ममता सरकार ने बंद कराई राधा-कृष्ण की कीर्तन परम्परा

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कोलकाता, 14 फरवरी (हि.स.)। पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर अमूमन अल्पसंख्यक तुष्टीकरण और हिंदुओं के दमन का आरोप लगता रहता है। अब एक ऐसा मामला सामने आया है जहां हजारों साल पुरानी राधा कृष्ण की पूजा की परंपरा को राज्य प्रशासन ने जबरदस्ती न सिर्फ बंद कराया है बल्कि पूजा करने वालों को मारा-पीटा भी है। घटना कोलकाता न्यू टाउन थाना इलाके के पाथरघाटा ग्राम पंचायत क्षेत्र का है। हालांकि जबरदस्ती पूजा बंद कराने और मंदिर परिसर में तोड़फोड़ तथा लोगों को मारने -पीटने की घटना के बाद नाराज हजारों लोगों ने पूरे इलाके की सड़क जाम कर दी है। पुलिस को भी मारा -पीटा है और जनप्रतिनिधियों को घेरकर विरोध प्रदर्शन किया है। बताया गया है कि पाथरघाटा ग्राम पंचायत क्षेत्र में हजारों साल पुराना राधा कृष्ण का मंदिर है| वहां हर साल तीन दिवसीय कीर्तन का आयोजन किया जाता है। बुधवार को यह कीर्तन शुरू हुआ था और शुक्रवार शाम खत्म होना था| लेकिन आरोप है कि बुधवार शाम बड़ी संख्या में पुलिस की टीम कीर्तन स्थल पर पहुंची और अष्टयाम के लिए लगाए गए माइक को तुरंत बंद करने के लिए कहा। पुलिस का कहना था कि माध्यमिक परीक्षा चल रही है और माइक बजाकर कीर्तन नहीं किया जा सकेगा। इसके बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस के आदेश को मान भी लिया और पूरी माइक को बंद कर दिया गया। लोग बैठकर बिना माइक के ही कीर्तन के लिए तैयार हुए लेकिन पुलिस ने उतना भी नहीं करने दिया और कहा कि बिना माइक का भी कीर्तन नहीं करने दिया जाएगा। जो लोग कीर्तन करेंगे उन्हें पकड़ कर थाने ले जायेंगे। इसके बाद भी लोगों ने पुलिस को समझाने की कोशिश की और बताया कि हजारों सालों से यह परंपरा चली आ रही है और इसे नहीं तोड़ा जा सकता। यह हमारी पूजा है। लेकिन पुलिस वाले नहीं माने और कीर्तन कर रहे लोगों को मारने -पीटने लगे। यहां तक कि मंदिर परिसर और आसपास मौजूद घरों में भी तोड़फोड़ शुरू कर दी। इसके बाद हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर गए। हालात को भांप कर पुलिसकर्मी तो वहां से भाग निकले लेकिन लोगों ने रातभर सड़क जाम रखी। गुरुवार सुबह तक पूरे इलाके में तनाव की स्थिति है। लोगों ने टायर जलाकर सड़कों पर रख दिया था। किसी भी गाड़ी अथवा जनप्रतिनिधि को गांव में घुसने नहीं दिया जा रहा है। मौके पर मौजूद हिंदुस्थान समाचार के संवाददाता को स्थानीय लोगों ने बताया कि हावड़ा के धुलागढ़ में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने सैकड़ों हिंदुओं को मारा पीटा और घर से भगा दिया लेकिन ममता बनर्जी की सरकार ने किसी को गिरफ्तार नहीं किया। तजिया, ईद या कोई भी अन्य अल्पसंख्यक त्यौहार हो तो पूरी सरकार उसे सफल कराने में जुट जाती है जबकि हमारी हजारों साल पुरानी पूजा की परंपरा को रोकने के लिए पूरे पुलिस बल को लगा दिया गया। आरोप है कि विधाननगर नगर निगम के मेयर सब्यसाची दत्त के कहने पर पुलिस ने ऐसा किया था। गुरुवार सुबह तक हालात सामान्य नहीं हो सके हैं और लोग सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यह भी पता चला है कि रात के समय लोगों को रोकने के लिए पहुंची पुलिस टीम को स्थानीय लोगों ने मारा है और पुलिस की गाड़ी में भी आग लगाने का आरोप स्थानीय लोगों पर है। हालांकि लोगों का कहना है कि हजारों साल पुरानी परंपरा को जबरदस्ती रोकने और मंदिर में तोड़फोड़ करने के बावजूद पुलिस कर्मी गांव वालों को गिरफ्तार करने पर जुटे हुए थे। इसीलिए लोगों ने एक होकर उन्हें खदेड़ा है।
उल्लेखनीय है कि कोलकाता में इस तरह की घटनाएं आम बात है| पूरे राज्य में क्या हालात होंगे, अंदाजा लगाया जा सकता है। इसके पहले भी दक्षिण कोलकाता के एक हजारों साल पुराने अन्नपूर्णा देवी की मंदिर को नगर निगम की चेयर पर्सन माला रॉय ने बुलडोजर लगाकर सिर्फ इसीलिए तोड़वा दिया था क्योंकि उनके चहेते प्रमोटर को इलाके में बहुमंजिला इमारतें बनाने की राह में मंदिर रोड़ा बन रहा था। इस घटना के खिलाफ जो लोग शिकायत करने पहुंचे थे पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।

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