भाजपा के लिए आसान नहीं मुलायम का गढ़ मैनपुरी भेदना

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-परम्परागत सीट मानी जाने वाली मैनपुरी सीट पर 23 सालों से लगातार सपा का कब्जा
लखनऊ, 22 अप्रैल (हि.स.)। सपा के संरक्षक व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को मैनपुरी लोकसभा सीट पर चुनौती देना भाजपा के लिए आसान नहीं है। सपा की परम्परागत सीट मानी जाने वाली मैनपुरी सीट पर 23 सालों से लगातार सपा का कब्जा है। मुलायम सिंह यादव ने केन्द्रीय राजनीति की शुरुआत भी मैनपुरी से ही की थी। वह सबसे पहले 1996 में इसी सीट से जीतकर संसद पहुंचे थे। इसके बाद इस सीट पर सपा की जीत का सिलसिला अभी तक जारी है। मुलायम का पैतृक गांव सैफई भी मैनपुरी लोकसभा सीट में ही है।
कांग्रेस के अलावा प्रसपा भी कर रही मुलायम का समर्थन
इस बार सपा बसपा गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में मुलायम​ सिंह यादव व भाजपा प्रत्याशी प्रेम सिंह शाक्य के बीच सीधा मुकाबला है। स्थानीय समीकरणों पर नजर डालें तो मैनपुरी सीट से मुलायम सिंह यादव को वाकओवर मिल चुका है। क्योंकि कांग्रेस पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने मुलायम के खिलाफ प्रत्याशी खड़ा नहीं किया है। बसपा प्रमुख मायावती भी मैनपुरी में मुलायम के समर्थन में रैली कर चुकी हैं। इसका फायदा भी मुलायम को मिलेगा। वहीं शिवपाल यादव की जसवंतनगर विधानसभा सीट भी मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में आती है। शिवपाल यादव मुलायम को जिताने की अपील कर चुके हैं। वहीं भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विनय कटियार जनसभा कर चुके हैं।
मैनपुरी से चार बार सांसद रहे हैं मुलायम
मुलायम सिंह पहली बार मैनपुरी से 1996 में सांसद बने तब से लेकर आज तक मैनपुरी सीट सपा के कब्जे में है। मुलायम सिंह मैनपुरी से चार बार सांसद रह चुके हैं। वर्ष 2014 में भी मुलायम सिंह मैनपुरी और आजमगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव जीते लेकिन बाद में मुलायम ने मैनपुरी सीट से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद हुए उपचुनाव में सपा के तेज प्रताप यादव जीतकर संसद पहुंचे। वहीं 1952 से अब तक के चुनाव परिणाम पर नजर डालें तो इस सीट पर पांच बार कांग्रेस, एक बार प्रजा सोस​लिस्ट पार्टी, एक बार लोकदल, एक बार जनता दल और दो बार जनता पार्टी का कब्जा रहा। इस सीट पर लगातार सबसे ज्यादा 08 बार सपा का ही प्रत्याशी जीता। 2014 के चुनाव में 2 जगहों से जीत हासिल करने के बाद मुलायम ने मैनपुरी सीट छोड़ दी थी। आजमगढ़ को अपना संसदीय क्षेत्र चुना। बाद में हुए उप-चुनाव में उनके पोते तेजप्रताप सिंह यादव बड़े अंतर से जीत हासिल कर लोकसभा पहुंचे।
मुलायम की अपील का असर
मैनपुरी की रैली में बसपा अध्यक्ष मायावती और अपने बेटे सपा अध्यक्ष अखिलेश की मौजूदगी में मुलायम सिंह यादव ने मंच से घोषणा की थी कि वह अपना आखिरी चुनाव लड़ रहे हैं और उन्‍हें जीता देना। मुलायम की इस अपील का भी मतदाताओं पर असर दिख रहा है। इस रैली में 24 साल बाद मायावती और मुलायम एक मंच पर आये थे।
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से कहा कि मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव की ऐतिहासिक जीत होगी। उन्होंने कहा कि नेता जी के मुकाबले में कोई नहीं है। देशभर में सबसे ज्यादा वोटों से जीतने का रिकार्ड सपा मैनपुरी में बनायेगी।


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