मुजफ्फरपुर शेल्टर होम: अदालत ने कहा- अभियुक्तों को दस्तावेज मुहैया कराए सीबीआई

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नई दिल्ली, 02 (हि.स.)। दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले की सुनवाई करते हुए सीबीआई को निर्देश दिया कि वो अभियुक्तों को सभी दस्तावेज उपलब्ध कराएं। एडिशनल सेशंस जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वो अभियुक्तों के वकीलों को पीड़ितों के नाम, केस से संबंधित सीडी और दूसरे संबधित दस्तावेज सौंप दें ताकि वे क्रास-एग्जामिनेशन कर सकें। कोर्ट ने सीबीआई को ये भी निर्देश दिया कि वे पीड़ितों के फोटो और उनके वर्तमान निवास का खुलासा अभियुक्तों के वकीलों से न करें ।

30 मार्च को कोर्ट ने सभी आरोपितों के खिलाफ आरोप तय कर दिए थे। कोर्ट ने>आरोपितों पर यौन उत्पीड़न, आपराधिक साजिश, पॉस्को एक्ट की धारा 3, 5 और 6 के सहित अन्य धाराओं के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया था । इस मामले में मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर समेत 21 लोगों को आरोपित बनाया गया है। सीबीआई अभी इस मामले में आरोपितों के खिलाफ हत्या, ट्रैफिकिंग समेत दूसरी धाराओं के तहत पूरक आरोपपत्र दाखिल करेगा।

27 फरवरी को सीबीआई ने कोर्ट के बताया था कि इस मामले में दो स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर नियुक्त कर दिए गए हैं। सीबीआई ने इस मामले में अमित जिंदल और आरएन सिन्हा को स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर नियुक्त किया है।

23 फरवरी को इस मामले के सात आरोपितों को कोर्ट में पेश किया गया था। सातों आरोपितों को एडिशनल सेशंस जज सौरभ कुलश्रेष्ठ की कोर्ट में पेश किया गया था। 23 फरवरी को जिन आरोपितों को साकेत कोर्ट में पेश किया गया उनमें शाइस्ता प्रवीण ऊर्फ मधु, मोहम्मद साहिल ऊर्फ विक्की, मुख्य आरोपित ब्रजेश ठाकुर का चाचा रामानुज, बाल कल्याण समिति के पूर्व अध्यक्ष दिलीप वर्मा, शेल्टर होम के मैनेजर रामाशंकर सिंह, अश्विनी कुमार और कृष्णा कुमार राम शामिल हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ किया था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक वो इस मामले की सुनवाई छह महीने में पूरी करेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने सात फरवरी को इस मामले को साकेत कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की छह महीने में सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मुजफ्फरपुर ट्रायल कोर्ट से इस केस के सभी दस्तावेज साकेत कोर्ट में पहुंच गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने 12 फरवरी को इस मामले में सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव को अवमानना का दोषी करार दिया था। नागेश्वर राव पर आरोप था कि उन्होंने इस मामले की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारी एके शर्मा का तबादला बिना कोर्ट की अनुमति के कर दिया था।


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