उन्हें भारत रत्न से अलंकृत किया गया। यह हमारे देश द्वारा उनके प्रति कृतज्ञता और असीम प्रेम को व्यक्त करने का सबसे अच्छा तरीका था। ऐसे विशाल हृदय और विराट व्यक्तित्व वाली राजनीतिक विभूति का अभाव, केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में महसूस किया जाता रहेगा


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