मार्च में रिन्यू नहीं हो सकेगा एडहॉक टीचर्स का अप्वाइंटमेंट्स!

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नई दिल्ली, 05 मार्च (हि.स.)। दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी, एसटी, ओबीसी टीचर्स फोरम ने केंद्र सरकार की तरफ से कोई राहत नहीं मिलती देख चेतावनी दी है कि मार्च के तीसरे सप्ताह में डीयू के कॉलेजों में रोस्टर को लेकर अफरा-तफरी मचेगी। फोरम ने आगाह किया है कि दिल्ली सरकार के 28 कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी का कार्यकाल जल्द ही समाप्त होने वाला है। ऐसे में एडहॉक टीचर्स का अप्वाइंटमेंट्स रिन्यू नहीं हो सकेगा।
दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी, एसटी, ओबीसी टीचर्स फोरम का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय में विभागवार रोस्टर पर समीक्षा याचिका (रिव्यू पिटीशन) के खारिज होने के बाद से केंद्र सरकार द्वारा रोस्टर व आरक्षण पर अध्यादेश नहीं लाने के कारण अब कोई विकल्प नहीं बचा है कि चुनाव अधिसूचना जारी होने से पहले अध्यादेश आ जाए। फोरम ने कहा है कि इसी महीने चुनाव की घोषणा हो जाएगी।दूसरी तरफ, दिल्ली सरकार के 28 कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, तो तीसरे सप्ताह में तदर्थ शिक्षकों के नियुक्ति पत्रों (अप्वाइंटमेंट्स लेटर रिन्यू) को चार माह के लिए फिर रिन्यू किया जाना है। जब इनका अप्वाइंटमेंट्स लेटर रिन्यू होना है उसी दौरान विश्वविद्यालय में एक सप्ताह का अवकाश होगा। ऐसी स्थिति में रोस्टर व रिन्यू को लेकर कुछ भी सम्भव है।
फोरम के चेयरमैन प्रो. हंसराज सुमन व महासचिव प्रो. के पी सिंह यादव ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय में रोस्टर व आरक्षण पर समीक्षा याचिका के खारिज होने के बाद से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के शिक्षकों में भय और आक्रोश का माहौल बना हुआ है। उन्हें भय सता रहा है कि कहीं विभागवार रोस्टर लागू न हो जाए। यदि ऐसा होता है तो नए आरक्षण फार्मूले से आगामी दिनों में एससी, एसटी और ओबीसी कोटे की भर्तियों में भारी कटौती हो सकती है। इस फार्मूले के तहत वैकेंसी डिपार्टमेंट वाइज तय होगी न कि कुल वैकेंसी के आधार पर कॉलेज व डिपार्टमेंट को एक यूनिट मानकर रोस्टर बनेगा।
प्रो. सुमन व प्रो. यादव के अनुसार जो तदर्थ शिक्षक छोटे विभागों में पिछले 8-10 सालों से 200 प्वाइंट पोस्ट बेस रोस्टर पर नियुक्त हुए हैं। लेकिन जैसे ही विभागवार (डिपार्टमेंट वाइज) रोस्टर बना तो 7 पदों से कम वाले विभागों से एससी, एसटी के शिक्षक सिस्टम से बाहर हो जाएंगे। उनका कहना है कि यदि यूजीसी के 5 मार्च 2018 के सर्कुलर को लागू किया जाता है तो इससे पहले दिल्ली विश्वविद्यालय को अपने ईसी रेजुलेशन – 64 में बदलाव करना होगा, क्योंकि इस नियम के तहत कॉलेजों को रोस्टर 2 जुलाई 1997 से एससी/एसटी के लिए 15 और 7.5 प्रतिशत आरक्षण 200 प्वाइंट पोस्ट बेस रोस्टर तैयार करना व 21 मार्च 2007 से 27 ओबीसी आरक्षण रोस्टर लागू करते हुए विभाग/कॉलेज को एक यूनिट मानकर वरिष्ठता के आधार पर रोस्टर रजिस्टर तैयार किया जाता था। लेकिन अब नए फार्मूले को स्वीकार करते हुए विभागवार व विषयवार बनाना होगा। इससे विभिन्न विभागों और कॉलेजों में पढ़ा रहे एससी, एसटी और ओबीसी के तदर्थ शिक्षकों की सीटें कम हो जाएगी और 50 प्रतिशत शिक्षक जो लंबे समय से स्वीकृत पदों पर पढ़ा रहे हैं वे सिस्टम से बाहर निकाल दिए जाएंगे। यह वंचित वर्गों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ ही नहीं बल्कि उन्हें उच्च शिक्षा से वंचित करने का सरकार का गहरा षड्यंत्र है।


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