रायपुर : कृषि मंत्री के विभागों के लिए 8834.7 करोड़ की अनुदान मांगे पारित

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रायपुर, 16 मार्च (हि.स.)। छत्तीसगढ़ विधानसभा में मंगलवार शाम को कृषि एवं जैव प्रौद्योगिकी, पशुधन विकास, मछलीपालन, जल संसाधन, आयाकट और संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे के विभागों के लिए कुल 8834 करोड़ 69 लाख 73 हजार रुपये की अनुदान मांगे ध्वनिमत से पारित की गईं।
इनमें राज्य विधान सभा के लिए 69 करोड़ 43 लाख 60 हजार रुपये, कृषि के लिए 5306 करोड़ 59 लाख 32 हजार रुपये, पशुपालन विभाग से संबंधित व्यय के लिए 468 करोड़ 88 लाख सात हजार रुपये, मछलीपालन के लिए 83 करोड़ 82 लाख 56 हजार रुपये, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा से संबंधित व्यय के लिए 272 करोड़ 12 हजार रुपये, जल संसाधन विभाग के लिए 1182 करोड़ 59 लाख 73 हजार रुपये, लघु सिंचाई निर्माण कार्य के लिए 759 करोड़ 65 लाख 33 हजार रुपये, जल संसाधन विभाग से संबंधित नाबार्ड से सहायता प्राप्त परियोजनाओं के लिए 689 करोड़ 71 लाख रुपये तथा जल संसाधन विभाग से संबंधित विदेशों से सहायता प्राप्त परियोजनाओं के लिए दो करोड़ रुपये की अनुदान मांगे शामिल हैं।
चौबे ने सदन में कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के किसानों की आर्थिक उन्नति के लिए संकल्पित है। विगत तीन वर्षों से विभिन्न किसान हितैषी योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। वर्ष 2022-23 में प्रदेश के कुल बजट एक लाख चार हजार करोड़ रुपये में से किसानों के लिए लगभग दस हजार 100 करोड़ रुपये का प्रावधान कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन एवं मछलीपालन सहित विभिन्न योजनाओं के लिए रखा गया है। इस वर्ष के बजट प्रावधानों में कृषि के बजट में पांच प्रतिशत, उद्यानिकी में 0.68 प्रतिशत और मछलीपालन में 7.55 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है।
मिट्टी के स्वास्थ्य की जांच एवं किसानों को स्वाइल हेल्थ कार्ड वितरित करने के लिए 21 करोड़ रुपये और दलहन-तिलहन प्रोत्साहन के लिए अक्ती बीज संवर्धन योजना हेतु 123 करोड़ 53 लाख रुपये प्रावधानित है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए इस वर्ष 575 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि उद्यानिकी विभाग के अंतर्गत संचालित योजनाओं के माध्यम से फल-सब्जी, मसाले, पुष्प और सुगंधित औषधि आदि की खेती लगभग 31 हजार 320 हेक्टेयर क्षेत्र में लेने की कार्ययोजना तैयार की गई है। इस वर्ष इसके लिए 503 करोड़ 52 लाख रुपये का बजट प्रावधान किया गया है। इसके अलावा उच्च मूल्य वाली उद्यानिकी फसलों की संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए 28 करोड़ रूपए का भी प्रावधान किया गया है।
मंत्री चौबे ने हा कि राज्य में कुल बोया गया क्षेत्र 55 लाख 40 हजार हेक्टेयर तथा निरा बोया क्षेत्र 46 लाख 53 हजार हेक्टेयर है। प्रदेश में सिंचाई क्षमता विकसित करने के उद्देश्य से वर्ष 2028 तक उपलब्ध सतही जल से 32 लाख हेक्टेयर रकबे में सिंचाई क्षमता प्राप्त कर शत-प्रतिशत सिंचाई क्षमता सृजन करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वर्ष 2022-23 के बजट में जल संसाधन विभाग के लिए तीन हजार 323 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके तहत सृजित सिंचाई और वास्तविक सिंचाई के अंतर को कम करने के साथ ही वृहद, मध्यम तथा लघु सिंचाई योजनाओं के नवीन निर्माण एवं जीर्णोंद्धार का कार्य किया जाएगा। चौबे ने कहा कि पेयजल राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में है। जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए लोगों को जागरूक करने का कार्य किया जा रहा है। वर्तमान और भविष्य में जल की आवश्यकताओं, चुनौतियों और उनके समाधान को ध्यान में रखते हुए रणनीति बनाई जा रही है। चौबे ने कहा कि सदन में सदस्यों द्वारा दिए गए सुझावों पर भी यथासंभव कार्यवाही की जाएगी।


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