राजद , झामुमो अपनी शर्तों पर कांग्रेस से करना चाहते गठबंधन
नई दिल्ली, 31 जनवरी (हि.स.)। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से मात्र 6 सीटें ही कांग्रेस को देना चाहते हैं। कांग्रेस 40 में से 15 सीटे मांग रही है। इसी तरह झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता हेमंत सोरेन राज्य की 14 लोकसभा सीटों में से मात्र 5 सीटें ही कांग्रेस के लिए छोड़ना चाहते हैं। वहां कांग्रेस मांग रही है 7 सीटें।
इस बारे में एआईसीसी सदस्य अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि कांग्रेस को अपने को फिर से खड़ा करना है। ऐसे में यदि अन्य विपक्षी पार्टी के भाई लोग अपने-अपने प्रभाव क्षेत्र वाले राज्यों में जो कुछ सीटें दे रहे हैं, केवल उतना लेकर गठबंधन करने का बहुत मतलब नहीं है| उनको एकजुट होकर भाजपा से लड़ना है तो कांग्रेस को भी लड़ना है। इसके लिए एकजुट होकर लड़ने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। एकजुट होकर लड़ने से सभी विपक्षी दलों को फायदा होगा। नहीं लड़ने से सबको बहुत नुकसान और भाजपा को फायदा होगा। इसलिए जब सवाल सर्वाइवल का है, तो जिस तरह कांग्रेस झुक कर समझौते की कोशिश कर रही है, उसी तरह अन्य विपक्षी दल भी करें, तभी तो बात बनेगी। यदि वे 2014 के लोकसभा चुनाव या राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में मिले वोट प्रतिशत व सीटों के आधार पर कांग्रेस को बहुत कम सीटें देने की पेशकश कर रहे हैं, तो उनको इस पर वर्तमान हालात के मद्देनजर विचार करना होगा। अब स्थिति 2014 वाली नहीं है। अब कांग्रेस पहले से अच्छी स्थिति में है। अब राहुल सीधे प्रधानमंत्री को घेरने लगे हैं। अब प्रियंका गांधी भी कांग्रेस की राजनीति में आ रही हैं। इसके चलते अब कांग्रेस अपने सहयोगी दलों को साथ लेकर चलने, उनके लिए लड़ने और एकजुट होकर भाजपा को टक्कर देने की तैयारी कर रही है। ऐसे समय में यदि बिहार व झारखंड में राजद व झामुमो के नेता भी उ.प्र. के सपा व बसपा नेताओं की तरह व्यवहार करेंगे, तो इससे सबका नुकसान होगा।
उधर बिहार राजद नेता तेजस्वी यादव कांग्रेस के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस नेताओं को दिल बड़ा करने को कहते हुए राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से मात्र 6 सीट ही देने को राजी हो रहे हैं। वे 25 सीटों पर राजद के प्रत्याशी खड़ा करना चाहते हैं। उपेन्द्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के लिए 4 सीट, जीतन राम मांझी के हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के लिए 1 सीट, बसपा के लिए 1 सीट, सपा के लिए 1 सीट, सीपीआई (एमएल) के लिए 1 सीट और शरद यादव की पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल को एक सीट देने की बात कर रहे हैं|इस बारे में राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी का कहना है कि अभी सीटों के बंटवारे पर बातचीत चल रही है| कुछ फाइनल नहीं हुआ है। संभव है 3 फरवरी को पटना के गांधी मैदान में होने वाली रैली तक निर्णय हो जाए। इस मामले में कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि राज्य में कांग्रेस की स्थिति बेहतर हो रही है। कांग्रेस नेताओं ने राजद से लोकसभा की 15 सीटों की मांग की है।
जहां तक झारखंड का सवाल है तो वहां की प्रमुख पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राज्य की 14 लोकसभा सीटों में से 9 पर लड़ने की बात कही है। बची 5 सीटों पर कांग्रेस को लड़ने का प्रस्ताव दिया है। झामुमो नेता हेमंत सोरेन का कहना है कि राज्य की 14 लोकसभा सीटों में से 9 सीटों पर हमारी पार्टी की स्थिति अच्छी है। हम इन 9 सीटों पर लड़ना चाहते हैं। इधर इस मामले कांग्रेस के नेता आरपीएन सिंह का कहना है कि अभी बातचीत चल रही है। कांग्रेस के अन्य नेताओं का कहना है कि झारखंड में कांग्रेस लोकसभा की 7 सीटें मांग रही है। इसके अलावा झारखंड विकास मोर्चा के बाबूलाल मरांडी को लेकर भी असमंजस है। यहां भी सीटों के बंटवारे को लेकर मोल-तोल जारी है।
इस तरह बिहार की 40 और झारखंड की 14 लोकसभा सीटों को लेकर विपक्षी दलों के महागठबंधन का पेंच फंसा हुआ है। 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार में भाजपा 22, लोजपा 6, राजद 4 ,जदयू 2 ,रालोसपा 3, कांग्रेस 2 और राकांपा 1 सीट जीती थी। झारखंड की 14 सीटों में से भाजपा 12 और झामुमो 2 सीट जीती थी। अब देखना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी दल गठबंधन करके लड़ते हैं या कुछ सीटों के चक्कर में अलग-अलग लड़कर भाजपा की राह आसान करते हैं।