एटा, 22 मार्च (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) द्वारा गुरूवार को जारी की गयी अपने प्रत्याशियों की सूची में ब्रज क्षेत्र के जिन पांच प्रत्याशियों की घोषणा की गयी है, उनके चयन के पीछे ‘मोदी मैजिक’ के साथ सामाजिक संतुलन बरकार रख जीत की तलाश की कोशिश नजर आती है।
इस सूची में जहां आगरा से दो बार सांसद चुने गये निवर्तमान सांसद प्रो. रामशंकर कठेरिया का टिकट काट प्रदेश सरकार में मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल को थमाया गया है तो फतेहपुर सीकरी से सांसद बाबूलाल को हटाकर संगठन के राजकुमार चाहर को आजमाया गया है। एससपी सिंह बघेल जलेसर लोकसभा क्षेत्र से दो बार सपा से सांसद रह चुके हैं। जबकि वर्ष 2014 की मोदी लहर में भी फिरोजाबाद से सपा प्रत्याशी अक्षय यादव से चुनाव हार गये थे।
गुरूवार को घोषित प्रत्याशियों की सूची में पार्टी द्वारा मथुरा से हेमामालिनी, अलीगढ़ से सतीश गौतम व एटा से राजवीर सिंह राजू को ही पुनः प्रत्याशी बनाया है। इनमें मथुरा से सिने तारिका हेमामालिनी को पुनः प्रत्याशी बनाया जाना जहां उनकी करिश्माई छवि के चलते संभव हुआ है, वहीं 2014 में इस सीट से जीतने के बाद उनके द्वारा मथुरा क्षेत्र का बिना किसी भेदभाव कराया गया विकास, स्थानीय राजनीतिक प्रतिद्वन्द्विता में फंसे बिना सबके मध्य संतुलन व समन्वय बनाए रखना भी प्रमुख कारण रहा है। साथ ही हेमा की भाजपा व रास्वसंघ के राष्ट्रीय नेतृत्व से निकटता भी प्रमुख कारण रही है।
वहीं अलीगढ़ से पार्टी सांसद सतीश गौतम पर पुनः दांव लगाना गौतम की राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह से निकटता के चलते होना प्रतीत होता है। साथ ही इस टिकट के सहारे पार्टी ने क्षेत्र के ब्राह्मण मतदाताओं को साधने की कोशिश भी की है।
फतेहपुर सीकरी लोकसभा क्षेत्र से निवर्तमान सांसद चौ. बाबूलाल के स्थान पर संगठन के राजकुमार चाहर को प्रत्याशी बनाया जाना, क्षेत्र में चौ. बाबूलाल के विरोध, उनकी दलबंदी व पार्टी से समन्वय के अभाव के चलते हो सकने वाली संभावित हार को देखते हुए किया गया लगता है। नया प्रत्याशी होने के कारण चाहर फतेहपुर सीकरी फतह कर पाएंगे या नहीं, देखने का विषय होगा।
वहीं भाजपा द्वारा एटा लोकसभा से कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह राजू को पुनः दोहराकर एक प्रकार से कल्याण सिंह व उनके माध्यम से क्षेत्र के लोधी समुदाय पर अपना विश्वास जताया गया है। यूं एटा सीट से 2019 के चुनावों में स्वयं कल्याण सिंह व 2014 में राजवीर सिंह रिकार्ड मतों से विजय हासिल कर चुके हैं। राजवीर सिंह राजू को 2014 में मिले 474978 मत तो सपा के देवेन्द्र सिंह यादव को मिले 273977 व बसपा प्रत्याशी नूर मुहम्मद को मिले 137127 को संयुक्त कर देने पर भी 63874 अधिक थे। साथ ही राजवीर ने एटा को मेडीकल कालेज जैसी बड़ी सौगात सहित क्षेत्र में विकास की करीब 2200 करोड़ की परियोजनाएं लाकर क्षेत्र में अपनी लोकप्रियता व पकड़ बरकरार बनाए रखी है।
2019 के लोकसभा चुनावों में अलीगढ़, एटा व फर्रूखाबाद आदि लोकसभा सीटों पर एक खतरा क्षेत्र के लोधी व शाक्य मतों के विभाजन का हो सकता था। संभवतः इसकी काट के लिए एटा के समीपवर्ती बदायूं लोकसभा सीट से कद्दावर शाक्य नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की पुत्री डा. संघमित्रा मौर्य को लड़ाया जा रहा है।
यूं संघमित्रा मौर्य बसपा प्रत्याशी के रूप में अलीगंज विधान सभा से तथा 2014 में मुलायम सिंह यादव के समक्ष मैनपुरी लोकसभा से चुनाव लड़ पराजित हुई हैं। किन्तु ये कांग्रेस-जनअधिकार पार्टी गठबंधन के एटा सीट पर घोषित प्रत्याशी तथा अतीत में भाजपा के बड़े शाक्य नेता रहे सूरज सिंह शाक्य के प्रभाव को कम करेंगीं- इसमें संदेह नहीं।
यूं मैनपुरी, मथुरा, हाथरस व फिरोजाबाद के अलावा अभी सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशियों की घोषणा न होने के कारण चुनावी परिदृश्य क्या रहेगा- कहना मुश्किल है। किन्तु प्रत्याशियों के चयन को देखते हुए फिलहाल तो भाजपा बढ़त लेती नजर आती है।