राज्यसभा में फिर उठा बिहार के रामसर साइट काबर को राष्ट्रीय पर्यटक क्षेत्र बनाने का मुद्दा
बेगूसराय, 03 फरवरी (हि.स.)। एशिया में मीठे पानी के सबसे बड़े झील, बिहार का एकलौता रामसर साइट और भारत के सबसे बड़े पक्षी विहार राजस्थान के भरतपुर पक्षी विहार से तीन गुणा बड़े बिहार के काबर टाल पक्षी विहार के विकास का मामला एक बार फिर राज्यसभा में उठा है।
राज्यसभा सदस्य प्रो. राकेश सिन्हा ने आज शून्यकाल के दौरान सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार से राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन से तालमेल कर उसे राष्ट्रीय स्तर के पर्यटक क्षेत्र के रूप में विकसित करने की मांग किया है। सवाल उठाते हुए प्रो. राकेश सिन्हा ने कहा है कि 1971 में ईरान के रामसर शहर में दुनिया के 171 देशों की मौजूदगी में वेटलैंड के लिए एक समझौता करते हुए रामसर साइट बनाया गया तथा 1975 में इसे लागू किया गया। इस रामसर साइट में भारत के 47 आर्द्रभूमि (वेटलैंड) शामिल किए गए हैं। जिसमें काबर देश का 39वां और बिहार का एकमात्र रामसर साइट है।
राज्यसभा सदस्य सिन्हा ने काह कि बिहार के बेगूसराय जिला में स्थित काबर झील देश के सभी झीलों से तीन गुना बड़ा है। करीब 2,400 एकड़ में स्थित यह काबर झील भरतपुर से भी तीन गुना बड़ा है। यहां विभिन्न देशों से 59 प्रकार के विदेशी पक्षी के साथ ही 107 प्रकार के देसी पक्षी प्रवास करने आते हैं। लेकिन इस महत्वपूर्ण झील का विकास नहीं हो रहा है, किसान भी काफी परेशान हैं। लैंड डिनोटिफाइड नहीं होने से किसान अपनी जमीन को ना तो बेच सकते हैं, ना ही अन्य उपयोग कर सकते हैं।
राकेश सिन्हा ने सदन में कहा है कि पर्यावरण ही नहीं, संस्कृत दृष्टिकोण से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण है। यहां भगवान बुद्ध का ऐतिहासिक स्तूप है, जहां कि यह भगवान बुद्ध आए थे। केंद्र सरकार इसके विकास के लिए राज्य सरकार और जिला प्रशासन से तालमेल बैठाकर कार्य करे। इसके विकास के लिए रणनीति बनाई जाए तभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से सरकार द्वारा इसे रामसर साइट में शामिल करने की सार्थकता सिद्ध हो सकेगी। बिहार का यह इकलौता रामसर साइट पर्यावरण और पर्यटन की दृष्टि से अपनी सार्थकता सिद्ध करेगा। उन्होंने कहा है कि विकसित करने में सभी हित धारक का ध्यान रखा जाय, किसानों और मछुआरों की समस्या का समाधान राज्य सरकार और जिला प्रशासन मिल कर करे।
उल्लेखनीय है कि देश के सर्वोच्च सदन में काबर को राष्ट्रीय स्तर पर विकसित करने का मामला राकेश सिन्हा द्वारा चौथी बार उठाया गया है। उससे पहले उन्होंने जब मामले को उठाया तो इस पर सरकार की नजर गई तथा केंद्र सरकार ने 70 लाख रुपया आवंटित किया तथा रामसर साइट और वेटलैंड श्रेणी में नामांकित किया। लेकिन धरातल पर बोर्ड लगाने के सिवा अभी तक हुआ कुछ नहीं। ना तो विकास हुआ और ना ही किसानों और मछुआरों के समस्या का समाधान हुआ। इसके बाद एक बार फिर राकेश सिन्हा ने मामले को सदन में उठाकर केंद्र सरकार के संज्ञान में दिया है राकेश सिन्हा द्वारा लगातार किए जा रहे प्रयास उम्मीद जताई जा रही है कि कल के लिए कुछ ना कुछ जरूर होगा। उम्मीद है कि केंद्र सरकार जिस तरीके से बेगूसराय को उद्योग के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित कर रही है। रेल और सड़क के आधारभूत संरचना चिकित्सा के प्रबंध किए जा रहे हैं, इससे हो ना हो कि पर्यटन के क्षेत्र में भी इसे राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया जा सके।