राज्यपाल ने उच्च शिक्षा में सुधार हेतु कुलपतियों—प्राचार्यों को खड़ी—खोटी सुनाई,कहा आदेश की जगह अनुरोध का संदेश समझें
पटना,04 अप्रैल (हि. स.)। राज्यपाल लालजी टंडन ने गुरुवार को उच्च शिक्षा में सुधार के लिए कुलपतियों और कॉलेजों के प्राचार्यों को खड़ी—खोटी सुनाई । उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि राज्यपाल या कुलाधिपति जैसे शीर्ष पद से आमतौर पर आदेश मिलते हैं परन्तु आज सभी कुलपतियों या प्राचार्यों से अगर अनुरोध किया जा रहा है तो इसका सीधा संदेश यही है कि इन्हें अपने दायित्वों के प्रति भी पूर्ण सजग और तत्पर रहना होगा। पद की गरिमा के अनुरूप सभी शीर्ष विश्वविद्यालयीय अधिकारियों और प्राचार्यों से कर्तव्यपरायणता और आदर्श आचरण की उम्मीद की जाती है।
राज्यपाल श्री टंडन ने राजभवन के राजेन्द्र मंडप में गुरुवार को शुरू हुए दो दिवसीय ‘‘नैक जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यशाला’’का उद्घाटन करते हुए कहा कि राज्य में उच्च शिक्षा के विकास हेतु संसाधनों या वित्तीय सहायता में कोई कमी नहीं होने दी जायेगी, परन्तु जो विश्वविद्यालय या महाविद्यालय अपने दायित्वों को नहीं समझेंगे तथा विकास-प्रयासों को कार्यान्वित करने में लापरवाही बरतेंगे, उनके विरूद्ध आवश्यक कार्रवाई भी की जायेगी।
उन्होंने कहा कि यह संतोषजनक है कि राज्यपाल सचिवालय और राज्य के शिक्षा विभाग की आशाओं के अनुरूप सभी विश्वविद्यालय सुधार-प्रयासों के क्रम में लिए गये निर्णयों पर तेजी से आज अमल कर रहे हैं।
राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि बिहार का उच्च शिक्षा में पूर्व में भी गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। अपनी प्राचीन गरिमा के अनुरूप तथा आधुनिक मानदंडों पर खरे उतरने के लिए विश्वविद्यालयों को गुणवत्तापूर्ण और शोधमूलक शिक्षा के विकास पर ठोस पहल करनी होगी। श्री टंडन ने कहा कि ‘नैक प्रत्ययन’ के लिए किए जा रहे प्रयास उसी दिशा में एक सार्थक और महत्वपूर्ण कदम है। हाल ही में ‘नैक’ के चेयरमैन बिहार आकर बिहार के विश्वविद्यालयों का मार्ग-दर्शन कर चुके हैं और आज भी ‘नैक’ के विशेषज्ञ सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक हर तरह की जानकारियाँ कार्यशाला के प्रतिभागियों को देंगे। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि आज राज्य के सभी 260 अंगीभूत महाविद्यालयों एवं 12 विश्वविद्यालयों ने नैक में अपना निबंधन कराते हुए आईडी प्राप्त कर लिया है तथा अब आगे आईआईक्यूए एवं सेल्फ स्टडी रिपोर्ट दाखिल करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अबतक राज्य में सिर्फ 95 अंगीभूत महाविद्यालयों को ही ‘नैक प्रत्ययन’ प्राप्त है। उन्होंने कहा कि इन्हें भी अपनी ग्रेडिंग मेें बेहतरी लाने की कोशिश करनी चाहिए।
उद्घाटन-सत्र को संबोधित करते हुए राज्य के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने भी संबोधित किया । शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन ने बताया कि राज्य सरकार ने उच्च शिक्षा के विकास पर लगभग 4-5 हजार करोड़ रुपये व्यय किए हैं। यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने विस्तार से यूजीसी की उन नयी योजनाओं की जानकारी दी, जिनका लाभ उठाकर विश्वविद्यालय गुणवत्ता विकसित कर सकते हैं। राज्यपाल के प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह ने कहा कि उच्च शिक्षा क्षेत्र में ‘शैक्षणिक अंत्योदय’ की अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए जरूरी है कि हम पहले सभी उच्च शिक्षा केन्द्रों में मूलभूत जरूरतों को पूरा करते हुए आधुनिक सभी मानदंडों पर विकास के लिए चरणबद्ध प्रयास करें। कार्यक्रम में राजभवन में उच्च शिक्षा परामर्शी प्रो आरसी सोबती ने ‘नैक प्रत्ययन’ के साथ-साथ विश्वविद्यालयों को अपनी सामाजिक भूमिका और दायित्वों को पूरा करने के लिए आगे आने को कहा । कार्यक्रम में धन्यवाद-ज्ञापन कार्यशाला-संयोजक ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रो एसके सिंह ने किया। । उदघाटन-सत्र का संचालन ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अध्यक्ष (छात्र कल्याण) प्रो रतन कुमार चैधरी ने किया।