ब्यूनेस आयर्स में जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन के नतीजों को लेकर शंका

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लॉस एंजेल्स,28 नवम्बर (हि.स)। अमेरिकी राष्ट्र्पति डोनाल्ड ट्रम्प के कड़े रुख के चलते ब्यूनेस आयर्स में शुक्रवार से होने वाले तीन दिवसीय जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन के नतीजों को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इस सम्मेलन के लिए भले ही एक अर्से पहले एजेंडा तैयार कर लिया गया था, लेकिन इस बीच कई नए मुद्दे उभर कर सामने आए हैं, जो पिछले सम्मेलनों की तरह पहचान का संकट खड़ा कर सकते हैं।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की उक्रेन के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई सूर्खियों में है, तो सऊदी प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान वाशिंगटन पोस्ट के लिए काम कर रहे सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या को लेकर संदेह के घरे में हैं और मानवीय मूल्यों के मुद्दे पर तुर्की के राष्ट्रपति सहित अनेक देश अवाज बुलंद करने को तैयार हैं।

अमेरिका और चीन के बीच भले ही ‘ट्रेड वार’ चल रहा है, लेकिन शनिवार की रात राष्ट्रपति ट्रम्प और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वार्ता तय है। हालांकि इस बातचीत में कोई समझौता हो पाएगा कहना मुश्किल है।
व्हाइट हाउस में मुख्य आर्थिक सलाहकार लैरी कुडलोव की मानें तो ट्रम्प-शी के बीच समझौता हो सकता है और मुमकिन है कि राष्ट्रपति चीन से आयातित 250अरब डाॅलर के माल पर 10 से 25 प्रतिशत तक लगाए गए सीमा शुल्क को कुछ समय के लिए टाल दें।
इस बीच ट्रम्प प्रशासन के एक जनवरी से सीमा शुल्क बढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर चीन ने कोई टिप्पणी नहीं की है। व्हाइट हाउस के ही एक अन्य तेजतर्रार अधिकारी पीटर नवारो की मानें तो समझौता नहीं होने की स्थिति में ट्रम्प प्रशासन 267 अरब डाॅलर के अतिरिक्त आयातित चीनी माल पर सीमा शुल्क लगाने की घोषणा कर दोनों देशों को आर्थिक शीत युद्ध की ओर घसीट सकते हैं।
हाल यह है कि जहां चीन पर और शिकंजा कसने की बात की जा रही है, वहां मेक्सिको, कनाडा और अमेरिका के बीच हुए ‘नाफ़्टा’ समझौता ठंडे बस्ते में है।


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