भोग से योग की दिशा में गति करे आदमी: महाश्रमण
अणुविभा से महातपस्वी महाश्रमण ने किया प्रस्थान, सात किलोमीटर का विहार कर पहुंचे जवाहर नगर
जयपुर, 27 दिसम्बर (हि.स.)। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, महातपस्वी, शान्तिदूत, अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण के पावन प्रवास और अमृतवाणी के प्रभाव से गुलाबी नगरी जयपुर पूरी तरह आध्यात्मिक रंग में रंगी नजर आ रही है। आध्यात्मिकता की बहती बयार ने इस नगरी की फिजा को ही बदल दिया है।
अणुव्रत विश्व भारती में प्रवास कर रहे तेरापंथ के आचार्यश्री महाश्रमण ने सोमवार प्रातःकाल मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम में समुपस्थित जनमेदिनी को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि तीन शब्द हैं-भोग, रोग और योग। सामान्य आदमी भोग के प्रति आकर्षित हो जाता है। पदार्थजन्य भौतिक सुखों को भोगने के लिए आदमी लालायित नजर आता है। आसक्ति के साथ भोग करने वाले आदमी की आत्मा कर्मों से बंध जाती है। आदमी सोचता है मैं भोग को भोग रहा हूं, किन्तु स्वयं भोग आदमी को भोग लेता है। जैसे पहले आदमी शराब को पीता है और बाद में शराब आदमी को पीने लग जाती है।
उन्होंने कहा कि आदमी को भोग से योग की ओर बढ़ने का प्रयास करना चाहिए तथा अपनी आत्मा के कल्याण का प्रयास करना चाहिए। परम पूज्य आचार्य तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन चलाया। अणुव्रत अर्थात छोटे-छोटे नियमों के द्वारा आदमी भोगों पर नियंत्रण रख सके और अपनी आत्मा को निर्मल बनाने का प्रयास करे। आत्मा को मोक्ष से जोड़ने वाला हर तत्त्व योग होता है। संयम, तप और साधना के माध्यम से अपनी आत्मा को मोक्ष प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने आज भी प्रवचन के मध्य तेरापंथ के चतुर्थ आचार्य श्रीमज्जयाचार्य, दसवें आचार्य महाप्रज्ञ और मंत्रीमुनिश्री को याद करते हुए जयपुरवासियों को प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि यहां के समाज में धार्मिक, आध्यात्मिक माहौल बना रहे। सेवा व सौहार्द की भावना प्रवर्धमान बनी रहे।
साध्वी धनश्रीजी व साध्वी सलीलयशाजी ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी द्वारा अणुव्रत गौरव सम्मान का आयोजन किया। अणुव्रत विश्व भारती के अध्यक्ष संचय जैन ने वर्ष 2020 का अणुव्रत गौरव सम्मान जीएल नाहर को देने की घोषणा की। महामंत्री भीखम सुराणा ने प्रशस्तिपत्र का वाचन किया। जी.एल. नाहर ने आचार्यश्री के समक्ष अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। आचार्यश्री ने उन्हें आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि आचार्य तुलसी का अवदान अणुव्रत आंदोलन और आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा सम्पोषित इस आंदोलन को कार्यकर्ताओं का सहयोग मिला है।
कार्यक्रम में तनिषा लूणिया, पूर्वा-साक्षी बांठिया, हर्षिता दूगड़ ने पृथक-पृथक गीत का संगान किया। जयपुर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष नरेश मेहता, मंत्री पन्नालाल बैद, अणुविभा भवन के मंत्री हितेश भांडिया, छापर चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष माणकचन्द नाहटा व बालक विश्रुत जैन ने भावाभिव्यक्ति दी।
मंगल प्रवचन के कुछ समय पश्चात दोपहर करीब दो बजे आचार्यश्री अणुव्रत विश्व भारती से अपनी धवल सेना संग गतिमान हुए। इस दौरान कई श्रद्धालुओं को आचार्यश्री के दर्शन और मंगल आशीष का सौभाग्य प्राप्त हुआ। रास्ते में जगह-जगह खड़े लोगों ने श्रद्धा से नत होकर आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यश्री लगभग सात किलोमीटर का विहार कर जवाहर नगर स्थित श्री जैन श्वेताम्बर संघ के महावीर साधना केन्द्र परिसर में रात्रिकालीन प्रवास के लिए पधारे। वहां आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया गया।