रक्षा क्षेत्र में भारत की आईटी क्षमताओं का हो इस्तेमाल : प्रधानमंत्री

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करने पर विशेष जोर दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि साइबर सुरक्षा आज के समय में केवल डिजिटल दुनिया तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय बन चुकी है। उन्होंने कहा कि हम अपनी आईडी की ताकत को जितना रक्षा क्षेत्र में इस्तेमाल करेंगे उतना ही देश की सुरक्षा को लेकर हम आश्वस्त होंगे।
प्रधानमंत्री ने आज बजट से संबंधित वेबीनार की श्रृंखलाओं में रक्षा क्षेत्र को केंद्रित कर अपना वर्चुअल संबोधन दिया। आज का वेबीनार केंद्रीय बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए तैयार किए गए रोड मैप और वह कैसे आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्यों को हासिल कर रहा है पर केंद्रित था।
प्रधानमंत्री ने अपने उद्बोधन की शुरुआत में कहा कि भारत की क्षमता कभी भी कम नहीं रही है। गुलामी के कालखंड में और आजादी के बाद भी रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भारत की ताकत बहुत ज्यादा थी। दूसरे विश्व युद्ध में भारतीय हथियारों ने बड़ी भूमिका निभाई है। हालांकि बाद के वर्षों में यह ताकत कमजोर होती चली गई।
बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए किए गए प्रावधानों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का ध्यान अब शोध डिजाइन और डेवलपमेंट से लेकर उत्पादन तक एक वाइब्रेंट इकोसिस्टम विकसित करने पर है। पहले हम विदेशों से अस्त्र-शस्त्र आयात करते थे। इसकी प्रक्रिया बेहद लंबी और जटिल होती थी जिसके चलते सुरक्षाबलों तक पहुंचते-पहुंचते यह काल बाह्य हो जाते थे। इसके समाधान के तौर पर आत्मनिर्भर भारत लाया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि निष्ठा और संकल्प के साथ आगे बढ़ने से बेहतरीन परिणाम मिलते हैं। इसका बेहतरीन उदाहरण ऑर्डिनेंस फैक्ट्री है। पिछले साल 7 रक्षा क्षेत्र से जुड़ी पब्लिक अंडरटेकिंग का निर्माण किया गया है। यह तेजी से अपने व्यापार का विस्तार कर रही है और नए बाजारों तक पहुंच रही है। पिछले 5 सालों में भारत का रक्षा निर्यात 6 गुना बड़ा है।
उन्होंने बताया कि मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने से पिछले 7 वर्षों में रक्षा उत्पादन के लिए 350 से अधिक नए औद्योगिक लाइसेंस जारी किए गए। ट्रायल टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन की व्यवस्था को पारदर्शी, समयबद्ध और व्यवहारिक तथा निष्पक्ष किया जा रहा है।
रक्षा क्षेत्र में घरेलू उत्पादन को मजबूती देने और देश को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर देते हुये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह वेबिनार स्वयं में देश के इरादों को स्पष्ट करता है। शुक्रवार को उन्होंने कहा कि हमारी फौज के पास भारत में बने साजो-सामान होते हैं तो उनका आत्मविश्वास और गर्व का भाव नई ऊंचाई पर पहुंचता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमें सीमा पर डटे जवानों की भावनाओं को भी समझना चाहिए। उन्होंने कहा, “दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान भारत में बने हथियारों ने बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसका अर्थ यह है कि भारत की क्षमता में कमी न तब थी और न अब है।”
रक्षा क्षेत्र में देश की मजबूती पर जोर देते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष के बजट में देश के भीतर ही रिसर्च, डिजाइन और डेवलपमेंट से लेकर मैन्युफेक्चरिंग तक का एक वाइब्रेंट इकोसिस्टम विकसित करने का ब्लूप्रिंट है। रक्षा बजट में लगभग 70 प्रतिशत सिर्फ घरेलू उद्योग के लिए रखा गया है।
आगे उन्होंने कहा कि “जब हम बाहर से अस्त्र-शस्त्र लाते हैं, तो उसकी प्रक्रिया इतनी लंबी होती है कि जब वे हथियार हमारे सुरक्षाबलों तक पहुंचते हैं, तब तक उसमें से कई पुराने हो चुके होते हैं। इसका समाधान भी ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ और ‘मेक इन इंडिया’ में ही है।”
प्रधानमंत्री ने देश की सेनाओं की सराहना करते हुए कहा कि वे भी डिफेंस सेक्टर में भारत की आत्मनिर्भरता का महत्व समझते हुये बड़े निर्णय लेते हैं।


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