भाजपा छोड़कर जाने वाले राजनेताओं का कैसा रहा सियासी कॅरियर

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-भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने ट्वीट कर स्वामी प्रसाद मौर्य को घेरा
-पूर्व सांसद सावित्रीबाई फुले, उदित राज जैसे कद्दावर नेता छोड़कर गए
लखनऊ, 12 जनवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश में स्वामी प्रसाद मौर्य के योगी मंत्रिमण्डल से इस्तीफा देने के बाद से सियासी गलियारे में उन नेताओं के कॅरियर पर चर्चा शुरू हो गयी है जो भाजपा छोड़कर गए हैं। उनकी सफलता और असफलता पर लोग विमर्श कर रहे हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य से पहले बहराइच की पूर्व सांसद सावित्री बाई फूले, दिल्ली से सांसद उदित राज, शत्रुघ्न सिन्हा जैसे तमाम कद्दावर नेताओं की एक लंबी सूची है। ऐसे नेताओं पर भाजपा के भीतर भी चर्चा हो रही है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने बुधवार को ट्वीट कर नाम लिए बगैर स्वामी प्रसाद मौर्य पर हमला बोला है। उन्होंने पूर्व सांसद सावित्री बाई फूले का हवाला देकर कहा कि बहुत से नेता भाजपा को छोड़कर गये, लेकिन वह राजनीति में फलफूल नहीं पाए।
भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने ट्वीट कर कहा कि बहराइच की पूर्व सांसद सावित्री बाई फूले को भी यही गलतफहमी थी। फूले को यकीन था कि 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें जो चार लाख 32 हजार 392 मत मिले, उनके दम पर थे। वह अपने दम पर जीती हैं। बाद में वह भाजपा से अलग हुईं। फिर 2019 में कांग्रेस प्राइवेट लिमिटेड पार्टी से चुनाव लड़ीं। तब उन्हें मात्र 34 हजार 454 मत मिले। राकेश आगे लिखते हैं कि भाजपा छोड़कर जाने वाले के पास कुछ भी नहीं बचा है। भाजपा प्रवक्ता ने सभी प्रत्याशियों को मिले मत का आंकड़ा भी साझा किया है।
इनसे पहले यह नेता भी भाजपा छोड़कर गए
वहीं दूसरी विचारधारा से आए दिल्ली में भाजपा के टिकट से सांसद बने उदित राज ने भी बगावत की। वह भाजपा छोड़कर जाने के बाद से कुछ अर्जित नहीं कर पाए। पूरे देश भर में मोदी और भाजपा विरोधी मंचों पर बोलने का अवसर जरूर मिल रहा है। एक और नाम सावित्री बाई फूले का है। वह बहराइच से 2012 में भाजपा के टिकट पर विधायक बनीं। इसके बाद पार्टी ने उन्हें मोदी लहर में 2014 का लोकसभा चुनाव लड़वाया। वह भारी मतों से विजयी रहीं। उन्होंने भी बगावत की।
भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी के ट्वीट के मुताबिक सावित्री बाई फूले को भी भ्रम हो गया था। भाजपा से दूरी बनाने के बाद अब एहसास हो गया है। वहीं भाजपा के खाटी नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और उमा भारती जैसे नेता नाराज होकर भाजपा छोड़कर चले गये थे। बाद उन नेताओं को भी अपने दल में वापसी करनी पड़ी।


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