मोदी सरकार ने रायबरेली और अमेठी के लोगों की उम्मीदों को पूरा किया
रायबरेली, 18 जनवरी (हि. स.)। करीब चार दशकों से बाट जोह रहे रायबरेली और अमेठी के लोगां की उम्मीदों को आखिर मोदी सरकार ने पूरा कर दिया। लंबे अंतराल के बाद और तमाम राजनीतिक कयासों के विपरीत ऊँचाहार-सलोन-अमेठी रेलवे लाइन के भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। हालांकि इस रेल लाइन का शिलान्यास यूपीए शासन के दौरान ही नवम्बर 2013 को राहुल गांधी ने किया था, लेकिन भूमि पूजन के अलावा इस कार्य को गति नही मिल सकी। 66.17 किमी लंबी और करीब 380 करोड़ की इस परियोजना के लिए राजनीति भी कम नही हुई। कांग्रेस ने जहां इसकी लेट लतीफी के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया वही, भाजपा के लोगों का सीधा आरोप था कि इसके लिए यूपीए सरकार तनिक भी गंभीर नही थी।
सपा सरकार ने भी इसमें लगातार बाधा उत्पन्न की। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी राहुल गांधी और उनके सहयोगियों को इस परियोजना के विलंब होने के लिए जिम्मेदार ठहराया था। राजनीतिक बयानबाजी के बीच आम लोगां को भी भाजपा के केंद्र में सरकार बनाते ही यह लगने लगा कि अब यह परियोजना शायद ही परवान चढ़ सके। लेकिन तमाम कयासों के विपरीत 2014 में भाजपा सरकार के दौरान जहां रेल मंत्रालय ने सक्रियता दिखाई और परियोजना के लिए सभी 60 गांवों का सर्वे पूरा करके 142 करोड़ रुपये निर्गत भी कर दिए। लेकिन प्रदेश की तत्कालीन सपा सरकार के दौरान भूमि अधिग्रहण आदि के मसले पर यह परियोजना पूरी तरह ठप पड़ी रही। 2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर इसमे तेजी आई और सरकार ने एक्शन लेते हुए मई 2017 में लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव को परियोजना के लिए नोडल ऑफिसर बनाया। परियोजना के लिए ततपरता दिखाते हुए प्रत्येक सप्ताह रेल मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक का फैसला किया। प्रदेश की योगी सरकार की बिना किसी भेदभाव के मामले में तेजी का फायदा यह रहा कि 60 गांवों की 303 हेक्टेयर जमीनों आदि के अधिग्रहण में आ रही कमियों को पूरा कर एक वर्ष में ही कर लिया गया। इसके बाद रेल मंत्रालय ने अंतिम सर्वेक्षण किया और अपनी रिपोर्ट दी।
प्रदेश सरकार ने रिपोर्ट मिलते ही भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरु कर दी और अधिकारियों को भरोसा है कि जल्द ही इस काम को भी पूरा कर लिया जाएगा। इस नई रेल लाइन पर 7 स्टेशन बनेंगे 17 बड़े पुल और 65 छोटे पुलों के अलावा 47 सड़क पुल होंगे।
ऊँचाहार-सलोन-अमेठी रेल लाइन को लेकर राजनीति चाहे जो भी रही हो, लेकिन यह गौर करने वाली बात है कि इसे कार्यरूप में अंजाम भाजपा की सरकारों ने दिया। कांग्रेस आदि विपक्षी दल जो भी आरोप प्रत्यारोप करे, लेकिन उन्हें इस बात का भी जबाब देना होगा कि रायबरेली और अमेठी की जनता को इसके लिए चार दशकों तक आखिर इंतजार क्यों करना पड़ा।