भारत पुलवामा हमले पर एफएटीएफ को सौंपेगा डोजियर, खतरे में पड़ जाएगी पाकिस्तानी अर्थ व्यवस्था

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नई दिल्ली, 21 फरवरी (हि.स.)। पुलवामा हमले के बाद हर मोर्चे पर अब पाकिस्तान की मुसीबत बढ़ती जा रही है। भारत अब उसे विश्व की व्यापार रेटिंग की संस्था फायनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स में ब्लैक लिस्ट करने का सोच रहा है। सुरक्षा एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक एजेंसियों ने इस बाबत एक डोजियर तैयार कर लिया है। इसके जरिये पाकिस्तान को पुलवामा हमले के लिए घेरने की पहल की जाएगी। इस डोजियर को भारत सरकार अंतराष्ट्रीय आतंकी फंडिंग वाचडॉग एफको सौंपेगा।
उल्लेखनीय है कि कल से शुरू होने वाली एफएटीएफ की बैठक के लिए विभिन्न देशों के लगभग 800 अधिकारी इसके मुख्यालय पेरिस में मौजूद हैं।
उल्लेखनीय है कि एफएटीएफ एक अंतर सरकारी संस्था है जिसकी शुरुआत 1989 के दौरान जी-7 सम्मेलन के दौरान की गई थी। आरंभ में इसका काम मनी लांड्रिंग जैसे अपराध पर रोक लगाने का था। लेकिन 2001 में इसके कार्य के आयाम को बढ़ा दिया गया और अब यह सदस्य देशों में टेरर फंडिंग पर भी नजर रख रही है। संस्था की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक यह अपने सदस्य देशों में आतंकी गतिविधि को रोकने के लिए उस देश को कानून बनाने का भी सलाह देती है। इस क्रम में संस्था ने कई सिफारिशें दी हैं जिससे आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सके। वर्तमान में एफएटीएफ के साथ 36 देश संबद्ध हैं। इसमें पाकिस्तान भी शामिल है।
कहना जरूरी है कि अगर इस संस्था ने पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट कर दिया तो फिर पाकिस्तान पर अंतराष्ट्रीय संस्थाएं भरोसा नहीं करेंगी। अभी पाकिस्तान, इंटरनेशनल मोनेटरी फंड से कर्ज लेने का प्रयास कर रहा है। हालांकि जून 2018 के दौरान भारत को अमेरिका, युनाइटेड किंगडम, फ्रांस व जर्मनी के साथ मिलकर पाकिस्तान को एफएटीएफ के ग्रे लिस्ट में डालने में सफलता हासिल हुई थी। उस वक्त संस्था ने पाकिस्तान को 27 बिंदुओं के एजेंडे पर काम करने को कहा था। इसमें शर्त भी दी गई थी। उसके मुताबिक पाकिस्तान को सितंबर 2019 तक इन एजेंडों पर काम करना था। अब अगर पाकिस्तान इसमें असफल रहा तो इसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा। पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान की स्थिति बिलकुल ही कमजोर हो गई है। पुलवामा हमले की जिम्मेदारी जैश ने ली है और जैश का मुखिया मसूद अजहर पाकिस्तान में रहता है।
उल्लेखनीय है कि अभी एफएटीएफ की काली सूची में नॉर्थ कोरिया व ईरान जैसे देश शामिल हैं। अगर पाकिस्तान भी इसमें शामिल हो गया तो कोई भी वैश्विक संस्था इससे लेनदेन नहीं करेगी। अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तान की आर्थिक कमर ही टूट जाएगी। जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान के खजाने में सिर्फ 8 मिलियन डॉलर ही शेष बचे हैं और अगर आईएमएफ इसे कर्ज नहीं देता है तो वह दिवालिया हो जाएगा।

 


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