मुजफ्फरपुर शेल्टर होम: सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया कवरेज से रोक हटाई लेकिन कहा-पीड़ितों की पहचान उजागर न करें
नई दिल्ली, 20 सितम्बर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में बच्चियों के साथ रेप के मामले की मीडिया कवरेज पर रोक लगाने के पटना हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने मीडिया से कहा है कि वे सावधानी से केस की रिपोर्टिंग करें और इस बात का ध्यान रखें कि पीड़ितों की पहचान उजागर नहीं हो।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह सीबीआई जांच की मानिटरिंग खुद करेगा। कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह चार हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें। कोर्ट ने आयकर विभाग को निर्देश दिया कि वह मुख्य अभियुक्त ब्रजेश कुमार की संपत्ति की जांच करें।
18 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए सीबीआई की नई टीम गठित करने के पटना हाइकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई निदेशक की ओर से गठित टीम में कोई फेरबदल की ज़रूरत नहीं।
11 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट द्वारा मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में बच्चियों के साथ रेप के मामले की मीडिया कवरेज पर रोक लगाने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार और सीबीआई को नोटिस जारी किया था।
कोर्ट ने कहा था कि मीडिया पर बने दिशानिर्देश का पालन होना चाहिए। रिपोर्टिंग पर पूरी तरह रोक सही नहीं लगती है। कोर्ट ने रेप पीड़ितों से बात करने के लिए वकील नियुक्त करने के पटना हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।
याचिका बिहार की पत्रकार निवेदिता झा ने दायर किया है। 23 अगस्त को पटना हाईकोर्ट ने इस मामले की मीडिया कवरेज पर रोक लगा दी थी। निवेदिता झा ने वकील फौजिया शकील के जरिए दायर याचिका में कहा है कि पिछले साल अप्रैल में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट में शेल्टर होम में बच्चियों के यौन शोषण का खुलासा किया गया था। जब अखबारों और टीवी चैनलों ने इस खबर को प्रमुखता से दिखाया तब पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की।
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले ने राजनीतिक भूचाल ला दिया। बिहार सरकार के एक मंत्री को भी इस्तीफा देना पड़ा था। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया है।