मां, मातृभाषा और जन्मभूमि को हमेशा रखें याद: उपराष्ट्रपति

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रायपुर, 16 मई (हि.स.)। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि मां, मातृभाषा और जन्मभूमि को कभी नहीं भूलना चाहिए। हमें अपनी मातृभाषा में ही बोलना, लिखना और चर्चा करनी चाहिए। उपराष्ट्रपति ने बुधवार को कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए कहा, \”पहले मैं भी हिंदी के विरोध में आंदोलनों में शामिल हुआ, लेकिन धीरे-धीरे बात समझ में आई। हमें अपनी मातृभाषा में ही बोलना, लिखना और चर्चा करनी चाहिए।\” कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय कैंपस की जगह साइंस कॉलेज के पास पं.दीनदयाल उपाध्याय आडिटोरियम में किया गया था। उन्होंने कहा कि पहले पत्रकारिता एक मिशन थी, आज यह उद्योग का स्वरूप ले रही है। इससे पत्रकारिता की विश्वसनीयता प्रभावित हो रही है। कार्यक्रम की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने की। डॉ. सिंह ने कहा कि समाचारों की विश्वसनीयता ही पत्रकारिता की पहचान होती है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि पिछले 25 वर्षों के दौरान टीवी चैनलों ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है। प्रौद्योगिकी के विकास के साथ स्मार्ट फोन की मदद से डिजिटल मीडिया हम सबके हाथों में पहुंच चुका है। हम सभी सूचनाएं गढ़ने, प्रेषित करने और प्राप्त करने की क्षमता रखते हैं। ऐसे दौर में हमारी जिम्मेदारी और भी अधिक बढ़ जाती है। उचित और अनुचित में भेद करने का दायित्व हम सभी का है। इस दौर में पत्रकारिता के विद्यार्थियों को विवेकशील बनना होगा। पत्रकारिता के विद्यार्थी एक आदर्श पत्रकार के रूप में देश व समाजहित में काम करें और एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान दें। माता, मातृभूमि, मातृभाषा व गुरुजनों का सम्मान करना कभी न भूलें। आज आईटी का युग है, लेकिन इंटरनेट के गूगल जैसे सर्च इंजन कभी भी किसी गुरु का स्थान नहीं ले सकते। नायडू ने कहा, \”समाज में पत्रकारिता उत्कृष्ट व महत्वपूर्ण कार्य है। मैंने अपने 40 साल के सार्वजनिक जीवन में पत्रकार मित्रों से काफी कुछ सीखा है। उनके साथ बातचीत से हिन्दी सीखने का अवसर मिला। पत्रकारिता और पत्रकारों ने स्वतंत्रता संग्राम में महती भूमिका निभाई थी। उस दौर के लगभग सभी बड़े नेता प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर समाचार पत्रों के माध्यम से जनता में जागरुकता पैदा करने की दिशा में प्रयासरत थे। समाचार चैनलों के बाद अब सोशल मीडिया का प्रभावशाली औजार पत्रकारों के हाथ में है, लेकिन इसके साथ ही पत्रकारों की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। इन सुविधाओं का उपयोग देशहित में करना चाहिए।\” नायडु ने स्व. कुशाभाऊ ठाकरे को नमन करते हुए कहा कि यह मेरा सौभाग्य कि उनके साथ लंबे समय तक मुझे काम करने का अवसर मिला। वे एक आदर्श नेता और मार्गदर्शक थे। पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी बाजपेयी को याद करते हुए नायडू ने कहा कि अटल जी ने छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया। यह गौरव का विषय है कि अटल जी ने ही इस विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया था और विश्वविद्यालय ने उनकी कालजयी रचना ‘कदम मिलाकर चलना होगा‘ को अपना कुलगीत बनाया है। उन्होंने दीक्षांत समारोह में उपाधि और स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को उज्जवल भविष्य के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि देश के प्रथम मीडिया गुरुकुल के तौर पर पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। यह विश्वविद्यालय मीडिया शिक्षा में स्नातक से लेकर स्नातकोतर, एमफिल और पीएचडी की शिक्षा प्रदान कर रहा है। इसके लिए मैं विश्वविद्यालय परिवार को बधाई देता हूं। आज भी हमारे देश के अनुसूचित जातियों, जनजातियों, महिलाओं और पिछड़े वर्ग के करोड़ों लोगों तक सूचनाएं सही मायने में, सही संदर्भाें के साथ और सही समय पर पहुंचाने की आवश्यकता है। यह कार्य करके पत्रकार समरस समाज की स्थापना में अपना योगदान दे सकते हैं। मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता का गौरवशाली इतिहास रहा है। समाचारों की विश्वसनीयता ही पत्रकारिता व पत्रकारों की पहचान बनाती है। लोकतंत्र में पत्रकारिता सिर्फ समाचार देने का माध्यम ही नहीं है बल्कि देश व समाज को सही दिशा देना भी इसका महत्वपूर्ण उद्देश्य है। एक स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए स्वस्थ्य व निष्पक्ष पत्रकारिता बहुत जरूरी है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पत्रकारिता का अनिवार्य हिस्सा है लेकिन अभिव्यक्ति के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी और राष्ट्रहित सर्वोपरि है। समाचार देने के पहले तथ्यों की पुष्टि आवश्यक है। पत्रकार जो बोलता और लिखता है, उसका मूल्यांकन आने वाली पीढ़ी करती है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के इस पहले पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय की जब कल्पना की थी तभी यह तय किया गया कि विश्वविद्यालय का नामकरण प्रखर चिंतक और विचारक स्व.कुशाभाऊ ठाकरे की स्मृति में किया जाएगा। हमारे लिए यह गौरव की बात रही कि छत्तीसगढ़ प्रदेश के निर्माता पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी जी के हाथों इस विश्वविद्यालय का उद्घाटन हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया के तकनीकी औजारों, वेबसाइट, फेसबुक, वॉट्सएप से इन दिनों हमारे और आपके स्मार्ट फोन पर दुनिया के हर कोने से आ रही सूचनाओं का सैलाब उमड़ रहा है। इन सूचनाओं की सच्चाई का पता सिर्फ नीर-क्षीर विवेक से ही लगाया जा सकता है। छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री अजय चंद्राकर, कृषि एवं जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, रायपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद रमेश बैस विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उपराष्ट्रपति ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय की स्मारिका ‘‘केटीयु न्यूज‘‘ के दीक्षांत विशेषांक का विमोचन किया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. मानसिंह परमार ने स्वागत भाषण दिया। कुलसचिव डॉ. अतुल कुमार तिवारी ने आभार प्रदर्शन किया। दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के 406 विद्यार्थियों को डिग्री और 19 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। इनमें वर्ष 2014-15 एवं वर्ष 2016 व 2017 के बीच में उत्तीर्ण एम.फिल. के 27, स्नातकोत्तर के 170 और स्नातक के 209 छात्र-छात्राओं को उपाधियां दी गईं।


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