भाजपा शासित राज्यों की राजधानियों में सर्वाधिक बेनामी सम्पत्तियां
नई दिल्ली, 01 जुलाई (हि.स.)। आयकर विभाग द्वारा बीते डेढ़ वर्ष में पकड़ी गयी बेनामी सम्पतियों के मामले में मुंबई और जयपुर पहले और भोपाल दूसरे स्थान पर है। मुंबई में 200 और जयपुर में 200 बेनामी सम्पतियां पकड़ी गईं। भोपाल में 190, कोलकाता में 144 और चंडीगढ़ में 110 बेनामी सम्पत्तियां पकड़ी गईं। हैदराबाद में 100, दिल्ली, बेंगलुरू, चेन्नई और पुणे में 90, अहमदाबाद में 89, लखनऊ में 50, पटना में 30 बेनामी सम्पत्तियां पकड़ी गईं। जबलपुर में एक ड्राइवर के नाम पर करोड़ों रुपये की जमीन पकड़ी गई, जिसका बेनामी मालिक वह कम्पनी थी जिसमें वह ड्राइवर की नौकरी करता था। इसी तरह से मुंबई में एक व्यवसाई पकड़ा गया, जिसकी कई बेनामी सम्पत्तियां शेल कम्पनी के नाम पर थीं, और वह शेल कम्पनी केवल कागजों पर थीं। इसी तरह राजस्थान के सांगानेर में एक सुनार की कई बेनामी सम्पत्तियां उसके पूर्व कर्मचारी के नाम से मिलीं। जो बेनामी सम्पत्तियां पकड़ी गईं, उनके बारे में तरह–तरह की चर्चाएं हैं। उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है कि जो लोग बहुत कालाधन अर्जित किये हैं, और बाहर सम्पर्क वाले हैं, चाहे वे उद्योगपति हैं या आईएएस, आईपीएस, आईआरएस अफसर या इंजीनियर, ठेकेदार या नेता या माफिया, उनमें ज्यादातर का कालाधन विदेशों में जमा है या किसी के व्यवसाय में लग गया है। बहुतों के लड़के-लड़कियां या परिजन विदेश में हैं और वहां 3 से 7 करोड़ रुपये लगा कर, कोई कम्पनी खुलवा दी गई है। इसके कारण बेटा, बेटी या परिजन को वहां की नागरिकता भी मिल गई है। धंधा भी चल रहा है और देश में घूस या अन्य तरह से बनाया कालाधन सफेद भी किया जा रहा है। इसके लिए कई तरीके अपनाये जा रहे हैं। बहुत से नेता या बड़े अफसर भारत में किसी बड़े उद्योगपति या सेठ या ठेकेदार का काम करने के बदले घूस , विदेश में पढ़ रहे बेटे, बेटी या परिवारीजन की फीस के लिए विदेश में ही देने को कहते हैं। इसके अलावा भी रकम विदेश में ही देने को कहते हैं। अपने परिवार के किसी को यहां के उद्योगपतियों के विदेशी पार्टनर की कम्पनी में भागीदार बनवा देते हैं। यही वजह है कि बेनामी सम्पत्तियों के मामले में वे ही व्यवसाई या अन्य लोग ज्यादा पकड़े गये हैं, जिनका विदेश में व्यवसाय नहीं है या जिनके बच्चे, परिजन विदेश में नहीं बसे हैं। वहां कोई धंधा नहीं कर रहे हैं। इस बारे में एक पूर्व आयकर अधिकारी का कहना है कि बीते डेढ़ वर्ष में जिन लोगों की बेनामी सम्पत्तियां पकड़ी गई हैं, उनमें कितने बड़े उद्योगपति हैं या बड़े अफसर हैं? इनकी सूची देखेंगे तो पता चलेगा कि बड़े उद्योगपति लगभग नहीं हैं। सबसे अधिक अचरज वाली बात यह है कि देश में पहले मारवाड़ी समुदाय के लोग व्यवसाय में सबसे प्रभावी थे लेकिन आज गुजराती हैं। सबसे अधिक तेजी से गुजराती उद्योगपति बढ़ रहे हैं। गौतम अडाणी इसकी मिसाल हैं। इन सबके बावजूद बीते ड़ेढ़ वर्ष में अहमदाबाद में बेनामी सम्पत्ति कितनी पकड़ी गई है? मात्र 89 पकड़ी गई हैं, जबकि यहां कम से कम जयपुर के बराबर होना चाहिए। सबसे अचरज तो यह है कि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में मात्र उतनी बेनामी सम्पत्ति पकड़ी गई हैं, जितनी जयपुर में। इसका मतलब तो यह है कि वहां ठीक से पड़ताल ही नहीं की गई। दिलचस्प बात यह है कि जिन तीन शहरों में सबसे अधिक बेनामी सम्पत्तियां पकड़ी गई हैं, वे सभी भाजपा शासित राज्यों की राजधानी हैं ।