मप्र में टल सकते हैं पंचायत चुनाव, गेंद चुनाव आयोग के पाले में

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– ओबीसी आरक्षण के साथ हों पंचायत चुनाव, विधानसभा में सर्वसम्मति से संकल्प पारित

भोपाल, 23 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। प्रथम एवं द्वितीय चरण के नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसी बीच गुरुवार को विधानसभा में सर्वसम्मति से अशासकीय संकल्प पारित किया गया है कि प्रदेश में पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के बिना न हों। सरकार अब विधानसभा का यह संकल्प राज्य निर्वाचन आयोग को भेजेगी। यानी अब आयोग तय करेगा कि चुनाव की प्रक्रिया जारी रहेगी या फिर इसे टाला जाएगा? इधर, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. गिरीश गौतम ने पंचायत चुनाव फिलहाल टलने के संकेत दिए हैं।

विधानसभा के शीतकालीन सत्र का गुरुवार को चौथा दिन था। पूर्वाह्न 11 बजे सदन में कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने पंचायत चुनाव का मुद्दा उठाते हुए हंगामा शुरू कर दिया। कांग्रेस सदस्यों ने कहा कि पंचायत चुनाव को लेकर सरकार कुछ नहीं कर रही है। एक तरफ पंचायत चुनाव की प्रक्रिया चल रही है, दूसरी ओर कोर्ट में जाने की बात कही जा रही है। नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने कहा कि हम चाहते हैं चुनाव को तत्काल रोका जाए।

इसके जवाब में गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि हमने रिव्यू पिटीशन दाखिल की है। आज तत्काल सुनवाई को लेकर कोर्ट से आग्रह कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के सदस्य उनके इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और आसंदी के सामने आकर नारेबाजी करने लगे। इस पर नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस यहां पर घड़ियाली आंसू बहा रही है। प्रतिदिन प्रश्नकाल को बाधित किया जा रहा है। हमने जो कहा, उसका अक्षरश: पालन कर रहे हैं। ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव हो, हम इसी दिशा में आगे बढ रहे हैं। तभी सत्तापक्ष से विश्वास सारंग और भूपेंद्र सिंह खड़े हुए और विपक्ष से बहस करने लगे।

मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि गुजरात और छत्तीसगढ़ में ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव हो रहे हैं, लेकिन मप्र में कांग्रेस ने कोर्ट में जाकर ओबीसी आरक्षण को रोकने का काम किया है। विवेक तन्खा वहां पर पैरवी कर रहे हैं। हंगामे के कारण विधानसभा की कार्यवाही 15 मिनट और फिर दस मिनट के लिए स्थगित की गई। कार्यवाही पुन: शुरू होने पर विपक्ष ने फिर हंगामा करना शुरू कर दिया। इस पर सदन की कार्यवाही तीसरी बार स्थगित कर दी गई।

दोपहर 12 बजे के बाद सदन की कार्यवाही पुन: शुरू हुई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि हम चाहते हैं कि बिना ओबीसी आरक्षण के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव न कराए जाएं। सभी सदस्यों ने हाथ उठाकर इस प्रस्ताव का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव को लेकर आक्रोश है। हम नहीं चाहते हैं कि बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव हों। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सदन सर्वसम्मति से संकल्प पारित करके यह ऐतिहासिक फैसला करे कि पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ ही हों।

इस पर नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने कहा कि हम तो यही कह रहे थे कि सदन से संकल्प पारित किया जाए। हालांकि संकल्प प्रस्तुति के दौरान सदन में हंगामा हुआ। जब मुख्यमंत्री बोल रहे थे तब विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया। इसको लेकर संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि जब हमारे नेता को नहीं सुना जाएगा तो हम भी विपक्ष को बोलने नहीं देंगे। इसके बाद अध्यक्ष ने संकल्प प्रस्तुत करवाया। संकल्प पारित होने के बाद जब नेता प्रतिपक्ष अपनी बात रखने के लिए खड़े हुए तो संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि संकल्प पारित होने के बाद उस पर नियमानुसार चर्चा नहीं होती है। इस पर कांग्रेस के सदस्यों ने पुन: हंगामा करना शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री संकल्प पारित होने के बाद सदन से निकल गए। मुख्यमंत्री ने विधानसभा परिसर में मीडिया से कहा कि हम हर संभव कोशिश करेंगे कि बिना ओबीसी के चुनाव न हों।

विधानसभा द्वारा संकल्प पारित करने के बाद अब पंचायत चुनाव टलने के आसार बन गए हैं। राज्य निर्वाचन आयोग को अब तय करना है कि चुनाव कराए जाएं या नहीं। आयोग अभी इंतजार में है कि सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार याचिका पर क्या फैसला देता है। गुरुवार को विधानसभा में हंगामे के बीच 5 विधेयक और अनुपूरक बजट पारित किया गया। इसके बाद कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।

इधर, विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने पंचायत चुनाव टलने के संकेत दिये हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा से सर्वसम्मति से जो संकल्प पारित हुआ है, उसे सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को भेजा जाएगा। एक तरह से यह चुनाव प्रक्रिया को रोकने के लिए सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट है। इसके माध्यम से बताया जाएगा कि सदन का यह स्पष्ट मत है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के बिना न हों।


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