राजस्थान में भाजपा ने काटे कई सांसदों के टिकट
झुंझुनू, 07 अप्रैल(हि.स.)। आगामी लोकसभा चुनाव के लिये राजस्थान में कांग्रेस ने जहां सभी 25 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषण कर दी है। वहीं भारतीय जनता पार्टी द्वारा राजस्थान के लिये अब तक जारी की गयी तीन सूची में भी मात्र 23 नामों की ही घोषणा हो पाई है। मीणा बहुल दौसा सीट पर अभी भी पेच फंसा हुआ है, जिससे दौसा सीट पर भाजपा प्रत्याशी की घोषणा में देरी हो रही है। राजस्थान में भाजपा 24 सीटो पर ही चुनाव लड़ेगी। नागौर की एक सीट पार्टी ने खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लाकतांत्रिक पार्टी से गठबंधन कर छोड़ी है, जहां से हनुमान बेनीवाल स्वंय चुनाव लड़ेगें।
भाजपा ने अभी तक घोषित 23 उम्मीदवारों में से 18 पुराने चेहरों को फिर से मौका दिया है जबकि पांच सीटों पर नये लोगो को मौका दिया गया है। भाजपा ने झुंझुनू से सांसद संतोष अहलावत की टिकट काट कर उनके स्थान पर मंडावा से विधायक नरेन्द्र कुमार खीचड़ को प्रत्याशी बनाया है। भरतपुर सुरक्षित सीट से मौजूदा सांसद बहादुर सिंह कोली के स्थान पर पूर्व में सांसद रहे गंगाराम कोली की पुत्रवधु रंजीता कोली को प्रत्याशी बनाया है। बाडमेर सीट से मौजूदा सांसद कर्नल सोनाराम का टिकट काटकर पूर्व विधायक कैलाश चौधरी को दिया गया है।
राजसमंद सीट से मौजूदा सांसद हरिओम सिंह राठौड़ ने पूर्व में ही स्वास्थ्य कारणो का हवाला देकर चुनाव नहीं लडऩे का ऐलान कर दिया था, हालांकि उन्हें अपनी टिकट कटने का पूर्व में आभास हो गया था। इसी कारण उन्होने खुद ही चुनाव नहीं लडऩे की घोषणा कर पार्टी में अपनी प्रतिष्ठा कायम रख ली। राजसमंद सीट से भाजपा ने पूर्व जयपुर राजघराने की दीया कुमारी को प्रत्याशी बनाया है। दीया कुमारी 2013 से 2018 तक सवाईमाधोपुर क्षेत्र से विधायक रह चुकी हैं तथा अपने स्वयं सेवी संगठन के माध्यम से समाजसेवा का कार्य करती है। पार्टी उन्हें राजसमंद से लोकसभा चुनाव लड़ाना चाहती थी इसीलिये उनको सवाईमाधोपुर से दुबारा चुनाव नहीं लड़ाया गया था।
नागौर से सांसद व केन्द्र सरकार में मंत्री सी आर चौधरी की स्थिति पार्टी में खराब हो रही थी। पार्टी के नेता उनका विरोध कर रहे थे, इसीलिये भाजपा ने जाट बहुल नागौर की सीट पर जाट नेता हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लाकतांत्रिक पार्टी से गठबंधन कर नागौर की सीट गठबंधन के घटक दल के नेता हनुमान बेनीवाल को देना ज्यादा उपयुक्त समझा। हनुमान बेनीवाल से गठबंधन करने से भाजपा को जाट बेल्ट वाली अजमेर, जोधपुर, पाली, अजमेर, राजसमंद,जालौर-सिरोही, जयपुर ग्रामीण, सीकर, झुंझुनू, चूरू, बीकानेर, श्रीगंगानगर की सीटों पर फायदा होगा।
अजमेर के सांसद व केन्द्र में मंत्री रहे सांवरलाल जाट की मृत्यु होने के कारण उनके स्थान पर भाजपा ने पूर्व विधायक भागीरथ चौधरी को प्रत्याशी बनाया है। सांवरलाल जाट पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के बहुत नजदीकी थे तथा भाजपा कार्यालय में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के कार्यक्रम के दौरान ही अचानक बीमार हो गये थे। उनके निधन के बाद हुये लोकसभा उपचुनाव में उनके पुत्र रामस्वरूप लाम्बा को चुनाव लड़वाया गया था, मगर वो कांग्रेस के रघु शर्मा से हार गये थे। फिर रामस्वरूप लाम्बा को अजमेर जिले की नसीराबाद सीट से विधानसभा का टिकट दिया गया जिसमें वो जीत कर विधायक बन गये। भागीरथ चौधरी का 2018 में किशनगढ़ से विधायक रहते टिकट काट दिया गया था मगर उसके उपरान्त भी वो पार्टी के साथ बने रहे जिसके इनाम स्वरूप उनको लोकसभा का टिकट दिया गया है।
बाडमेर सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी ने 2018 का विधानसभा चुनाव बाडमेर विधानसभा सीट से लड़ा था जिसमें वो कांग्रेस के मेवाराम जैन से करीबन 33 हजार वोटों से हार गये थे। सोनाराम की काफी समय से कांग्रेस में जाने की भी चर्चा उठती रही है। कुछ दिनों पूर्व उन्होंने जोधपुर सर्किट हाऊस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी मिलने का प्रयास किया था मगर गहलोत ने उनको मिलने का समय नहीं दिया था। टिकट के लिये उन्होने भाजपा के बड़े नेताओं से भी मिलकर अपनी बात कही थी मगर उनको सफलता नहीं मिली। मुख्यमंत्री गहलोत से मिलने के प्रयास की खबर आने के बाद भाजपा में उनकी टिकट कटनी तय मानी जा रही थी।
2014 के लोकसभा चुनाव में राजस्थान में भाजपा के चार विधायक सांसद चुन लिये गये थे। चार विधायकों के सांसद बन जाने से उनके द्वारा खाली की गयी सीट पर हुये उपचुनाव में झुंझुनू के सूरजगढ़, भरतपुर के वैर, अजमेर के नसीराबाद में भाजपा प्रत्याशियों को हार का मुंह देखना पड़ा था। सिर्फ कोटा दक्षिण से ही भाजपा उपचुनाव जीत सकी थी। पार्टी नेतृत्व ने उस वक्त हुये उपचुनावो की हार को गंभीरता से लिया था। भाजपा नेतृत्व का मानना था कि कुछ माह पूर्व जिस सीट पर भारी मतों से विधायक का चुनाव जीतने वाले नेताओं के सांसद बनने के कारण हुये उपचुनाव में पार्टी को हार का मुंह कैसे देखना पड़ा था। उपचुनाव की हार का कारण सांसदो के असहयोग को माना गया। उपचुनाव में पराजित प्रत्याशियों ने भी सांसदों के असहयोगी रवैये की पार्टी में शिकायत की थी। इसी कारण झुंझुनू सांसद संतोष अहलावत व भरतपुर सांसद बहादुरसिंह कोली का टिकट काट दिया गया।
दौसा से भाजपा के सांसद रहे हरिशचन्द्र मीणा विधानसभा चुनावों पूर्व ही कांग्रेस में शामिल होकर देवली-उनीयारा विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक बन चुके हैं। ऐसे में दौसा सीट पर नये प्रत्याशी को लेकर मंथन जारी है। भाजपा में दौसा सीट राज्यसभा सदस्य डा.किरोड़ी लाल मीणा व भाजपा से बगावत कर निर्दलीय विधायक बने ओमप्रकाश हुड़ला के बीच चल रहे जंग के कारण अटकी हुयी है। डा.किरोड़ी लाल दौसा से अपनी पत्नी पूर्व मंत्री राबड़ी देवी या अपने भाई जगमोहन मीणा को प्रत्याशी बनाना चाहते हैं वहीं निर्दलीय विधायक ओमप्रकाश हुड़ला अपनी पत्नी को टिकट दिलाना चाहते हैं। हुड़ला ने 2013 के विधानसभा चुनाव में महुआ विधानसभा सीट से भाजपा टिकट पर डा.किरोड़ीलाल मीणा की पत्नी गोलमादेवी को 15 हजार 658 वोटों से हराया था, तब डा.किरोड़ीलाल मीणा भाजपा से अलग होकर पूरे प्रदेश में अपनी नेशनलिस्ट पार्टी से चुनाव लड़वा रहे थे। डा.किरोड़ीलाल मीणा व ओमप्रकाश हुड़ला में तभी से अनबन चलती आ रही है। दोनों ही नेता मीणा समाज से हैं व मीणा समाज में गहरा प्रभाव रखते हैं। भाजपा ने पिछली बार के एक के स्थान पर इस बार दो महिलाओं को टिकट दी है। भाजपा का अपने मौजूदा सांसदों का टिकट काटना घाटे का सौदा रहता है या फायदे का इस बात का पता तो चुनाव परिणामों के बाद ही चलेगा।