राष्ट्रपति कोविंद ने ठुकराई पहली दया याचिका, 7 लोगों को जिंदा जलाने वाले को होगी फांसी

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नई दिल्ली, 03 जून (हि.स.)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने कार्यकाल की पहली दया याचिका ठुकरा दी। ये दया याचिका बिहार के एक व्यक्ति की थी, जिसे एक ही परिवार के सात लोगों को जिंदा जलाकर मार डालने के अपराध में फांसी की सजा सुनाई गई थी। प्राप्त सूचनाओं के मुताबिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बिहार की निचली अदालत द्वारा जगत राय नाम के व्यक्ति को फांसी की सजा सुनाई थी। जगत राय पर आरोप था कि उसने विजेंद्र महतो, उसकी पत्नी और पांच मासूम बच्चों को जिंदा जला डाला था। निचली अदालत में आरोप सिद्ध होने के बाद जगत राय को फांसी की सजा सुनाई गई। जिसे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा। इसके बाद जगत राय ने राष्ट्रपति के पास अपनी फांसी की सजा माफ करने या उसे कारावास में तब्दील करने की दया याचिका लगाई। इसे राष्ट्रपति ने ठुकरा दिया। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक साल 2006 में बिहार के वैशाली जिले में जगत राय ने विजेंद्र महतो के परिवार को जिंदा जला डाला था। विजेंद्र महतो ने जगत राय और उसके साथियों के खिलाफ भैंस चोरी करने का मुकदमा दर्ज करवाया था। जिस पर जगत राय और उसके साथ विजेंद्र महतो पर मुकदमा वापस लेने का दबाव डाल रहे थे। विजेंद्र महतो के न मानने पर जगत राय ने उसके परिवार को जिंदा जला डाला था। आग में बुरी तरह झुलस जाने के चलते विजेंद्र महतो की भी बाद में मौत हो गई थी। भारतीय कानून के मुताबिक फांसी की सजा पाने वाला अपराधी सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिलने पर राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगा सकता है। राष्ट्रपति को अधिकार है कि वो अपराधी के मामले को देखते हुए उसकी फांसी की सजा माफ कर सकते हैं या उसे कारावास में बदल सकते हैं।


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